माध्यमिक स्कूलों में छुट्टियों के नियमों में बदलाव हुआ है। इन बदलावों के बाद छुट्टी लेने की प्रक्रिया आसान हो जाएगी। इससे शिक्षकों के साथ प्रधानाचार्यों को भी राहत मिलेगी।
माध्यमिक शिक्षा विभाग ने राजकीय विद्यालयों के कर्मचारियों-शिक्षकों के लिए विभिन्न छुट्टियों की आवेदन व स्वीकृति की प्रक्रिया को सरल किया गया है। इसके तहत तय किया गया है कि अब शिक्षकों-कर्मचारियों को मेडिकल समेत किसी तरह की छुट्टी के लिए स्टांप पेपर पर शपथ पत्र नहीं देना होगा। चिकित्सा प्रमाण पत्र देने के लिए अधिकृत अस्पतालों में सभी रजिस्टर मेडिकल डॉक्टर के भी प्रमाण पत्र मान्य होंगे।
विद्यालयों में छुट्टियां स्वीकृत कराने व उनका लाभ लेने के लिए शिक्षकों-कर्मचारियों को काफी मशक्कत करनी पड़ती है। कई बार इसमें गड़बड़ी व लेन-देन की भी शिकायतें मिलती हैं। इसे देखते हुए शासन ने छुट्टियों की आवेदन व उन्हें स्वीकृत करने की प्रक्रिया को सरल किया है। शासन ने निर्देश दिया है कि अर्जित अवकाश, चिकित्सा अवकाश, बाल्य देखभाल अवकाश के आवेदन को दो दिन के अंदर प्रधानाचार्य, डीआईओएस को अनिवार्य रूप से भेजेंगे।
डीआईओएस इसे तीन दिन के अंदर स्वीकृत करेंगे। वहीं बाल्य देखभाल अवकाश एक बार में अधिकतम 30 दिन के लिए ही मिलेगा। जबकि चुनाव, जनगणना, बोर्ड परीक्षा ड्यूटी, विद्यालय की परीक्षाओं के दौरान व उससे पांच दिन पहले के बाल्य देखभाल अवकाश के मामले प्रधानाचार्य डीआईओएस को भेजेंगे। वह इस पर निर्णय लेंगे। वर्तमान में कई शिक्षक तीन व छह महीने तक एक बार में बाल्य देखभाल अवकाश ले लेते हैं।
माध्यमिक शिक्षा विभाग के विशेष सचिव उमेश चंद्र ने निर्देश दिया है कि बाल्य देखभाल अवकाश एक साल में तीन बार से अधिक नहीं दिया जाएगा। इसी तरह यह भी व्यवस्था की गई है कि छुट्टी के दिन काम करने वाले शिक्षकों-कर्मचारियों को महीने में अधिकतम दो दिन ही प्रतिकर अवकाश स्वीकृत किया जाएगा। जबकि वर्तमान में कई शिक्षक चार-पांच दिन प्रतिकर अवकाश ले रहे हैं। विशेष सचिव ने महानिदेशक स्कूल शिक्षा को निर्देश दिया है कि इन निर्देशों का सख्ती से पालन कराया जाए।