शासन ने तय किए मानक, सीबीएसई, आईसीएसई स्कूलों पर भी लागू होगा निर्देश
लखनऊ। राज्य सरकार ने स्कूलों में बच्चों का शोषण रोकने के लिए नया मानक तय किया है। स्कूल प्रबंधन व प्रधानाचार्यों की यह जिम्मेदारी होगी कि बच्चों का किसी तरह का शोषण न हो। इस तरह की शिकायत पर संबंधित स्कूल के खिलाफ कार्रवाई का भी प्रावधान किया गया है। माध्यमिक शिक्षा विभाग ने इस संबंध में शासनादेश जारी कर दिया है। यह आदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद के साथ ही सीबीएसई व आईसीएसई स्कूलों में भी प्रभावी होगा।
नए मानक में प्रदेश के शैक्षणिक संस्थानों में छात्र-छात्राओं के शारीरिक, मानसिक शोषण व यौन उत्पीड़न की घटनाओं की रोकथाम तथा असंवैधानिक कृत्यों को रोकने की व्यवस्था की गई है। इसके मुताबिक स्कूल भवन इस प्रकार होना चाहिए कि बीच में प्रांगण में खड़े होने पर भी क्लास रूम का मुख्य द्वार दिखाई दे।
प्रत्येक क्लास रूम में कम से कम एक खिड़की व दरवाजा प्रांगण की ओर खुलता हो। किसी स्कूल में नर्सरी से इंटर तक की कक्षाएं चलती हैं तो प्री प्राइमरी व नर्सरी ब्लॉक अलग होगा और अन्य कक्षाओं के बच्चों को वहां जाने की अनुमति नहीं होगी। एक से पांच तक की कक्षाएं अलग चलाई जानी चाहिए। इसमें बड़े कक्षाओं के बच्चों, अंशकालिक कर्मचारियों को बिना इजाजत जाने की अनुमति नहीं होगी। स्कूल की बाउंड्रीवाल सुरक्षित होनी चाहिए और मुख्य द्वार बंद रखने के निर्देश दिए गए हैं। पढ़ाई के समय क्लास के दरवाजे व खिड़कियां खुली रहेंगी। अतिरिक्त क्लास चलाने या खेलकूद संबंधी गतिविधियों पर छात्र-छात्राओं की सुरक्षा की जिम्मेदारी शिक्षकों पर होगी। सभी छात्र-छात्राओं के घर चले जाने के बाद ही शिक्षक व प्रधानाचार्य स्कूल से अपने घर जाएंगे।
सोशल साइट के प्रति करेंगे जागरूक ः
स्कूलों में छात्र-छात्राओं को सोशल साइट के प्रति भी जागरूक किया जाएगा। उन्हें इसकी अच्छाइयां व बुराइयां बताई जाएंगी। इसके लिए जरूरत के आधार पर बाहर से विशेषज्ञों को भी बुलाया जाएगा। स्कूल में बिना मतलब मोबाइल के इस्तेमाल की इजाजत बच्चों को न दी जाए।
घर से सुरक्षित लाने की व्यवस्था
स्कूल आने वाले छात्र-छात्राओं की सुरक्षा पर भी प्रधानाचार्यों को ध्यान देना होगा। पैदल आने वाले बच्चों को समूह में आने की सलाह दी जाएगी। अकेले आने वाले बच्चे के अभिभावकों को स्कूल छोड़ने की हिदायत दी जाएगी। स्कूल प्रबंधन यदि ट्रांसपोर्ट की सुविधा उपलब्ध कराता है तो वाहन में जीपीआरएस सिस्टम होना चाहिए। प्राइवेट गाड़ियां लगाने से पहले उसके चालक-परिचालक के चरित्र का सत्यापन कराना जरूरी होगा।
शिक्षकों का हो संतुलित व्यवहार
स्कूल परिसर में शिक्षक का छात्र-छात्राओं के साथ संतुलित व्यवहार होना चाहिए। शिक्षक का व्यवहार गड़बड़ है या किसी बच्चे को वह प्रलोभन देता है तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। खेलकूद के समय यह ध्यान रखा जाएगा कि केवल नियमित शिक्षक व कर्मचारी ही ड्यूटी करें।
सरकारी नौकरी - Government of India Jobs Originally published for http://e-sarkarinaukriblog.blogspot.com/ Submit & verify Email for Latest Free Jobs Alerts Subscribe
लखनऊ। राज्य सरकार ने स्कूलों में बच्चों का शोषण रोकने के लिए नया मानक तय किया है। स्कूल प्रबंधन व प्रधानाचार्यों की यह जिम्मेदारी होगी कि बच्चों का किसी तरह का शोषण न हो। इस तरह की शिकायत पर संबंधित स्कूल के खिलाफ कार्रवाई का भी प्रावधान किया गया है। माध्यमिक शिक्षा विभाग ने इस संबंध में शासनादेश जारी कर दिया है। यह आदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद के साथ ही सीबीएसई व आईसीएसई स्कूलों में भी प्रभावी होगा।
नए मानक में प्रदेश के शैक्षणिक संस्थानों में छात्र-छात्राओं के शारीरिक, मानसिक शोषण व यौन उत्पीड़न की घटनाओं की रोकथाम तथा असंवैधानिक कृत्यों को रोकने की व्यवस्था की गई है। इसके मुताबिक स्कूल भवन इस प्रकार होना चाहिए कि बीच में प्रांगण में खड़े होने पर भी क्लास रूम का मुख्य द्वार दिखाई दे।
प्रत्येक क्लास रूम में कम से कम एक खिड़की व दरवाजा प्रांगण की ओर खुलता हो। किसी स्कूल में नर्सरी से इंटर तक की कक्षाएं चलती हैं तो प्री प्राइमरी व नर्सरी ब्लॉक अलग होगा और अन्य कक्षाओं के बच्चों को वहां जाने की अनुमति नहीं होगी। एक से पांच तक की कक्षाएं अलग चलाई जानी चाहिए। इसमें बड़े कक्षाओं के बच्चों, अंशकालिक कर्मचारियों को बिना इजाजत जाने की अनुमति नहीं होगी। स्कूल की बाउंड्रीवाल सुरक्षित होनी चाहिए और मुख्य द्वार बंद रखने के निर्देश दिए गए हैं। पढ़ाई के समय क्लास के दरवाजे व खिड़कियां खुली रहेंगी। अतिरिक्त क्लास चलाने या खेलकूद संबंधी गतिविधियों पर छात्र-छात्राओं की सुरक्षा की जिम्मेदारी शिक्षकों पर होगी। सभी छात्र-छात्राओं के घर चले जाने के बाद ही शिक्षक व प्रधानाचार्य स्कूल से अपने घर जाएंगे।
सोशल साइट के प्रति करेंगे जागरूक ः
स्कूलों में छात्र-छात्राओं को सोशल साइट के प्रति भी जागरूक किया जाएगा। उन्हें इसकी अच्छाइयां व बुराइयां बताई जाएंगी। इसके लिए जरूरत के आधार पर बाहर से विशेषज्ञों को भी बुलाया जाएगा। स्कूल में बिना मतलब मोबाइल के इस्तेमाल की इजाजत बच्चों को न दी जाए।
घर से सुरक्षित लाने की व्यवस्था
स्कूल आने वाले छात्र-छात्राओं की सुरक्षा पर भी प्रधानाचार्यों को ध्यान देना होगा। पैदल आने वाले बच्चों को समूह में आने की सलाह दी जाएगी। अकेले आने वाले बच्चे के अभिभावकों को स्कूल छोड़ने की हिदायत दी जाएगी। स्कूल प्रबंधन यदि ट्रांसपोर्ट की सुविधा उपलब्ध कराता है तो वाहन में जीपीआरएस सिस्टम होना चाहिए। प्राइवेट गाड़ियां लगाने से पहले उसके चालक-परिचालक के चरित्र का सत्यापन कराना जरूरी होगा।
शिक्षकों का हो संतुलित व्यवहार
स्कूल परिसर में शिक्षक का छात्र-छात्राओं के साथ संतुलित व्यवहार होना चाहिए। शिक्षक का व्यवहार गड़बड़ है या किसी बच्चे को वह प्रलोभन देता है तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। खेलकूद के समय यह ध्यान रखा जाएगा कि केवल नियमित शिक्षक व कर्मचारी ही ड्यूटी करें।
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