पदों की कमी बन रहा कारण, 419 शिक्षामित्रों का संशय बरकरार
बेसिक शिक्षा विभाग ने प्रस्ताव तैयार कर राज्य सरकार को स्वीकृति के लिए भेजा’ जिले में नहीं हुई दूसरे चरण के समायोजन के लिए काउंसिलिंग प्रमोशन का नया शासनादेश भी नहीं बनेगा सहारा
नये पदों के सृजन पर होगा समायोजन
प्रदेश के दूसरे बैच के 91 हजार 104 शिक्षामित्रों का समायोजन 30 अप्रैल तक हो जाएगा। कुछ जिलों में पदों की कमी के चलते समायोजन नहीं हो पाया है। वहां भी 10 मई तक हर हाल में समायोजन हो जाएगा। इस बारे में बेसिक शिक्षा मंत्री रामगोविन्द चौधरी व सचिव (बेसिक शिक्षा) संजय सिन्हा ने आश्वस्त किया है। इस बार रोस्टर समाप्त करते हुए सभी ब्लाकों में शिक्षामित्रों का समायोजन किया जाएगा।
गाजी इमाम आला, प्रदेश अध्यक्ष, उप्र प्राथमिक शिक्षामित्र संघ
भदोही निज संवाददाता : पदों की कमी के कारण समायोजन के लिए चयनित दूसरी सूची के 419 शिक्षामित्रों की काउंसिलिंग नहीं हुई। विभाग का कहना है कि नये पदों का सृजन होने पर ही समायोजन संभव है। इसके लिए राज्य सरकार को प्रस्ताव बनाकर भेज दिया गया है। उधर काउंसिलिंग नहीं होने से शिक्षामित्र संशय में हैं। परिषदीय विद्यालयों में दूरस्थ शिक्षा पद्धति से बीटीसी प्रशिक्षण ले चुके दूसरे बैच के 419 शिक्षामित्रों का समायोजन होना है। राज्य सरकार के निर्देश पर सभी जिलों में समायोजन के लिए 15 से 25 तारीख तक दूसरे चरण की काउंसिलिंग होनी थी, लेकिन शनिवार को अंतिम तिथि भी बीतने के बाद भी जिले में काउंसिलिंग नहीं शुरू हुई। इसके पीछे विभागीय अधिकारियों ने इसके लिए सहायक अध्यापकों के पदों की कमी की बात कही। काउंसिलिंग के लिए सभी शिक्षामित्र तैयार थे लेकिन उनकी आशाओं पर तुषारापात हो गया। पिछले दिनों उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षामित्र संघ, दूरस्थ बीटीसी शिक्षक संघ और आदर्श शिक्षामित्र वेलफेयर एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने बीएसए, सीडीओ व डीएम से मिलकर समस्या बताई। डीएम ने बेसिक शिक्षा अधिकारी को समाधान निकालने का निर्देश दिया। बावजूद इसके रिक्त पदों की कमी के चलते बेसिक शिक्षा विभाग अभी तक काउंसिलिंग शुरू नहीं करा पाया। बेसिक शिक्षा विभाग 950 सहायक अध्यापकों के पदों पर भर्ती के लिए विज्ञप्ति निकाल चुका है। इसमें 800 पद टीईटी उत्तीर्ण और 150 पद बीटीसी 2011-12 बैच के अभ्यर्थियों से भरे जाने हैं। इसमें अधिसंख्य पदों पर चयन किया भी जा चुका है। शेष पदों पर चयन हो रहा है। उधर, शिक्षामित्र संघ के जिलाध्यक्ष शाहनवाज खान ने मांग की है कि दूसरे बैच के शिक्षामित्रों के समायोजन की प्रक्रिया तत्काल शुरू कराई जाए। उन्होंने कहा कि नगर क्षेत्र में अगर पद रिक्त है तो नगर के ही शिक्षामित्रों का समायोजन किया जाए। प्रथम बैच के जो शिक्षामित्र नगर से ग्रामीण क्षेत्र में गए हैं तो उन्हें वापस नगर क्षेत्र में भेजा जाए, जिससे ग्रामीण क्षेत्र में पद रिक्त होंगे। दो और चार मार्च को लखनऊ में समायोजन सम्बंधी बैठक में बीएसए को इस समस्या को बताना चाहिए था।
ऐसे में दूसरा रास्ता सहायक अध्यापकों को प्रधानाध्यापक पद पर पदोन्नत कर बन सकता था, लेकिन जिले में प्रधानाध्यापकों के महज 105 पद ही खाली हैं। बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा पिछले दिनों तीन साल से अधिक सेवारत सहायक अध्यापकों को प्रमोशन देकर प्रधानाध्यापक बनाने का शासनादेश भी जारी किया गया लेकिन जनपद के शिक्षामित्रों को इसका लाभ मिलता नजर नहीं आ रहा है। जिला बेसिक शिक्षा विभाग के पास पहले से ही 88 सरप्लस शिक्षक हैं, जो खाली हुए सहायक पदों पर एडजस्ट होंगे। ऐसे में 17 पद खाली होंगे, जिसमें नियमानुसार 10 फीसदी पद विभाग आरक्षित रखेगा। अब जो पद बचेंगे, वह शिक्षामित्रों के लिए ‘ऊंट के मुंह में जीरा’ साबित होंगे।
शिक्षामित्रों के समायोजन के प्रति विभाग गम्भीर है। बेसिक शिक्षा निदेशक के साथ शुक्रवार को हुई बैठक में जिले में सहायक अध्यापक के पदों की कमी की बात रखी गई। इसके लिए तमाम विकल्पों पर विचार किया गया। उम्मीद है कि समायोजन के मसले पर जल्द निर्णय हो जाएगा। डॉ. एसपी त्रिपाठी, बेसिक शिक्षा अधिकारी
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बेसिक शिक्षा विभाग ने प्रस्ताव तैयार कर राज्य सरकार को स्वीकृति के लिए भेजा’ जिले में नहीं हुई दूसरे चरण के समायोजन के लिए काउंसिलिंग प्रमोशन का नया शासनादेश भी नहीं बनेगा सहारा
नये पदों के सृजन पर होगा समायोजन
प्रदेश के दूसरे बैच के 91 हजार 104 शिक्षामित्रों का समायोजन 30 अप्रैल तक हो जाएगा। कुछ जिलों में पदों की कमी के चलते समायोजन नहीं हो पाया है। वहां भी 10 मई तक हर हाल में समायोजन हो जाएगा। इस बारे में बेसिक शिक्षा मंत्री रामगोविन्द चौधरी व सचिव (बेसिक शिक्षा) संजय सिन्हा ने आश्वस्त किया है। इस बार रोस्टर समाप्त करते हुए सभी ब्लाकों में शिक्षामित्रों का समायोजन किया जाएगा।
गाजी इमाम आला, प्रदेश अध्यक्ष, उप्र प्राथमिक शिक्षामित्र संघ
भदोही निज संवाददाता : पदों की कमी के कारण समायोजन के लिए चयनित दूसरी सूची के 419 शिक्षामित्रों की काउंसिलिंग नहीं हुई। विभाग का कहना है कि नये पदों का सृजन होने पर ही समायोजन संभव है। इसके लिए राज्य सरकार को प्रस्ताव बनाकर भेज दिया गया है। उधर काउंसिलिंग नहीं होने से शिक्षामित्र संशय में हैं। परिषदीय विद्यालयों में दूरस्थ शिक्षा पद्धति से बीटीसी प्रशिक्षण ले चुके दूसरे बैच के 419 शिक्षामित्रों का समायोजन होना है। राज्य सरकार के निर्देश पर सभी जिलों में समायोजन के लिए 15 से 25 तारीख तक दूसरे चरण की काउंसिलिंग होनी थी, लेकिन शनिवार को अंतिम तिथि भी बीतने के बाद भी जिले में काउंसिलिंग नहीं शुरू हुई। इसके पीछे विभागीय अधिकारियों ने इसके लिए सहायक अध्यापकों के पदों की कमी की बात कही। काउंसिलिंग के लिए सभी शिक्षामित्र तैयार थे लेकिन उनकी आशाओं पर तुषारापात हो गया। पिछले दिनों उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षामित्र संघ, दूरस्थ बीटीसी शिक्षक संघ और आदर्श शिक्षामित्र वेलफेयर एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने बीएसए, सीडीओ व डीएम से मिलकर समस्या बताई। डीएम ने बेसिक शिक्षा अधिकारी को समाधान निकालने का निर्देश दिया। बावजूद इसके रिक्त पदों की कमी के चलते बेसिक शिक्षा विभाग अभी तक काउंसिलिंग शुरू नहीं करा पाया। बेसिक शिक्षा विभाग 950 सहायक अध्यापकों के पदों पर भर्ती के लिए विज्ञप्ति निकाल चुका है। इसमें 800 पद टीईटी उत्तीर्ण और 150 पद बीटीसी 2011-12 बैच के अभ्यर्थियों से भरे जाने हैं। इसमें अधिसंख्य पदों पर चयन किया भी जा चुका है। शेष पदों पर चयन हो रहा है। उधर, शिक्षामित्र संघ के जिलाध्यक्ष शाहनवाज खान ने मांग की है कि दूसरे बैच के शिक्षामित्रों के समायोजन की प्रक्रिया तत्काल शुरू कराई जाए। उन्होंने कहा कि नगर क्षेत्र में अगर पद रिक्त है तो नगर के ही शिक्षामित्रों का समायोजन किया जाए। प्रथम बैच के जो शिक्षामित्र नगर से ग्रामीण क्षेत्र में गए हैं तो उन्हें वापस नगर क्षेत्र में भेजा जाए, जिससे ग्रामीण क्षेत्र में पद रिक्त होंगे। दो और चार मार्च को लखनऊ में समायोजन सम्बंधी बैठक में बीएसए को इस समस्या को बताना चाहिए था।
ऐसे में दूसरा रास्ता सहायक अध्यापकों को प्रधानाध्यापक पद पर पदोन्नत कर बन सकता था, लेकिन जिले में प्रधानाध्यापकों के महज 105 पद ही खाली हैं। बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा पिछले दिनों तीन साल से अधिक सेवारत सहायक अध्यापकों को प्रमोशन देकर प्रधानाध्यापक बनाने का शासनादेश भी जारी किया गया लेकिन जनपद के शिक्षामित्रों को इसका लाभ मिलता नजर नहीं आ रहा है। जिला बेसिक शिक्षा विभाग के पास पहले से ही 88 सरप्लस शिक्षक हैं, जो खाली हुए सहायक पदों पर एडजस्ट होंगे। ऐसे में 17 पद खाली होंगे, जिसमें नियमानुसार 10 फीसदी पद विभाग आरक्षित रखेगा। अब जो पद बचेंगे, वह शिक्षामित्रों के लिए ‘ऊंट के मुंह में जीरा’ साबित होंगे।
शिक्षामित्रों के समायोजन के प्रति विभाग गम्भीर है। बेसिक शिक्षा निदेशक के साथ शुक्रवार को हुई बैठक में जिले में सहायक अध्यापक के पदों की कमी की बात रखी गई। इसके लिए तमाम विकल्पों पर विचार किया गया। उम्मीद है कि समायोजन के मसले पर जल्द निर्णय हो जाएगा। डॉ. एसपी त्रिपाठी, बेसिक शिक्षा अधिकारी
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