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बलराम यादव ही नहीं 12 और मंत्रियों को अखिलेश कर चुके हैं बर्खास्त, जानिए उनके नाम और कुसूर

लखनऊ. यह पहली बार नहीं है जब यूपी के सीएम अखिलेश यादव ने अपने किसी मंत्री काे बर्खास्त किया है। सीएम इससे पहले भी कर्इ मंत्रियों को उनके बयानों आैर कार्यों से नाराज होकर उन्हें बर्खास्त कर चुके हैं।
पिछले साल भी उन्होंने अपने आठ मंत्रियों को बर्खास्त कर दिया था, जबकि राजा भैया समेत नौ मंत्रियों से उनके विभाग छीन लिए गए थे। इससे पहले 2013 में सीएम ने कैबिनेट मंत्री राजराम पांडेय को, 2014 में कृषि मंत्री आनंद सिंह को आैर राज्यमंत्री पवन पांडेय को भी बर्खास्त कर चुके हैं।
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जानिए कौन-कौन से मंत्री रहे हैं जिन्हे सीएम कर चुके हैं बर्खास्त-

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने माध्यमिक शिक्षा मंत्री बलराम यादव को मंगलवार को मंत्रिमण्डल से बर्खांस्त कर दिया, उनके खिलाफ यह कार्रवाई माफिया सरगना मुख्तार अंसारी के दबदबे वाले कौमी एकता दल के समाजवादी पार्टी में विलय में भूमिका निभाने के आरोप में की गयी।

ये मंत्री हुए थे बर्खास्त

-राजा महेंद्र अरिदमन सिंह -स्टाम्प और नागरिक सुरक्षा मंत्री
-अंबिका चौधरी-पिछड़ा वर्ग कल्याण मंत्री
-शिव कुमार बेरिया-वस्त्र और रेशम उद्योग मंत्री
-नारद राय- खादी और ग्रामोद्योग मंत्री
-शिवाकांत ओझा-तकनीक शिक्षा मंत्री
-आलोक कुमार शाक्य-तकनीक शिक्षा राज्य मंत्री
-योगेश प्रताप सिंह-बेसिक शिक्षा राज्य मंत्री
-भगवत शरण गंगवार-सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग और निर्यात प्रोत्साहन विभाग के राज्य मंत्री

आैर इनका छिन गया था विभाग

अहमद हसन-चिकित्सा मंत्री
अवधेश प्रसाद - समाज कल्याण मंत्री
पारस नाथ यादव - फूड प्रोसेसिंग मंत्री
राम गोविंद चौधरी - बेसिक शिक्षा मंत्री
दुर्गा प्रसाद यादव - परिवहन मंत्री
ब्रह्मा शंकर त्रिपाठी - होमगार्ड मंत्री
रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया - खाद्य और रसद विभाग
इकबाल महमूद - मछली पालन और पब्लिक एंटरप्राइज मंत्री
महबूब अली - माध्यमिक शिक्षा मंत्री


जानिए कौन मंत्री क्यों हटा

बलराम यादव

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने माध्यमिक शिक्षा मंत्री बलराम यादव को मंगलवार को मंत्रिमण्डल से बर्खांस्त कर दिया, उनके खिलाफ यह कार्रवाई माफिया सरगना मुख्तार अंसारी के दबदबे वाले कौमी एकता दल के समाजवादी पार्टी में विलय में भूमिका निभाने के आरोप में की गयी।
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राजा अरिदमन सिंह

आनंद सिंह को कैबिनेट से हटाने के बाद मुलायम को एक ठाकुर नेता के रूप में एक चेहरे की जरूरत थी। बताया जाता है कि इसी वजह से राजा अरिदमन सिंह को परिवहन विभाग से हटाकर स्टाम्प समेत तीन विभागों की जिम्मेदारी सौंपी गई थी, लेकिन अरिदमन अपने वादे पर खरे नहीं उतर पाए। लोकसभा चुनाव में भी वह अपनी विधानसभा भी नहीं बचा पाये थे। ऐसे में मुलायम इनसे नाराज चल रहे थे। इसके के कारण अखिलेश ने इन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया।

अम्बिका चौधरी

यूपी में बलिया से सबसे ज्यादा मंत्री बनाये गए हैं। ऐसे में विकास की राजनीति के बजाय गुटबाजी ज्यादा होने लगी। यूपी से सबसे ज्यादा मंत्री होने के बाद भी लोकसभा में वहां सपा कुछ ख़ास नहीं कर पाई। चौधरी तो अपनी विधानसभा भी नहीं बचा पाए। जबकि उनकी दबंगई की खबरें लगातार सामने आ रही थीं। अम्बिका का विभाग भी बीच में बदलते हुए पिछड़ा वर्ग कल्याण और विकलांग कल्याण की जिम्मेदारी सौंप दी गई थी।

नारद राय

नारद राय भी बलिया से आते हैं, लेकिन वह भी लोकसभा में कुछ ख़ास नहीं कर पाए। इनके बारे में भी कहा जाता था कि ये गुटबाजी में फंसे हुए हैं। नारद राय के पास खादी और ग्रामोद्योग विभाग था।

शिवकुमार बेरिया

शिवकुमार बेरिया के पास वस्त्र एवं रेशम उद्योग था और यही विभाग उनके हटने का कारण बन गया। स्थानीय कार्यकर्ता लगातार मुलायम से बेरिया की शिकायत कर रहे थे कि वह कार्यकर्ताओं का काम नहीं कर रहे हैं। ऐसे में मंत्री जी भी कई बार यह कहते सुने गए कि मेरे विभाग का बजट ही कम है तो मैं क्या करूं। इसके अलावा, लोकसभा चुनाव में हार के कारण तलाशने के लिए बुलाई गई समीक्षा बैठक में मुलायम ने भी सबके सामने बेरिया को फटकार लगाई थी। बेरिया तीन सालों में नेतृत्व के सामने खुद को प्रूफ नहीं कर पाए।

शिवाकांत ओझा

शिवाकांत ओझा के कैबिनेट में अंतिम दिन तभी शुरू हो गए थे, जब उन्होंने पिछले साल चेकडैम घोटाले की जानकारी मीडिया में लीक कर शिवपाल यादव गुट के मंत्री राजकिशोर सिंह को खुली चुनौती दी थी। इस घोटाले को लेकर सरकार की काफी किरकिरी हुई थी। जिससे शिवपाल यादव भी खूब परेशान हुए थे।

योगेश प्रताप सिंह

योगेश के हटने का सबसे बड़ा कारण यही रहा है कि शिक्षामित्रों के सहायक अध्यापकों के तौर पर नौकरी दिलवाने की जिम्मेदारी उन्हीं के ऊपर थी, लेकिन जिस तरह से पिछले दिनों शिक्षामित्रों के मामले पर सरकार की फजीहत हुई थी, उससे योगेश का जाना तय हो गया था। वहीं इस बात की भी चर्चा थी कि वे भाजपा में जाने वाले हैं।

भगवत शरण गंगवार

इनके पास लघु उद्योग विभाग था, लेकिन कहा जाता है कि इनका काम सीएम और मुख्य सचिव ज्यादा करते रहे हैं। इनके ऊपर भ्रष्टाचार का आरोप भी लगा, जिससे सीएम खफा रहते थे। यही वजह रही कि इन्हें हटाया गया है।

इससे पहले ये हो चुके हैं बर्खास्त

आनंद सिंह

इससे पहले भी अखिलेश सरकार ने कृषि मंत्री समेत दो मंत्रियों को बर्खास्त कर दिया था। सीएम ने मार्च 2014 में राज्य के कृषि मंत्री आनंद सिंह और स्टाम्प व न्यायालय शुल्क राज्यमंत्री मनोज पारस को बर्खास्त कर दिया। सरकार ने यह कार्रवाई आनंद सिंह के बेटे कीर्तिवर्धन सिंह के बीजेपी में शामिल होकर सपा प्रमुख पर गम्भीर आरोप लगाने और पारस की पार्टी विरोधी गतिविधियों में कथित संलिप्तता के मद्देनजर की थी।

पवन पांडेय

18 जून 2014 को सीएम अखिलेश यादव ने मनोरंजन कर राज्य मंत्री तेज नारायण पांडे उर्फ पवन पांडे को मंत्रिमंडल से बर्खास्त कर दिया था। पवन पांडेय की भूमिका से सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव और मुख्यमंत्री खासे नाराज थे।

राजाराम पांडेय

अप्रैल 2013 में सीएम अखिलेश यादव ने ग्रामोद्योग मंत्री राजराम पांडेय को मंत्रिमंडल से बर्खास्त कर दिया था। पहले दो महिला जिलाधिकारियों के सौंदर्य पर सार्वजनिक टिप्पणी करने और फिर प्रदेश की सड़कों को फिल्म, एक्ट्रेस माधुरी दीक्षित और हेमा मालिनी के गालों की तरह चिकना बनाने का संकल्प लेना उत्तर प्रदेश के खादी एवं ग्रामोद्योग मंत्री राजाराम पांडेय पर बेहद भारी पड़ गया था।


प्रतापगढ़ में आयोजित एक समारोह में प्रदेश के महिला सौंदर्य के प्रशंसक राजाराम पांडेय महिला विरोधी टिप्पणी की थीं, जो सीधे-सीधे महिलाओं पर अभद्र, अश्लील और छेड़खानी की श्रेणी में मानी गयी थीं। मंत्री पांडेय के इस कृत्य पर प्रदेश भर के महिलाओं और अधिकार संगठनों से तीखी प्रतिक्रिया की थी। इस प्रकरण की संवेदनशीलता को देखते हुए आखिरकार राजाराम पांडेय को मुख्य मंत्री ने पद से हटा दिये जाने का फैसला कर लिया था।
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