सुप्रीम कोर्ट में शिक्षामित्रों के प्रवेश पर रोक , यदि एक भी शिक्षामित्र कोर्ट में घुसा तो मामले की सुनवाई नहीं

सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के शिक्षा मित्रों के मामले में आदेश दिया है कि प्रकरण की अगली सुनवाई 27 जुलाई को होगी, लेकिन उस दिन एक भी शिक्षामित्र कोर्ट में नहीं आना चाहिए। यदि एक भी शिक्षामित्र कोर्ट में घुसा तो 
मामले की सुनवाई नहीं की जाएगी और ऐसा बंदोबस्त किया जाएगा कि मामला सुनवाई के लिए उनके रिटायरमेंट से पहले नहीं आएगा। जस्टिस दीपक मिश्रा मुख्य न्यायाधीश बनकर अक्तूबर 2018 में सेवानिवृत्त होंगे।
जस्टिस दीपक मिश्रा और सी. नागप्पन की पीठ ने यह चेतावनी सुनवाई के दिन शिक्षामित्रों की कोर्ट में होने वाली भीड़ को देखते हुए दिया है। पीठ ने कहा कि 300 आदमी कोर्ट कक्ष में आ जाते हैं जबकि उसमें 15-20 लोगों के खड़े होने की जगह है। ऐसे में सुनवाई बहुत मुश्किल हो जाती है। वहीं कुछ लोग ऐसे चहरे बनाकर खड़े हो जाते हैं। कुछ रोने की स्थिति में होते हैं। ऐसे में हम सुनवाई नहीं कर सकते। कोर्ट ने इससे पूर्व भी कहा था कि सुनवाई के दौरान लोग आंसू बहाने लगते हैं और उम्मीद करते हैं कि उनके पक्ष में फैसले हों।

पीठ की इस गंभीर चेतावनी पर शिक्षामित्रों के वकील पराग त्रिपाठी और सलमान खुर्शीद ने कहा माइलॉर्ड ऐसा मत करिए, हम शिक्षामित्रों को सुप्रीम कोर्ट में आने से रोकेंगे। वकीलों के इस आश्वासन पर कोर्ट ने मामले को 27 जुलाई के लिए स्थगित कर दी।

पीठ ने कहा कि सहायक अध्यापक के पद पर समायोजन से वंचित रह गए 26,000 शिक्षामित्रों का मामला भी उसी दिन सुना जाएगा। कोर्ट ने नोटिस जारी करने से भी इनकार कर दिया और कहा कि मामला एक जैसा ही है, उसी दिन सुना जाएगा।

गौरतलब है कि सुनवाई को दौरान सुप्रीम कोर्ट परिसर में मेले का माहौल रहता है। जो शिक्षामित्र कोर्ट में नहीं घुस पाते वे कॉरिडोर को घेरे रहते हैं और जिन्हें कोर्ट रूम का पास नहीं मिल पाता वे सुप्रीम कोर्ट के बाहरी लॉन में टीवी चैनलों के कैमरों के पास पसरे रहते हैं।

जस्टिस मिश्रा की पीठ पिछले वर्ष से इस मामले को सुन रही है। कोर्ट के आदेश पर गत वर्ष 1,37,000 शिक्षामित्रों को समायोजित कर उत्तर प्रदेश में प्राथमिक शिक्षक के पद पर लिया गया है।
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