72825 भर्ती और शिक्षामित्र केस दोनों ही हैं एनसीटीई कटघरे में: मिशन सुप्रीम कोर्ट

27 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट में होने वाली सुनवाई एनसीटीई के लिए एक बार फिर कड़ी परीक्षा ले कर आ रही है।
शिक्षामित्र प्रशिक्षण और निर्धारित योग्यता पर तो उसे जवाब देना ही है, साथ ही 72825 भर्ती मामले में भी सुप्रीम कोर्ट के 4 सवालों के जवाब देना हैं। जो एनसीटीई का भविष्य तय करेंगे।

गौरतलब है 'एनसीटीई को शिक्षकों की योग्यता निर्धारित करने का अधिकार नहीं है' बेसिक एजुकेशन बोर्ड उत्तर प्रदेश वर्सिस उपेन्द्र राय एंड अदर्स के मामले में माननीय उच्च न्यायालय ने 2010 में ये फैसला दिया, उसके बाद यह बेहद जरूरी हो गया कि एनसीटीई की शक्तियों को पुनः परिभाषित किया जाय। और ये कि नेशनल काउंसिल फार टीचर एजुकेशन भूमिका क्या होगी और किस तरह से वो अपने काम को आगे ले कर जाएगी। इसके हल के लिए केंद्र सरकार ने 31मार्च 2010 को एनसीटीई को शैक्षिक प्राधिकारी नियुक्त कर दिया।
लेकिन एनसीटीई ने उपेन्द्र राय केस से कोई सबक नहीं लिया और 72825 भर्ती के केस में
●02.11.2015 को सुप्रीम कोर्ट ने एनसीटीई से ये पूछना पड़ा कि:-
a) Whether the NCTE Guidelines fixing the minimum
qualification are arbitrary and unreasonable?
न्यूनतम योग्यता तय करने के लिए एनसीटीई के दिशा निर्देश क्या मनमाने और अनुचित हैं?
✍संभवतः इस का जवाब एनसीटीई दे चुकी होगी अन्यथा की स्थिति में 27 जुलाई में होने वाली सुनवाई तक दाखिल कर देगी।
इस सवाल का शिक्षामित्र समायोजन केस से भी सीधा सम्बन्ध है। और एक बार फिर "मिशन सुप्रीम कोर्ट" समूह एनसीटीई को कटघरे में खड़ा करने वाला है। सुप्रीम कोर्ट में एनसीटीई का जवाब दाखिल होने पर दो बड़े सवाल हल होंगे।
1■एनसीटीई की वैधानिक स्थिति और उससे जुडी उसकी न्यूनतम अर्हता तै करने की शक्ति स्पष्ट होगी।
2■दूसरी बात एनसीटीई अधिनियम 1993 में किये गए संशोधन का शिक्षामित्रों के सम्बन्ध में क्या स्टैंड है। और ये भी कि एनसीटीई ने भर्ती के नियमों में छूट अलग अलग राज्यों के लिए अलग अलग तरह की क्यों दी।
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