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७२,८२५ भर्ती पहले से ही अत्यधिक समयसीमा को पार करने के वाबजूद अभी और बिलंब की स्थिति में

इस समय सभी अचयनित मित्र जो अपने चयन की उम्मीद लिये बैठे हैं, जिसका प्रमुख आधार ७२,८२५ में समय-समय पर उक्त जिलों की कटऑफ मात्र है। सुप्रीम कोर्ट की २७ जुलाई को आगामी सुनवाई के दबाव में जून माह के अंतिम सप्ताह से शासन द्वारा कटऑफ निकालने का सिलसिला शुरू हुआ।
इससे पहले कि डायट प्रशासन ७२,८२५ की और पूरा ध्यान दे पाता कि १५ हजार भर्ती का कोर्ट से त्वरित गति से नियुक्ति पत्र बांटने का आदेश हो गया, सभी डायट कर्मचारी १५ हजार की भर्ती का नियुक्ति पत्र बांटने में व्यस्त हो गये। इससे पहले कि १५ हजार की भर्ती से फुर्सत पाते कि १६,४४८ की भर्ती के आवेदन जमा होने लगे और इनका तय समय में नियुक्ति पत्र तक बांटने तक का आदेश शासन से हो गया। इससे पहले कर्मचारी पुनः ७२,८२५ पर ध्यान देते कि तभी शासन ने ७२,८२५ में अब तक भरे पदों का शपथ पत्र सहित डाटा सौंपने का आदेश जारी कर दिया। अब अधिकारी और कर्मचारी जो तमाम तरह कि अनियमितताओं में संलिप्त हैं, अपनी गर्दन बचाने में जुट गये हैं क्योंकि २७ जुलाई की आगामी सुनवाई को अब ज्यादा दिन भी नहीं बचे और माननीय उच्चतम न्यायालय में इन्हैं स्वयं को निर्दोष, पाक-साफ, बेहद ईमानदार और कर्मठशील जो घोषित करना है।
जहाँ तक मेरी जानकारी में है लखीमपुर समेत समस्त जिलों की कटऑफ शिक्षामित्र सीट जुड़कर कई गुने में बनकर करीब १५ दिन पहले ही तैयार हो चुकी हैं। करीब एक दर्जन जिले अभी तक कटऑफ निकाल भी चुके हैं, मगर सामान्य अभ्यर्थियों के रिशफलिंग के मुद्दे पर तथा बिना पूर्व में काउन्सिलिंग के प्रत्यावेदन पर काउन्सिलिंग को मान्य कराने पर अभ्यर्थियों के उपजे नये बवाल से बाकी कई जिलों की डायटों ने २७ जुलाई के बाद कटऑफ जारी करने का मन बना लिया है।
इसका प्रमुख कारण है कि माननीय उच्चतम न्यायालय के १०५/९० के क्राईटेरिया का आदेश और २०११ के विज्ञापन की शर्तों का मेल नहीं बैठना है, २०११ के विज्ञापनुसार ७२,८२५ भर्ती में अभी करीब ४५०० सौ क्राईटेरिया प्रभावितो की सीटों को लॉक कर समस्त जिले कटऑफ निकाल रहे हैं। जबकि जो अभ्यर्थी क्राईटेरिया प्रभावित नहीं है, वो १०५/९० के क्राईटेरिया पर समस्त ७२,८२५ पद भरवाना चाहते हैं, जबकि ऐसा होना माननीय न्यायालय के मात्र अंतरिम आदेश से होना असंभव है क्योंकि शासन ये भलीभांति जानता है कि सुप्रीम कोर्ट का १०५/९७ का अंतरिम आदेश बदलकर जब १०५/९० का हो सकता है, तो १०५/९० का आदेश बदलकर भारतीय राजपत्र और एनसीटीई के मानकानुसार ९०/८३ का क्यूँ नहीं हो सकता जिसमें सभी अभ्यर्थियों से २०११ में आवेदन लिये गये थे??
यही कारण है कि लखीमपुर और सीतापुर जिलों में क्राईटेरिया प्रभावितो की करीब १४००-१४०० सीट पर डायट प्रशासन कोई फैसला लेने पर मजबूर है। और कटऑफ तैयार होने के पश्चात भी माननीय सुप्रीम कोर्ट का क्राईटेरिया पर स्पष्ट आदेश आने का इंतजार कर रहे हैं, यही कारण है कि ७२,८२५ भर्ती पहले से ही अत्यधिक समयसीमा को पार करने के वाबजूद अभी और बिलंब की स्थिति में आ गई है।
मगर तब भी कुछ जिले अभी दस दिन की अवधि में कटऑफ जारी कर सकते हैं, सो धैर्य खोने की आवश्यक्ता नहीं है।
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