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हिमांशु राणा ने 24 तारीख की सुनवाई के लिए बनाई रणनीति

कई प्रश्न हैं क्या होगा, कैसे होगा जो आजकल सोशल मीडिया पर तैर रहे हैं कुछ निराशावादी हैं तो कुछ आशावादी, कुछ अफ़वाहों पर ध्यान दे रहे हैं कुछ अफ़वाह फैलाने में व्यस्त हैं, कुछ एकता के परिचायक बन रहे हैं कुछ हमेशा की भाँति अपने काम में व्यस्त हैं
बेरोज़गारों को किए गए और उनसे लिए गए धन के वादेनुसार, कुछ अब इस केस से लुप्त होना चाहते हैं क्यूँकि जिस उद्देश्य को लेकर वो याची बनाने के युद्ध में उतरे थे वो पूरा कर लिए हैं, कुछ अपने आगामी होने वाली परीक्षा के कार्यक्रम में व्यस्त हो गए हैं सबकुछ भुलाकर |

ख़ैर सभी अपने अपने तरह से अपने अनुसार कई गतिविधियों में लिप्त हैं लेकिन जितनी भी पोस्ट आई हैं सभी में एक ही प्लान है या स्वार्थ साधने हेतु अन्य व्यवस्था जबकि आपकी ये टीम जो आपसे वादे किए थी कि शिक्षा मित्रों का समायोजन एवं प्रशिक्षणअ अवैध कराकर समस्त टेट उत्तीर्ण की नियुक्ति कराना ये ही लक्ष्य था , है और रहेगा अंत तक और उसी की तरफ़ अग्रसर है अपनी याचिकाओं को लेकर |

फ़िलहाल मैं उत्तर-प्रदेश के तमाम बेरोज़गारों से ऐसी प्रजाति के लोगों से पुनः प्रश्न करने को कहूँगा जो बिना शिक्षा मित्रों को बाहर किए आपको नियुक्ति पत्र के सपने दिखाए हैं और आपसे वादा किए थे कि शिक्षा मित्रों पर सबसे ज़्यादा प्रभावी पैरवी उन्ही के द्वारा की जाएगी , कौन सी याचीका (आईए नहीं) है उनकी शिक्षा मित्रों के ख़िलाफ़?
जवाब मिल जाए तब जानिएगा कि किस प्रकार अपने स्वार्थ सिद्ध किए गए हैं उनके द्वारा?

फ़िलहाल की दशा में आपको अवगत करा दूँ कि चाहे कुछ हो जाए शिक्षा मित्रों के समायोजन को जितना ख़तरा हमारी याचिका और पैरवी से है उतनी किसी अन्य से नहीं जिसका नज़ारा आप सोशल मीडिया पर इस मुद्दे पर उनके निरुत्तर होने पर देख सकते हैं इसके अलावा अगर इतने पर भी यक़ीन न आए तो किसी भी पड़ोसी शिक्षा मित्र से जाकर हिमांशु या उसकी टीम का नाम ले देना वो बता देंगे कि वे अपना वेतन भी ज़हर की भाँति पचा रहे हैं |

मैं आज की पोस्ट बस आपको इतना अवगत कराने के लिए डाला हूँ अग्रिम पैरवी के लिए आप चाहे कितने निराशावादी हो जाएँ या कुछ भी हो जाए हिमांशु और उसकी टीम कभी भी मुद्दे से नहीं हटेगी जैसा कि बताया भी है शिक्षा मित्र योजना का ख़ात्मा और समस्त टेट उत्तीर्ण की नियुक्ति बस इंतजार है तो सुनवाई होने का, पिछले आठ माह से सुनवाई न होना आप का केवल मानसिक नुक़सान नहीं है बल्कि आपसे जो धन लिया गया है पैरवी के लिए और हमारे द्वारा कोर्ट कारवाई में ख़र्च हो रहा है उसका भी नुक़सान है इस बात को आप अन्यथा न लें पैरवी अंत तक की जाएगी, एक ये ही टीम है जो आपके द्वारा दिए गए धन का दुरुपयोग होता देख आपको सचेत करती आ रही है और प्रभावी पैरवी वरिष्ठ अधिवक्ताओं के पैनल को लेकर भी कर रही वो भी वही अधिवक्ता रखते हैं जो हर तिथि पर कोर्ट में मौजूद रहकर पूरे मामले को समझ चुके हैं इस पूरे महासमर में दो ही टीम ऐसी हैं एक हमारी और एक कपिल को जो आसानी से अधिवक्ता मात्र इसलिए ही नहीं बदलती है ताकि नए अधिवक्ता को समझाने और कोर्ट के माहौल से अवगत कराने में दिक़्क़त न हो जबकि टेट मोर्चे के रहमोकरम का अनुसरण कर रहे कुछ पैरविकार ऐसे भी हैं जो ज़िले में नाम दस पंद्रह लाख के अधिवक्ता का बताते हैं और वहाँ जाकर दो-चार लाख में डेट लेते हैं और अगली तिथि पर फिर नया और वो भी शायद ही कोर्ट पहुँचें लेकिन यहाँ अधिवक्ता भी रहते हैं और उनके नाम भी |

फ़िलहाल महादेव का आशीर्वाद रहा तो इस बार मुद्दे को फ़ाइनल तौर पर सुना जाना तय है बाक़ी अभी कोर्ट proceedings देखते हैं |

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