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12091 एक यात्रा व आज के ज्वलन्त विंदु ????????????????????

सच को कुछ समय के लिए दबाया तो जा सकता है,किन्तु इसे मिटाया नही जा सकता है।
यही हुआ है 12091 कि लिस्ट के साथ। इस लिस्ट की वैधानिकता के बावजूद कोई भी बड़ा टेट नेता इसके पक्ष में नजर नही आया।
पटाखा पांडेय जैसे कुछ स्वार्थी तत्व आगे जरूर आये लेकिन इनके अंदर न तो लीड करने की काबिलियत थी न ही नियत ये तो मनोज मौर्या जैसे उत्साहित बेरोजगारों को बलि का बकरा बनाकर धनार्जन करना चाहते थे।यद्यपि इसके लिए भी वांछित काबिलियत पटाखा पांडेय नही रखते थे।लेकिन पटाखा के नेता बनने के इन प्रयोगों के दौरान मनोज मौर्या ने अपने लक्ष्य के लिए संघर्ष करना सीख लिया था।फलस्वरूप 12091 की लिस्ट के प्रकाशन के बाद पटाखा पांडेय जैसे दो - चार तत्व जो और वहाँ अपने गुप्त मंसूबे छिपाए बैठे थे ने भी अपने आप को बतौर नेता प्रोजेक्ट करने के लिए अपनी अपनी चाल चली। इन सब का नाम लेना भी मैं यहाँ उचित नही समझता लेकिन जो भी इस संघर्ष में साथी रहे है वो सब इसारे-इसारे में ही सब समझ चुके होंगें।
अतः 12091 की लिस्ट को लेकर जितना उत्साह लिस्ट में नाम आने के बाद हमारे साथियो में था, वह बड़े याची नेताओ और पटाखा जैसे अराजक तत्वो के इन हरकतों से कम होने लगा । और दूर -दराज से धरने के समर्थन में आये साथी अपने चयन को लेकर निरास होने लगे थे। इन हालातों में मनोज ने न केवल धरने को संभाला बल्कि इस लिस्ट की न्यायिक लड़ाई की जिम्मेदारी अपने हाथों में ली थी
आज तक कि 12091 की न्यायिक लड़ाई का इतिहास यही बताता है कि 12091 की लिस्ट की विशेषताओं को लोगो को बताकर पूरे प्रदेश में बिखरे साथियो तक अपनी पहुँच बनाने की कोशिश के साथ ही लिस्ट को नियुक्ति दिलाने के लिए कोर्ट ऑफ कंटेम्प्ट करने तथा लगातार मामले की पैरवी करने का एकमात्र जिम्मा मनोज मौर्य टीम द्वारा ही उठाया गया है।
कुछ स्वार्थी तत्वों ने लिस्ट की आलोचना करने के बाद भी पैसे की लालच में हमारे कई साथियो से कंटेम्प्ट के नाम पर पैसा लिया जरूर लेकिन या तो कंटेम्प्ट डाला ही नही या कंटेम्प्ट डालकर उसको भाग्य भरोसे छोड़ दिया।और कभी किसी वकील की जरूरत ही नही समझा। बस सहयोग लेना नही भूलते थे 12091 कि लिस्ट की पैरवी के लिए।
दूसरी तरफ मनोज मौर्य टीम प्रदेश भर से बमुश्किल 2-3 सौ सक्रिय साथियो की मदद से आर्थिक सहयोग प्राप्त कर एक मात्र मुहिम में जुटी रही कि किस तरह 12091 की इस लिस्ट को अपने सीमित संशाधनों में भी कोर्ट की खर्चीली पैरवी में बेहतर से बेहतर तरीके से प्रभावी जीत में तब्दील किया जाय। इसके लिए टीम ने कंटेम्प्ट के साथ आई ए फ़ाइल करने से लेकर लगातार बेहतर से बेहतर जो अवसर आने पर पूरी दमदारी से अपनी बात कोर्ट में रख सके ऐसे वकीलों को भी खड़ा करती आई है।
इन सब हमारे टीम के प्रयत्नों का साक्षी बना 27 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ऑफ इंडिया। जब तीन घंटे तक चली बहस में अधिकांश समय तक 12091 कि लिस्ट का मुद्दा ही जिरह के केंद्र में रहा। इस बात की पुष्टि आप किसी भी बड़े टेट नेता जैसे मयंक तिवारी,गणेश दीक्षित, यस के पाठक सहित तमाम लोगो की पोस्टों से कर सकते है।
रही बात इसकी कि 12091 की लिस्ट को नियुक्ति का आर्डर जज साहब ने दिया कि नही तो इसकी प्रामाणिक पुष्टि तो आर्डर आने पर ही हो सकती है। लेकिन कोर्ट रूम की बहस में शामिल प्रत्येक व्यक्ति ने कल 12091 की लिस्ट की वैधानिकता का जलवा देख लिया है। हम तो सदैव से यही बात अपने साथियों को समझाते रहे कि 12091 लिस्ट को सरकार ने उसी मसीनरी से तैयार कराया है जो 72825 की भर्ती प्रक्रिया के लिए लगाई गई है अतः यदि ये लिस्ट गलत है तो सरकार की ये पूरी 72825 की नियुक्ति भी गलत है। इसीलिए आलोचना व उपेक्षा से डरे बिना हमारी टीम ने अनवरत 12091 के लिए अपना सर्वोत्तम किया है।
इतना जरूर है कि इस लिस्ट को लेकर प्रदेश भर में भ्रम का ऐसा माहौल बनाया गया कि हमारी लिस्ट के साथी ही, याची लाभ के लिए आर्थिक सहयोग तो खुशी-खुशी दे देते थे।। किंतु हमे सहयोग देने में ढेर सारा संसय व सवाल दागते थे। खैर ये विषय अब खाफी पीछे छूट चुका है।
अब वर्तमान में विचारणीय बिंदु केवल इतना है कि अब जब लड़ाई में केवल 12091 ही बचा है तो इसको आगे कैसे मजबूती दी जाय, कि कोर्ट में 12091 के पक्ष में दी गयी दलील की एक एक बात आर्डर में लिखी जाय ताकि इसको इग्नोर करने का ख्याल ही संजय सिन्हा के जेहन से सदा सदा के लिए निकल जाये।
अतः अब 12091 के सभी साथियो से मनोज मौर्या टीम का विन्रम अनुरोध है कि चाहे आपका नाम कंटेम्प्ट में हो या न हो आप भी हमारी आगामी मीटिंग में आकर संभावित जीत की खुशबू ले, और आगे की लड़ाई में हमारी टीम का साथ देकर अपना प्रायश्चित जरूर कर लीजिए।
यदि टीम का आर्थिक सहयोग करने वाले साथी भी आपकी तरह दूसरे की बात मानकर घर बैठ जाते तो कानून के तत्व ज्ञानी मूर्खाधिराज पटाखा पांडेय जैसे दर्जनों कानूनविद जो कह रहे थे कि अंतरिम आदेश पर कंटेम्प्ट नही होता है के अल्पज्ञान के चलते हम सब की नियुक्ति भी खटाई में डाल देते। ये तो भला हो हमारी टीम का जिसने समय रहते जिम्मेदारी को अपने कंधों पर उठा लिया।
अब जब 12091 कि जीत की खुशबू आने की घोषणा प्रदेश भर के बड़े याची नेताओ ने भी कर दी है तो फिर कुछ नए तत्व ज्ञानी पैदा हो गए है जो ऑर्डर रिजर्व होने के बाद से ही सवाल पूछ रहे है कि ?????
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