दिल्ली। यूपी में सहायक शिक्षक बने 66000 लोगों के लिए सुप्रीम कोर्ट ने राहत की खबर दी है। गुरुवार को एक फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने सहायक शिक्षक भर्ती मामले में अपना फैसला सुरक्षित रखा। कोर्ट ने कहा कि अब जिनकी भर्ती हो चुकी है उन्हें बरक़रार रखा जायेगा। कोर्ट ने यह फैसला सुनाते वाट भर्ती के मानकों को तय कर दिए।
मानक निर्धारित करते हुए कोर्ट ने कहा था कि सहायक शिक्षकों की भर्ती का मानदंड सिर्फ टीईटी होगा या फिर एकेडेमिक मेरिट मानक होगी। इस मामले मे उत्तर प्रदेश सरकार ने हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीमकोर्ट में चुनौती दी है। गुरुवार को न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल व न्यायमूर्ति यूयू ललित की पीठ ने मामले में फैसला सुरक्षित रखते हुए साफ किया कि कोर्ट अभी तक भर्ती हो चुके 66000 शिक्षकों को नहीं छेड़ेगा।
कोर्ट ने यह भी कहा कि वो अपने अंतरिम आदेश में कोई बदलाव नहीं कर रहा है। इससे पहले प्रदेश सरकार की ओर से वकील दिनेश द्विवेदी और राकेश मिश्रा ने हाईकोर्ट के फैसले का विरोध किया और कहा कि टीईटी को शिक्षक योग्यता का एकमात्र मानक नहीं माना जा सकता इसे भर्ती में 10 या 20 फीसद महत्व दिया जा सकता है लेकिन ये एकमात्र आधार नहीं हो सकता।
सरकार द्वारा एकेडमकि मेरिट को आधार मानना ठीक है। उन्होंने यह भी कहा कि भर्ती के मानक तय करना सरकार के कार्यक्षेत्र में आता है क्योंकि ये विषय राज्य सूची का है। दूसरी और सहायक शिक्षकों की ओर से पेश वकील अमरेन्द्र शरण और जीतेन्द्र कुमार त्रिपाठी ने हाईकोर्ट के फैसले को सही ठहराते हुए कहा कि टीईटी ही मानक होना चाहिए।
वहीँ कोर्ट ने शिक्षा मित्रों के मामले को अलग करते हुए उसकी सुनवाई के लिए 2 मई का दिन निर्धारित किया। कुल 169000 शिक्षामित्रों के समायोजन का यह मामला है। अभी तक 137000 शिक्षामित्र समायोजित हो चुके है।
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कोर्ट ने यह भी कहा कि वो अपने अंतरिम आदेश में कोई बदलाव नहीं कर रहा है। इससे पहले प्रदेश सरकार की ओर से वकील दिनेश द्विवेदी और राकेश मिश्रा ने हाईकोर्ट के फैसले का विरोध किया और कहा कि टीईटी को शिक्षक योग्यता का एकमात्र मानक नहीं माना जा सकता इसे भर्ती में 10 या 20 फीसद महत्व दिया जा सकता है लेकिन ये एकमात्र आधार नहीं हो सकता।
सरकार द्वारा एकेडमकि मेरिट को आधार मानना ठीक है। उन्होंने यह भी कहा कि भर्ती के मानक तय करना सरकार के कार्यक्षेत्र में आता है क्योंकि ये विषय राज्य सूची का है। दूसरी और सहायक शिक्षकों की ओर से पेश वकील अमरेन्द्र शरण और जीतेन्द्र कुमार त्रिपाठी ने हाईकोर्ट के फैसले को सही ठहराते हुए कहा कि टीईटी ही मानक होना चाहिए।
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