उत्तर प्रदेश की समाजवादी सरकार ने अपढ़ अज्ञानता का परिचय देते हुए नियमो का किया था सत्यानाश और आज सुप्रीम कोर्ट में अकादमिक व् शिक्षा मित्र लड़ रहे हैं अपना केस
सपा सरकार ने मूर्खता की पराकाष्ठा करते हुए सामान्य नियमो को इतना उलझाया की उसकी अधिकांश भर्तियां हाई कोर्ट सुप्रीम कोर्ट में फंसी , जबकि मायावती सरकार के टेट मेरिट से भर्ती के नियमो की काट सपा सरकार सत्ता में रहते नहीं निकाल सकी थी और इसी कारण उसकी 72825 शिक्षकों की अकादमिक अंको से भर्ती अटक गयी |
और मुश्किल दे गयी अन्य अकादमिक अंको से भर्तियों को व शिक्षा मित्र की भर्तियों को |
हालाँकि जूनियर शिक्षक अकादमिक अंक धारियों ने मुश्किल हालातों से जूझते हुए अपनी भर्ती को कोर्ट में बचाया / बचाये रखा |
मायावती सरकार ने भी 72825 भर्ती में शिक्षा मित्रों की भर्ती का प्रावधान रखा था, लेकिन सपा सरकार ने नियमो को तोड़ मरोड़ तोड़ मरोड़ तोड़ मरोड़ कर ऐसा
हाल किया की शिक्षा मित्रों की भर्ती हाई कोर्ट से रद्द हुई |
NCTE ने बहुत ही सरल नियम बनाया था -
1. टेट परीक्षा के अंको का वेटेज /अधिभार चयन प्रक्रिया में दिया जाए |
2. अभ्यर्थी टेट परीक्षा में पुन : बैठ कर अंक वृध्दि कर सकते हैं |
लेकिन सपा सरकार और उसके अफसर ऐसे अपढ़ अज्ञानी निकले , जो हर तरह से मनमानी पर उतारू हो गए और टेट परीक्षा के अंको का 1 % वेटेज भी चयन प्रक्रिया में नहीं दिया और अभ्यर्थियों की जिंदगी बर्बाद करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी |
चलो मान लेते हैं की UPTET 2011 में धांधलियां / विसंगति थी तब भी सपा सरकार UPTET 2011 रद्द नहीं कर पायी और हाई कोर्ट में भी मुँह की खाई क्योकी बेहद उम्दा परीक्षा UPTET 2011 में धांधली साबित करने में नाकामयाब रही |
चलो सपा सरकार को लगा की UPTET 2011 में धांधली थी और धांधली को न्यून करने के लिए UPTET 2011 को सिर्फ पात्रता परीक्षा घोषित कर दिया अर्थात इसके अंको का वेटेज चयन प्रक्रिया में नहीं लेंगे |
लेकिन इसने अन्य टेट परीक्षाओं को भी सिर्फ पात्रता परीक्षा बना दिया , क्या उसमे भी धांधली ली थी |
जिद्दी अभिमानी सरकार ने थोड़ा सा भी अकल लगा कर काम कर दिया होता , मसलन सामान्य वेटेज 1 -2 % या चयन प्रक्रिया में समान अकादमिक अंको पर
अधिक टेट वाले को चुनना / वरिष्ठता इत्यादि तो भी मुश्किल नहीं होती , लेकिन जिद्द करनी है चाहे लाखों लोग मुश्किल में फंसे |
उस समय मीडिया भी जिद्दी हो कर लिखता रहता था की टेट पात्रता परीक्षा है , अगर यह सिर्फ पात्रता परीक्षा होती तो इसके अंको के वेटेज से कोई भी राज्य सरकार भर्ती नहीं करती |
अब अकादमिक अंको से भर्ती का तोड़ इस बात में निहित दिखता है की -
अगर यह साबित होता है की टेट परीक्षा के अंको का मिनिमम वेटेज - दिल्ली सरकार शिक्षक भर्ती , के वी एस , एन वी एस शिक्षक भर्ती इत्यादि की तर्ज पर
दिया है , जो की टेट परीक्षा के अंको के आधार (उत्तीर्ण ) पर अभ्यर्थी को चयन प्रक्रिया में प्रतिभाग करने का अवसर देता है , और राज्य सरकार को टेट अंको का मिनिमम वेटेज देने का अधिकार प्राप्त है |
इस सपा सरकार ने तो एल टी शिक्षक भर्ती में भी टेट को दरकिनार कर भर्ती की , जबकि राजकीय कॉलेज में एल टी शिक्षक कक्षा 6 से 10 तक पढ़ाते हैं , और सभी जगह TGT शिक्षक (कक्षा 6 से 10 तक ) के TET अनिवार्य रूप से माँगा गया
लेकिन सपा तो सपा है
नियम कानून में ओवर राइडिंग इफेक्ट बहुत महत्वपूर्ण होता है , मसलन केंद्र सरकार संविधान में कोई संसोधन करे तो देश में सभी उपक्रम / संस्थाओं पर वह
स्वत: लागु हो जाता है , UP सरकार तो RTE कानून लागु करने के लिए सर्कुलर जारी कर चुकी है और NCTE उसकी नियामक /रेगुलेटरी संस्था /बॉडी है |
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ख़बरें अब तक - 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती - Today's Headlines
सपा सरकार ने मूर्खता की पराकाष्ठा करते हुए सामान्य नियमो को इतना उलझाया की उसकी अधिकांश भर्तियां हाई कोर्ट सुप्रीम कोर्ट में फंसी , जबकि मायावती सरकार के टेट मेरिट से भर्ती के नियमो की काट सपा सरकार सत्ता में रहते नहीं निकाल सकी थी और इसी कारण उसकी 72825 शिक्षकों की अकादमिक अंको से भर्ती अटक गयी |
और मुश्किल दे गयी अन्य अकादमिक अंको से भर्तियों को व शिक्षा मित्र की भर्तियों को |
हालाँकि जूनियर शिक्षक अकादमिक अंक धारियों ने मुश्किल हालातों से जूझते हुए अपनी भर्ती को कोर्ट में बचाया / बचाये रखा |
मायावती सरकार ने भी 72825 भर्ती में शिक्षा मित्रों की भर्ती का प्रावधान रखा था, लेकिन सपा सरकार ने नियमो को तोड़ मरोड़ तोड़ मरोड़ तोड़ मरोड़ कर ऐसा
हाल किया की शिक्षा मित्रों की भर्ती हाई कोर्ट से रद्द हुई |
NCTE ने बहुत ही सरल नियम बनाया था -
1. टेट परीक्षा के अंको का वेटेज /अधिभार चयन प्रक्रिया में दिया जाए |
2. अभ्यर्थी टेट परीक्षा में पुन : बैठ कर अंक वृध्दि कर सकते हैं |
लेकिन सपा सरकार और उसके अफसर ऐसे अपढ़ अज्ञानी निकले , जो हर तरह से मनमानी पर उतारू हो गए और टेट परीक्षा के अंको का 1 % वेटेज भी चयन प्रक्रिया में नहीं दिया और अभ्यर्थियों की जिंदगी बर्बाद करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी |
चलो मान लेते हैं की UPTET 2011 में धांधलियां / विसंगति थी तब भी सपा सरकार UPTET 2011 रद्द नहीं कर पायी और हाई कोर्ट में भी मुँह की खाई क्योकी बेहद उम्दा परीक्षा UPTET 2011 में धांधली साबित करने में नाकामयाब रही |
चलो सपा सरकार को लगा की UPTET 2011 में धांधली थी और धांधली को न्यून करने के लिए UPTET 2011 को सिर्फ पात्रता परीक्षा घोषित कर दिया अर्थात इसके अंको का वेटेज चयन प्रक्रिया में नहीं लेंगे |
लेकिन इसने अन्य टेट परीक्षाओं को भी सिर्फ पात्रता परीक्षा बना दिया , क्या उसमे भी धांधली ली थी |
जिद्दी अभिमानी सरकार ने थोड़ा सा भी अकल लगा कर काम कर दिया होता , मसलन सामान्य वेटेज 1 -2 % या चयन प्रक्रिया में समान अकादमिक अंको पर
अधिक टेट वाले को चुनना / वरिष्ठता इत्यादि तो भी मुश्किल नहीं होती , लेकिन जिद्द करनी है चाहे लाखों लोग मुश्किल में फंसे |
उस समय मीडिया भी जिद्दी हो कर लिखता रहता था की टेट पात्रता परीक्षा है , अगर यह सिर्फ पात्रता परीक्षा होती तो इसके अंको के वेटेज से कोई भी राज्य सरकार भर्ती नहीं करती |
अब अकादमिक अंको से भर्ती का तोड़ इस बात में निहित दिखता है की -
अगर यह साबित होता है की टेट परीक्षा के अंको का मिनिमम वेटेज - दिल्ली सरकार शिक्षक भर्ती , के वी एस , एन वी एस शिक्षक भर्ती इत्यादि की तर्ज पर
दिया है , जो की टेट परीक्षा के अंको के आधार (उत्तीर्ण ) पर अभ्यर्थी को चयन प्रक्रिया में प्रतिभाग करने का अवसर देता है , और राज्य सरकार को टेट अंको का मिनिमम वेटेज देने का अधिकार प्राप्त है |
इस सपा सरकार ने तो एल टी शिक्षक भर्ती में भी टेट को दरकिनार कर भर्ती की , जबकि राजकीय कॉलेज में एल टी शिक्षक कक्षा 6 से 10 तक पढ़ाते हैं , और सभी जगह TGT शिक्षक (कक्षा 6 से 10 तक ) के TET अनिवार्य रूप से माँगा गया
लेकिन सपा तो सपा है
नियम कानून में ओवर राइडिंग इफेक्ट बहुत महत्वपूर्ण होता है , मसलन केंद्र सरकार संविधान में कोई संसोधन करे तो देश में सभी उपक्रम / संस्थाओं पर वह
स्वत: लागु हो जाता है , UP सरकार तो RTE कानून लागु करने के लिए सर्कुलर जारी कर चुकी है और NCTE उसकी नियामक /रेगुलेटरी संस्था /बॉडी है |
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