26 अप्रैल को होने वाली सुनबाई हेतु बडे भाई सदनानंद मिश्र जी के कलम से...........

टी ई टी से संबंधित दिव्य आत्माओ।
आप सभी मित्र प्रबुद्ध की श्रेणी में आते है।आप अपने हित अहित के विषय में सर्वोत्तम सोचने के क्षमता से परिपूर्ण है। आज मैं एक विचार आप सभी से साझा करना चाहता हूं।सकारात्मक और नकारात्मक विचार दो प्रकार के होते है।चिंतनशील मानव हमेशा सकारात्मक विचारों का पोषक रहा है।और यही वास्तविकता से भी हमे परिचित कराती है।
अब बाते करते है कि एक प्रबुद्ध व्यक्ति कैसे सकारात्म और नकारात्मक में भेद करता है।यदि रास्ते मे दो पत्थर की मूर्तियां पड़ी है जिसमे एक भगवान राम की और एक रावण की तो हम जब भी मूर्ति को घर ले जाएंगे निश्चित रूप से वो भगवान राम की ही ले जाएंगे।.
अब पुनः इसे दूसरे रूप में समझने की चेष्टा करते है।रास्ते मे दो मुर्तिया है एक राम की और दूसरी रावण की लेकिन इसमे राम की मूर्ति पत्थर की और रावण की मूर्ति सोने की।अब यही व्यक्ति की चिंतनशीलता देखने योग्य है।यहाँ जो होशियार होगा वह रावण की सोने वाली मूर्ति उठाएगा और जो प्रबुद्ध होगा वह पत्थर वाली राम की मूर्ति उठाएगा।
मेरे समझ से जिसने सोने वाली रावण की मूर्ति को घर ले जाने का प्रयास किया उसने तात्कालिक रूप आर्थिक लाभ को देखा और अपने भविष्य के लाभ को गंवा दिया तथा जिसने राम की पत्थर वाली मूर्ति अपने घर ले गया वो भले ही आर्थिक रूप से तात्कालिक लाभ न ले पाया हो लेकिन अच्छे विचारों को अपने मस्तिष्क में जगह दी।
आप सभी मित्र अपने तात्कालिक लाभ रूपी होशियारी को त्याग भविष्यकलिक हित रूपी प्रबुद्धता का परिचय दे तो निश्चित ही आप सभी के साथ पूरे 72825 का कल्याण हो जाएगा।
उपरोक्त बातो का बस इतना ही सार है कि दिनांक 26 अप्रैल को होने वाली सुनबाई हेतु आप सभी मित्रों की होशियारी के चलते सहयोग राशि दिनांक 23 अप्रैल तक निराशाजनक रही है।अतः आप सभी अपनी प्रबुद्धता का परिचय देते हुए अबिलम्ब यानी कि आज ही अपना सहयोग सुनिश्चित करे।कुछ जिलाध्यक्ष जी लोग अतिहोशियारी दिखाते हुए प्रशाद वितरित करने की परिपाटी इस विषम परिस्थिति में भी बनाये हुए है।कृपया वो गंभीरता को समझे और सकारात्मकता का परिचय देते हुए अपने खजाने (निजी समपत्ति समझने का भ्रम) का मुंह खोल दे।
जय टी ई टी
सदानंद मिश्र
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