UPTET 2011 के अभ्यर्थियों की अगर ये रणनीति सफल रही तो अचायनितों को जरूर मिलेगी नौकरी

Please Read Carefully: अचयनितों के लिए रिव्यू प्रयास:
अचयानितों को कोर्ट से कुछ पाना है तो उनके द्वारा तीन अलग-अलग रिव्यू इन बिन्दुओ पर पड़नी चाहिए. = १- टेट डिग्री की वैधता और प्रथामिक में भर्ती की समय सीमी में वृद्धि, २- ७२८२५ पद में (नए या फ्रेश विज्ञापन से) कोई कटौती ना किया जाना, ३- ८३९ याचियों के आधार पर अन्य याचियों की मांग.
[यह विशेष ध्यान रखें कि रिव्यू के तहत आप कुछ भी तभीं पा सकते ही जबकि रिव्यू में कम से कम एक ऐसा प्वाइंट जरूर हो जो संवैधानिक आधार पर आदेश को इस प्रकार चुनौती दे कि कोर्ट को अपने आदेश में छेडछाड करने को बाध्य होना पड़े. अन्यथा केवल दया के आधार पर इस बेंच से कुछ भी पाना असंभव है]
१. सर्वाधिक विवादित मुद्दे याची राहत पर रिव्यू सफल होने की सबसे बड़ी चुनौती है की आदेश में कोर्ट नें ८३९ का या याची आधार का कोइ जिक्र ना करते हुए already been appointed in pursuance of the interim orders को एक वर्ग में और अन्य सभीं को not appointed वर्ग में वर्गीकृत करके आदेश को Article 14 के उलंघन से बचाने की कोशिस की है. Article 14 के अनुसार एक वर्ग वाले व्यक्तियों में कोइ विभेद नहीं किया जाना चाहिए. इस प्रकार केवल ८३९ याची के आधार पर रिव्यू का सफल होना कठिन है.
लेकिन Article 14 यह भी कहता है की यह वर्गीकरण मनमाना नहीं होना चाहिए. already been appointed in pursuance of the interim orders के तहत अधिकाँश पद काउंसलिंग कराकर भरे गए जबकि ८३९ याचियों को याची होने के आधार पर नियुक्ति दी गयी थी, जिसमें इन्हें किसी भी काउंसलिंग प्रक्रिया में शामिल नहीं होना पडा और ना ही इन ८३९ पदों के लिए अन्य योग्य प्रतिभागियों को प्रतिभाग करने का अवसर दिया गया. इन 839 पदों पर आरक्षण के नियमों का पालन भी नहीं हुआ। यह विशेष उल्लेखनीय है कि इस ८३९ में से अधिकाँश याची ना तो हाई कोर्ट में पेटिशनर थे और ना ही सुप्रीम कोर्ट में ०७.१२.१२ के बहाली के लिए दाखिल की गयी याचिका के समय याची बने थे. इन ८३९ में से अधिकाँश याची बाद की तिथियों में याची बने हैं जबकि कोर्ट में फाइनल सुनवाई चल रही थी; लेकिन सुप्रीम कोर्ट में चल रहे केस के दौरान ही बाद की अवधि में अन्य आईए पडीं तथा २४ फरवरी के आदेश में सुप्रीम कोर्ट नें उन्हें भी कंसीडर करने का राज्य को निर्देश दिया था, इसके बावजूद इन ८३९ के सामान ग्राउंड होते हुए भी फाइनल सुनवाई समाप्त होने से पूर्व बने अन्य याचियों को अस्थाई नियुक्ति प्रदान नहीं की गयी. फाइनल सुनवाई के दौरान मध्य में याची बने कुछ को याची के आधार पर नियुक्ति देकर मध्य में ही याची बनें अन्य याचियों को नियुक्ति से वंचित रखना, अन्य याचियों को " EQUAL PROTECTION OF THE LAWS" से वंचित कर रहा है. चूंकि उक्त ८३९ नियुक्त सभीं याची और सुप्रीम कोर्ट में केस चल रहे होने के दौरान बने अन्य याची एक ही वर्ग में आते हैं इसलिए सुप्रीम कोर्ट में केस चल रहे होने के दौरान बने अन्य याचियों को भी EQUAL PROTECTION OF THE LAWS के तहत नियुक्ति दी जाय. यह भी उल्लेखनीय है की जिन्हें याची राहत के तहत अस्थाई नियुक्ति दी गयी थी उनमें से अधिकाँश के टेट प्राप्तांक और मेरिट गुणांक अन्य सामान परिस्थितियों के अंतर्गत बने याचियों से कम है, जिससे अन्य याची समानता के अधिकार से वंचित हो रहे हैं.
२- न्यायालय में लंबित केस के कारण बीएड टेट पास अभ्यर्थियों के टेट पास डिग्री की समय सीमा २५ नवम्बर २०१६ को समाप्त हो चुकी है और अब बीएड अभ्यर्थियों के टेट परिक्षा में शामिल किये जाने की छूट की सीमा भी ३१ मार्च २०१४ को समाप्त हो चुकी है. उल्लेखनीय है कि प्राथमिक में नियुक्ति और टेट परिक्षा में शामिल होने के लिए बीएड टेट पास अभ्यर्थियों को ०५ वर्ष का अवसर दिया गया था जो की कोर्ट में ०६ वर्षों से अधिक समय तक लंबित मामले के कारण ख़त्म हो चुका है. कोर्ट में लंबित मामले के कारण प्राथमिक में नियुक्ति हेतु कोइ वैकेंसी नहीं आ सकी जिससे बीएड टेट पास अभ्यर्थियों को प्राथमिक में नियुक्ति हेतु प्रतिभाग करने का कोइ भी अन्य अवसर प्राप्त नहीं हो सका, जबकि प्रथामिक में एनसीटीई के मानक टेट पास प्रतयाशियों की कमी है. इसलिए अब तक बीएड टेट पास अभ्यर्थियों को माननीय सुप्रीम कोर्ट के फाइनल आदेश के तिथि से आगामी ०५ वर्षों तक प्राथमिक की आगामी वैकेंसी में नियुक्ति का अवसर प्रदान किया जाय तथा टेट २०११ पास बीएड अभ्यर्थियों के डिग्री की समयसीमा फाइनल आदेश की तिथि से ०५ वर्ष तक बढ़ा दी जाय. जिससे न्याय में विलम्ब होने की सजा इन योग्य अभ्यर्थियों को ना मिले.
३- ३.१. आदेश बिंदु २.बी के तहत 31.08.2012 को लाये गए 15 वें संशोधन और उसपर आधारित विज्ञापन को चुनौती इस आधार पर दी गयी थी की टीईटी परीक्षा में प्राप्त अंक रिक्त पदों को भरने के लिए एकमात्र कसौटी है. माननीय कोर्ट ने अपने आदेश में इस आधार को खारिज कर दिया है और 31.08.2012 के संसोधन को सही माना है. अतः इस संसोधन पर आधारित ७२८२५ की सम्पूर्ण भर्ती नए विज्ञापन के आधार पर की जानी चाहिए. ७२८२५ भर्ती का आवेदन दो बार अलग अलग आधारों पर निकाले जाने के सरकार की त्रुटियों की सजा ०६ साल से न्याय की आस जोह रहे अभ्यर्थियों को ना मिले इसके लिए अलग अलग आधारों पर निकाले जा रहे दोनों विज्ञापनों को बहाल करने की कृपा करते हुए समस्त विवाद समाप्त करने और प्रतिभागियों का अहित ना होने देने की कृपा की जाय. इस सन्दर्भ में यह संज्ञान में लेने की कृपा की जाय की बिहार में सरकार बदलने के कारण जब एक विज्ञापन को अलग अलग चयन आधारों पर निकाला गया था तो न्यायमूर्ति श्री अल्तमश कबीर जी ने दोनों अलग अलग आधारों के आधार पर दो विज्ञापन को बहाल कर प्रतिभागियों/आवेदकों के हितों की रक्षा की थी.
३.२. आदेश में कहा गया है कि कोर्ट नियुक्त हो चुके ६६६५५ लोगों को डिस्टर्ब नहीं करना चाहती है, और केवल ७२८२५-६६६५५=६१७० पदों को फ्रेश विज्ञापन से भरे जाने का आदेश पारित किया है परन्तु कोर्ट को इसपर विचार करना चाहिए की यह उन आवेदकों के साथ अन्याय है जिन्होंने केवल नए विज्ञापन से ७२८२५ पदों के लिए फ़ार्म भरा था और वे ०६ सालों से अंतिम निर्णय के बाद ७२८२५ पदों में प्रतिभाग करने के लिए प्रतीक्षा कर रहे हैं जबकि कोर्ट न्याय में ०६ साल के विलम्ब के बाद ७२८२५ पद में से उन्हें केवल ६१७० पद प्रतिभाग करने के लिए दे रही है. इस बात को ध्यान में रखते हुए कि, न्यायालय में लंबित केस के कारण बीएड टेट पास अभ्यर्थियों के टेट पास डिग्री की समय सीमा २५ नवम्बर २०१६ को समाप्त हो चुकी है और अब बीएड अभ्यर्थियों के टेट परिक्षा में शामिल किये जाने की छूट की सीमा भी ३१ मार्च २०१४ को समाप्त हो चुकी है, और वे ०६ साल से न्यायालय में लंबित मामले के कारण योग्यता रखते हुए भी आगे प्रथामिक नियुक्ति में प्रतिभाग नहीं कर पायेंगे, कोर्ट को सभीं प्रतिभागियों को सम्पूर्ण ७२८२५ पदों पर प्रतिभाग का मौक़ा देना चाहिए. यदि कोर्ट ६६६५५ नियुक्त को डिस्टर्ब नहीं करना चाहती है तो इन्हें ७२८२५ पद के अतरिक्त पदों पर नियुक्त करते हुए सम्पूर्ण ७२८२५ पद फ्रेश विज्ञापन से भरे जाने का आदेश देने की कृपा की जाय. इस सन्दर्भ में कोर्ट के सम्मुख सरकार द्वारा प्रस्तुत हलफनामें में प्राथमिक में रिक्त पदों की बड़ी संख्या और टेट पास अभ्यर्थियों की कमीं का उल्लेख को भी संज्ञान में लेने की कृपा की जाय.
३.३. कोर्ट नें इस भर्ती के लिए while upholding the said advertisement, relief has to be moulded in the light of developments that have taken place in the interregnum तथा fill up the remaining vacancies in accordance with law after issuing a fresh advertisement का आदेश दिया है जो की विरोधाभास है. एक विज्ञापन में चयन के तीन अलग अलग आधार (पुराना विज्ञापन, याची आधार फ्रेश विज्ञापन) लागू करना न्यायसंगत नहीं है. अतः समस्त प्रतिभागियों को ७२८२५ पद में प्रतिभाग करने हेतु एक ही विज्ञापन आधार पर ७२८२५ पद भरने की कृपा की जाय जिससे सभींं प्रतिभागियों को अनुछेद १४ के अनुरूप अवसर की समानता प्राप्त हो सके, तथा यदि कोर्ट चाहे तो अन्य नियुक्ति पाए लोगों को अतिरिक्त पदों पर रखते हुए उनके भी हितों का संरक्षण प्रदान करे.
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Article 14 of constitution of India says that state shall not deny to any person equlity before the law ot the "EQUAL PROTECTION OF THE LAWS" within the territory of India. EQUAL PROTECTION OF LAW MEANS THAT LAW PROVIDES EQUAL OPPORTUNITIES TO ALL THOSE WHO ARE IN SIMILAR CIRCUMSTANCES OR SITUATIONS. As its aim is to establish the Equlity of status and opportunities as embodied in the Preamble of the constitution.
Article 7 of universal declaration of human rights = all are equal before the law and are entilled without any descrimination to equal protection of the law.
सभीं अचयनित साथी अपने अपने अचयनित लीडरों के साथ मिलकर रिव्यू और मोडिफिकेशन याचिका के सारे विकल्प अवश्य आजमाएं, सफलता या असफलता ईश्वर के हाथ में है। धन्यवाद।

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