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68500 सहायक अध्यापकों की भर्ती परीक्षा में आरक्षण नियमों पर सवाल, शासनादेश में विशेष आरक्षण वर्ग के अभ्यर्थियों के लिए अर्ह अंक का जिक्र नहीं: यह गलती है या फिर रणनीति

सरकारी प्राथमिक स्कूलों में 68500 सहायक अध्यापकों की भर्ती के लिए होने जा रही लिखित परीक्षा में आरक्षण नियमों पर सवाल खड़े हो रहे हैं। परीक्षा के लिए मंगलवार को जारी शासनादेश में अन्य पिछड़ा और विशेष
आरक्षण वर्ग के अभ्यर्थियों को न्यूनतम अर्ह अंक में आरक्षण के लाभ से वंचित रखा गया है।
परीक्षा में एससी/एसटी वर्ग के अभ्यर्थियों के लिए न्यूनतम अर्ह अंक 40 प्रतिशत यानी पूर्णांक 150 में से 60 अंक रखा गया है। जबकि ओबीसी कैटेगरी के अभ्यर्थियों के लिए न्यूनतम अर्ह अंक सामान्य वर्ग की तरह 45 प्रतिशत (150 में से 67 नंबर) है।आश्चर्य की बात है कि इस परीक्षा में विशेष आरक्षण वर्ग (दिव्यांग, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी आश्रित और भूतपूर्व सैनिक) के अभ्यर्थियों के लिए अर्ह अंक का कोई जिक्र नहीं है। जबकि विशेष आरक्षण वर्ग के अभ्यर्थियों को एससी/एसटी व ओबीसी वर्ग के अभ्यर्थियों की तरह ही आरक्षण का लाभ मिलता है। यही नहीं, परीक्षा नियामक प्राधिकारी की ओर से 15 अक्तूबर 2017 को आयोजित उत्तर प्रदेश शिक्षक पात्रता परीक्षा (यूपी-टीईटी) में एससी/एसटी के साथ ओबीसी और विशेष आरक्षण वर्ग के अभ्यर्थियों को न्यूनतम अर्ह अंक में पांच प्रतिशत की छूट दी गई थी। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यह है कि एक ही संस्था (परीक्षा नियामक प्राधिकारी) की ओर से कराई जा रही दो परीक्षा में आरक्षण के नियम अलग-अलग कैसे हो सकते हैं। हालांकि कानून के जानकार इसे गलत नहीं मानते। उनका कहना है कि भर्ती की शर्तें तय करने का अधिकार नियोक्ता का है।

भर्ती की शर्त तय करने का अधिकार नियोक्ता का है। विभिन्न वर्गों के लिए न्यूनतम अर्ह अंक तय करने का अधिकार पूरी तरह से सरकार के पास है।-राधाकान्त ओझा, वरिष्ठ अधिवक्ता हाईकोर्टयह ओबीसी और विशेष आरक्षण वर्ग के अभ्यर्थियों के साथ भेदभाव है। टीईटी और शिक्षक भर्ती की लिखित परीक्षा दोनों ही अर्हकारी है। ऐसे में दो अलग-अलग पैरामीटर कैसे लागू कर सकते हैं।-सीमान्त सिंह, अधिवक्ता हाईकोर्ट

शिक्षक भर्ती परीक्षा में पारदर्शिता की मांग को लेकर बुधवार परीक्षा नियामक प्राधिकारी दफ्तर में ज्ञापन देने पहुंचे अभ्यर्थी।
शिक्षक भर्ती की लिखित परीक्षा से उर्दू भाषा को हटाने से इस भाषा की पढ़ाई करने वालों में आक्रोश है। बेरोजगारों का कहना है कि सरकार ने यूपी-टीईटी 2017 में हिन्दी, अंग्रेजी व संस्कृत के साथ उर्दू भाषा का भी विकल्प दिया था। लेकिन जब शिक्षक पद पर नौकरी देने के लिए परीक्षा कराने का समय आया तो इन्हें बाहर कर दिया गया। यह उन हजारों अभ्यर्थियों के साथ धोखा है जिन्होंने उर्दू भाषा से प्राथमिक स्तर की टीईटी पास की है और सहायक अध्यापक पद पर नियुक्ति की सभी योग्यता रखते हैं।

68500 शिक्षक भर्ती की लिखित परीक्षा पारदर्शी ढंग से कराए जाने की मांग को लेकर अभ्यर्थियों ने बुधवार को सचिव परीक्षा नियामक प्राधिकारी डॉ. सुत्ता सिंह को ज्ञापन दिया। अभ्यर्थियों की मांग है कि पहचान पत्र में केवल आधार कार्ड को ही मान्य किया जाए। टीईटी और सीटीईटी का ऑनलाइन सत्यापन हो और परीक्षा केंद्र पर बायोमीट्रिक उपस्थिति दर्ज होने के बाद ही अभ्यर्थियों को परीक्षा हाल में बैठने की अनुमति दी जाए। ज्ञापन सौंपने वालों जय प्रकाश पटेल, आशीष और राघवेन्द्र आदि शामिल रहे।


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