इलाहाबाद. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने परिषदीय विद्यालयों में 15 हजार सहायक
अध्यापकों की भर्ती में शामिल उन शिक्षामित्रों को नियुक्ति पत्र देने का
आदेश दिया है जिन्होंने दूरस्थ माध्यम से बीटीसी प्रशिक्षण प्राप्त किया
है।
इन शिक्षामित्रों की काउंसिलिंग हाईकोर्ट के आदेश से करायी गयी थी। मगर
परिणाम घोषित नहीं किया गया। बाबूखान व अन्य की याचिकाओं पर आदेश
न्यायमूर्ति अश्विनी कुमार मिश्र ने दिया है।
याची के अधिवक्ता ने बताया कि दूरस्थ माध्यम से शिक्षा प्राप्त कई
शिक्षामित्रों ने इन 15 हजार सहायक अध्यापकों की भर्ती में आवेदन किया था।
परन्तु इनको काउंसिलिंग में शामिल नहीं किया गया। अधिवक्ता की दलील थी कि
एनसीटीई ने दूरस्थ शिक्षा माध्यम से प्रशिक्षण 14 जनवरी 2011 को प्राप्त
करने की अनुमति दे दी थी। इसके बाद उनके प्रशिक्षण को मान्यता नहीं देने का
कोई औचित्य नहीं है। हाईकोर्ट ने अंतरिम आदेश से सभी को काउंसिलिंग में
शामिल करने का आदेश दिया था। याचिका को अंतिम रूप से निस्तारण करते हुए
संभल जिले के याचीगणों का रिजल्ट जारी कर नियुक्ति पत्र देने का निर्देश
दिया गया है।
सीआईएसएफ इंस्पेक्टर की सेवा समाप्ति रद्द, बहाली का निर्देश
इलाहाबाद
उच्च न्यायालय ने केन्द्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल के इंस्पेक्टर गिरीश
चन्द्र द्विवेदी की सेवा समाप्ति आदेश को अवैध करार देते हुए रद्द कर दिया
है। कोर्ट ने कहा है कि इतना अधिक समय बीत चुका है, इसलिए नये सिरे से
विभागीय जांच का निर्देश देना उचित नहीं होगा। कोर्ट ने याची इंस्पेक्टर को
तत्काल सेवा में बहाल करने का आदेश दिया है। किन्तु कहा है कि जितने समय
तक याची सेवा से बाहर रहा है, उतनी अवधि का वेतन पाने का हकदार नहीं है।
कोर्ट ने काम नहीं तो वेतन नही के सिद्धान्त के तहत यह आदेश दिया है।
यह आदेश न्यायमूर्ति एम.सी त्रिपाठी ने आईटीआई नैनी इकाई में
कार्यरत रहे गिरीश चंद्र द्विवेदी की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है।
कोर्ट ने कहा है कि याची के विरूद्ध एक महिला कांस्टेबल ने गंभीर आरोप
लगाये, जिसकी जांच में नियमों की अनदेखी की गयी। याची को गवाह पेश करने या
गवाहों की प्रतिपरीक्षा करने का मौका नहीं दिया गया। आरोप को सिद्ध किये
बगैर दोषी करार देते हुए डीआईजी ने सेवा ने हटाने का आदेश दिया। प्रक्रिया
का पालन नहीं किया गया और आरोप निराधार थे। जिन्हें साबित नहीं किया गया।
ऐसे में अनुशासनिक कार्यवाही को वैध नहीं कहा जा सकता। जांच में नैसर्गिक
न्याय के सिद्धान्तों की अनदेखी की गयी। जिस पर कोर्ट ने सेवा से हटाने का
आदेश रद्द करते हुए याची को तत्काल बहाल करने का आदेश दिया है।
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