माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड में सदस्यों की कमी का संकट
राज्य ब्यूरो, इलाहाबाद उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड में शासन द्वारा बोर्ड की सदस्य अनीता यादव को कार्यवाहक अध्यक्ष बनाए जाने के बावजूद अभ्यर्थियों की मुश्किलें कम नहीं हुई हैं। शुक्रवार को एक सदस्य ललित श्रीवास्तव का कार्यकाल पूरा हो गया जबकि शनिवार को दूसरे सदस्य राम औतार यादव का कार्यकाल पूरा हो रहा है। दो सदस्यों का कार्यकाल पूरा होने के साथ चयन बोर्ड में मात्र चार सदस्य बचेंगे। ऐसे में भर्ती प्रक्रिया कोरम के अभाव में 30 मई से फंस सकती है। उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड में कुल 10 सदस्यों के साथ एक अध्यक्ष का पद स्वीकृत है। चयन बोर्ड में इन दिनों कुल छह सदस्य हैं। दो सदस्यों का कार्यकाल खत्म हो जाने के बाद कार्यवाहक अध्यक्ष को मिलाकर चार सदस्य ही बचेंगे। अनीता यादव के पास अध्यक्ष का प्रभार होने के कारण बोर्ड में मात्र तीन सदस्य डा. योगेन्द्र प्रजापति, डा.आशालता सिंह और डा. मोहम्मद उमर ही बचेंगे, जो बोर्ड के सदस्यों की संख्या में एक तिहाई से भी कम होंगे। फरवरी में चयन बोर्ड के दो सदस्यों डा. आशाराम यादव एवं मनोज यादव के कार्यकाल खत्म होने के बाद अभी तक उनकी जगह पर कोई नई नियुक्ति नहीं हुई है। ऐसे में बोर्ड में कोई भी नियम पास करना कठिन होगा। पिछले चार वर्ष से समायोजन की आस लगाए चयनित शिक्षकों की मांग फंस सकती है।
कोरम के अभाव में चयन बोर्ड को आगे साक्षात्कार, समायोजन एवं परीक्षा से जुड़े मामले पर निर्णय लेने में कठिनाई होगी। अध्यक्ष एवं सदस्यों के पद खाली हो जाने के बाद शिक्षकों के चयन की आस एक बार फिर अधूरी रह जाएगी और नए सत्र में माध्यमिक विद्यालयों को शिक्षक नहीं मिल सकेंगे।
राज्य ब्यूरो, इलाहाबाद उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड में शासन द्वारा बोर्ड की सदस्य अनीता यादव को कार्यवाहक अध्यक्ष बनाए जाने के बावजूद अभ्यर्थियों की मुश्किलें कम नहीं हुई हैं। शुक्रवार को एक सदस्य ललित श्रीवास्तव का कार्यकाल पूरा हो गया जबकि शनिवार को दूसरे सदस्य राम औतार यादव का कार्यकाल पूरा हो रहा है। दो सदस्यों का कार्यकाल पूरा होने के साथ चयन बोर्ड में मात्र चार सदस्य बचेंगे। ऐसे में भर्ती प्रक्रिया कोरम के अभाव में 30 मई से फंस सकती है। उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड में कुल 10 सदस्यों के साथ एक अध्यक्ष का पद स्वीकृत है। चयन बोर्ड में इन दिनों कुल छह सदस्य हैं। दो सदस्यों का कार्यकाल खत्म हो जाने के बाद कार्यवाहक अध्यक्ष को मिलाकर चार सदस्य ही बचेंगे। अनीता यादव के पास अध्यक्ष का प्रभार होने के कारण बोर्ड में मात्र तीन सदस्य डा. योगेन्द्र प्रजापति, डा.आशालता सिंह और डा. मोहम्मद उमर ही बचेंगे, जो बोर्ड के सदस्यों की संख्या में एक तिहाई से भी कम होंगे। फरवरी में चयन बोर्ड के दो सदस्यों डा. आशाराम यादव एवं मनोज यादव के कार्यकाल खत्म होने के बाद अभी तक उनकी जगह पर कोई नई नियुक्ति नहीं हुई है। ऐसे में बोर्ड में कोई भी नियम पास करना कठिन होगा। पिछले चार वर्ष से समायोजन की आस लगाए चयनित शिक्षकों की मांग फंस सकती है।
कोरम के अभाव में चयन बोर्ड को आगे साक्षात्कार, समायोजन एवं परीक्षा से जुड़े मामले पर निर्णय लेने में कठिनाई होगी। अध्यक्ष एवं सदस्यों के पद खाली हो जाने के बाद शिक्षकों के चयन की आस एक बार फिर अधूरी रह जाएगी और नए सत्र में माध्यमिक विद्यालयों को शिक्षक नहीं मिल सकेंगे।
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