प्रशिक्षुओं से वापस ले ली गई स्कूल की चाबी
ललितपुर। परिषदीय विद्यालयों को संचालित करने के बहाने अस्थायी ड्यूटी का खेल फिर शुरू हो गया है। नए शैक्षिक सत्र में पद विहीन स्कूलों की चाबी प्रशिक्षुओं की जगह शिक्षक, शिक्षा मित्र एवं अनुदेशकों को सौंप दी गई है। इस कतार में कई पूर्व में अस्थायी ड्यूटी का लाभ ले चुके शिक्षक, शिक्षा मित्र खड़े दिखाई दे रहे हैं।
जिले में 1049 प्राथमिक एवं 492 पूर्व माध्यमिक विद्यालय संचालित हैं। इनमें से करीब डेढ़ सैकड़ा स्कूलों में पद सृजन नहीं हुआ है, इस कारण ऐसे स्कूलों को कामचलाऊ व्यवस्था में चलाया जा रहा है। इसकी आड़ लेकर कई शिक्षक, शिक्षा मित्र एवं अनुदेशक आसपास के स्कूल में अस्थायी ड्यूटी लगवा लेते हैं, जिससे अधिक छात्रांकन वाले विद्यालयों की शैक्षणिक व्यवस्था चरमरा जाती है।
गत शैक्षिक सत्र में अस्थायी ड्यूटी का व्यापक विरोध हुआ, जिसके बाद बीएसए विनोद कुमार मिश्रा ने अस्थायी ड्यूटी की व्यवस्था को समाप्त करते हुए प्रशिक्षु शिक्षकों को पद विहीन स्कूलों की जिम्मेवारी सौंप दी थी। वर्तमान में प्रशिक्षु शिक्षक बीआरसी एवं डायट में तीन माह का सैद्घांतिक प्रशिक्षण पा रहे हैं, ऐसी स्थिति में स्कूलों के संचालन का संकट दिखाई देने लगा है। इसके मद्देनजर पदविहीन स्कूलों मेें शिक्षक, शिक्षा मित्र एवं अनुदेशकों को दोबारा अस्थायी ड्यूटी में लगाया जा रहा है। इस व्यवस्था का अनुचित लाभ उठाने के लिए कई शिक्षक, शिक्षा मित्र एवं अनुदेशक फिर कतार में खड़े हो गए हैं। यदि पूर्व में अस्थायी ड्यूटी का लाभ पा चुके शिक्षक, शिक्षा मित्र एवं अनुदेशकों को कामचलाऊ व्यवस्था में शामिल किया जाता है तो इसका विरोध फिर से होने लगे, इससे इंकार भी नहीं किया जा सकता है।
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जिले में 1049 प्राथमिक एवं 492 पूर्व माध्यमिक विद्यालय संचालित हैं। इनमें से करीब डेढ़ सैकड़ा स्कूलों में पद सृजन नहीं हुआ है, इस कारण ऐसे स्कूलों को कामचलाऊ व्यवस्था में चलाया जा रहा है। इसकी आड़ लेकर कई शिक्षक, शिक्षा मित्र एवं अनुदेशक आसपास के स्कूल में अस्थायी ड्यूटी लगवा लेते हैं, जिससे अधिक छात्रांकन वाले विद्यालयों की शैक्षणिक व्यवस्था चरमरा जाती है।
गत शैक्षिक सत्र में अस्थायी ड्यूटी का व्यापक विरोध हुआ, जिसके बाद बीएसए विनोद कुमार मिश्रा ने अस्थायी ड्यूटी की व्यवस्था को समाप्त करते हुए प्रशिक्षु शिक्षकों को पद विहीन स्कूलों की जिम्मेवारी सौंप दी थी। वर्तमान में प्रशिक्षु शिक्षक बीआरसी एवं डायट में तीन माह का सैद्घांतिक प्रशिक्षण पा रहे हैं, ऐसी स्थिति में स्कूलों के संचालन का संकट दिखाई देने लगा है। इसके मद्देनजर पदविहीन स्कूलों मेें शिक्षक, शिक्षा मित्र एवं अनुदेशकों को दोबारा अस्थायी ड्यूटी में लगाया जा रहा है। इस व्यवस्था का अनुचित लाभ उठाने के लिए कई शिक्षक, शिक्षा मित्र एवं अनुदेशक फिर कतार में खड़े हो गए हैं। यदि पूर्व में अस्थायी ड्यूटी का लाभ पा चुके शिक्षक, शिक्षा मित्र एवं अनुदेशकों को कामचलाऊ व्यवस्था में शामिल किया जाता है तो इसका विरोध फिर से होने लगे, इससे इंकार भी नहीं किया जा सकता है।
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