शिक्षक भर्ती के नाम पर छह लाख पच्चीस हजार बीएड डिग्रीधारियों से 31
करोड़ 25 लाख रुपये वसूलकर राज्य सरकार बैठ गई। यह आंकड़ा हर अभ्यर्थी के
पांच सौ रुपये के हिसाब से निकाला गया है। यदि पूरा शुल्क जोड़ा जाए तो
अरबों रुपये फंसे होने का तथ्य सामने आ जाएगा।
बहरहाल, भर्ती के नाम पर शुल्क जमा कराने और नौकरी न मिलने से बीएड डिग्रीधारी परेशान हैं। उनका कहना है कि करोड़ों रुपये फंसे हैं लेकिन उन्हें नौकरी मिलने या फिर पैसा वापस होने की गुंजाइश नहीं दिख रही।
वर्ष 2012 से अप्रैल 2015 के बीच प्राथमिक विद्यालय, उच्च प्राथमिक विद्यालय और इंटर कॉलेजों में शिक्षकों की भर्ती निकाली गई। इसके लिए अलग-अलग आवेदन फार्म भी मांगे गए। बीएड बेरोजगारों ने आवेदन फार्म भी भरे लेकिन नौकरी नहीं मिली।
ये हैं कुछ केसेज, सरकार ने कैसे हजम किया पैसा
कानपुर के किदवई नगर में किराना की दुकान चलाने वाले मनीष गुप्ता ने 22 जिलों से शिक्षक भर्ती का आवेदन फार्म भरा। इस पर 11 हजार रुपये खर्च किए लेकिन कोई निष्कर्ष नहीं निकला। मॉडल स्कूल और राजकीय इंटर कॉलेजों में भर्ती का आवेदन फार्म भी मनीष ने कई जगह से भरा, जिस पर 39 हजार रुपये खर्च हुए।
मनीष की पत्नी गजल गुप्ता ने भी तीनों श्रेणी के आवेदन फार्म भरकर 50 हजार रुपये फंसाए हैं। इसी तरह मनोज अग्रवाल, आशीष कुमार और वीरेंद्र कश्यप का भी पैसा फंसा है। इन सबका आरोप है कि बीएड बेरोजगारों को ठगा गया है। पहले भर्ती का विज्ञापन निकाला गया, फिर वसूली करके मामले से पल्ला झाड़ लिया गया।
मॉडल स्कूलों में शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया अप्रैल 2015 से शुरू की गई। कहा गया कि 18 मंडलों से संबंधित जिलों में मॉडल स्कूल खुलेंगे। शिक्षकों की नियुक्ति की जाएगी। आवेदन फार्म भी मांगे गए। हर अभ्यर्थी से पांच-पांच सौ रुपये का डिमांड ड्राफ्ट भी लिया। इन स्कूलों की भर्तियां जल्दी होनी थीं। लेकिन अभी तक कुछ पता नहीं है।
संयुक्त शिक्षा निदेशक भी मामले में कुछ बोलने से कतरा रहे हैं। पांच लाख से ज्यादा अभ्यर्थियों ने फार्म भरे हैं, क्योंकि शैक्षिक अर्हता में शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) की अनिवार्यता नहीं थी। पांच लाख अभ्यर्थियों से 25 करोड़ रुपये वसूलने का तथ्य सामने आएगा।
सरकारी नौकरी - Army /Bank /CPSU /Defence /Faculty /Non-teaching /Police /PSC /Special recruitment drive /SSC /Stenographer /Teaching Jobs /Trainee / UPSC
बहरहाल, भर्ती के नाम पर शुल्क जमा कराने और नौकरी न मिलने से बीएड डिग्रीधारी परेशान हैं। उनका कहना है कि करोड़ों रुपये फंसे हैं लेकिन उन्हें नौकरी मिलने या फिर पैसा वापस होने की गुंजाइश नहीं दिख रही।
वर्ष 2012 से अप्रैल 2015 के बीच प्राथमिक विद्यालय, उच्च प्राथमिक विद्यालय और इंटर कॉलेजों में शिक्षकों की भर्ती निकाली गई। इसके लिए अलग-अलग आवेदन फार्म भी मांगे गए। बीएड बेरोजगारों ने आवेदन फार्म भी भरे लेकिन नौकरी नहीं मिली।
ये हैं कुछ केसेज, सरकार ने कैसे हजम किया पैसा
कानपुर के किदवई नगर में किराना की दुकान चलाने वाले मनीष गुप्ता ने 22 जिलों से शिक्षक भर्ती का आवेदन फार्म भरा। इस पर 11 हजार रुपये खर्च किए लेकिन कोई निष्कर्ष नहीं निकला। मॉडल स्कूल और राजकीय इंटर कॉलेजों में भर्ती का आवेदन फार्म भी मनीष ने कई जगह से भरा, जिस पर 39 हजार रुपये खर्च हुए।
मनीष की पत्नी गजल गुप्ता ने भी तीनों श्रेणी के आवेदन फार्म भरकर 50 हजार रुपये फंसाए हैं। इसी तरह मनोज अग्रवाल, आशीष कुमार और वीरेंद्र कश्यप का भी पैसा फंसा है। इन सबका आरोप है कि बीएड बेरोजगारों को ठगा गया है। पहले भर्ती का विज्ञापन निकाला गया, फिर वसूली करके मामले से पल्ला झाड़ लिया गया।
मॉडल स्कूलों में शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया अप्रैल 2015 से शुरू की गई। कहा गया कि 18 मंडलों से संबंधित जिलों में मॉडल स्कूल खुलेंगे। शिक्षकों की नियुक्ति की जाएगी। आवेदन फार्म भी मांगे गए। हर अभ्यर्थी से पांच-पांच सौ रुपये का डिमांड ड्राफ्ट भी लिया। इन स्कूलों की भर्तियां जल्दी होनी थीं। लेकिन अभी तक कुछ पता नहीं है।
संयुक्त शिक्षा निदेशक भी मामले में कुछ बोलने से कतरा रहे हैं। पांच लाख से ज्यादा अभ्यर्थियों ने फार्म भरे हैं, क्योंकि शैक्षिक अर्हता में शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) की अनिवार्यता नहीं थी। पांच लाख अभ्यर्थियों से 25 करोड़ रुपये वसूलने का तथ्य सामने आएगा।
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