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शिक्षामित्रों को टीईटी छूट या उनके साथ फिर राजनितिक छलावा!

नई दिल्ली/लखनऊ । केन्द्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद् ने उत्तर प्रदेश के शिक्षामित्रों को उत्तराखंड की तर्ज पर टीईटी से राहत दी है । टीईटी से छूट का जिक्र अधिसूचना के पैरा चार में वर्णित है जिसमे कि पैरा टीचर को भी शामिल किया गया है । इसके बावजूद यह छूट राज्य के ऐसे शिक्षामित्रों को ही मिलेगी जिनको कि स्थाई नियुक्ति दी गयी थी और उनके द्वारा नियमित कार्य किया गया है ।

इस प्रकार से केंद्र ने पुनः गेद राज्य के पाले में डाल दिया है । विदित हो कि उत्तर प्रदेश सरकार ने शिक्षामित्रों को संविदा कर्मी के रूप में ग्यारह महीने के लिए समाजसेवी के रूप में रखा था जिसका जिक्र मुख्य न्यायाधीस की वृहद्पीठ ने अपने आदेश में किया है । इस प्रकार से शिक्षामित्रों की राह अभी आसान नहीं है क्योंकि न्यायालय से राहत मिलने में इनका संविदाकर्मी होना बाधक है । उत्तराखंड में किसी याची ने शिक्षामित्रों की नियुक्ति का विरोध ही नहीं किया था बल्कि उसी तर्ज पर अपने लिए टीईटी से छूट मांगी थी । इसलिए वहां के शिक्षामित्रों को नियुक्ति प्राप्त करने में सुगमता हुयी जबकि उत्तर प्रदेश में सवा लाख बीटीसी प्रशिक्षु शिक्षामित्रों के विरुद्ध मुस्तैद हैं । उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा हाई कोर्ट के फैसले के विरुद्ध विशेष अनुज्ञा याचिका सुप्रीम कोर्ट में दाखिल कर दी गयी है । अब उत्तर प्रदेश के शिक्षामित्रों के भाग्य का फैसला देश की सर्वोच्च अदालत से ही होगा ।


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