डा. बीआर अंबेडकर यूनिवर्सिटी के चर्चित मार्कशीट घोटाले में
आला अफसरों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर लिए जाने के बाद एसआईटी ने एक और केस
के लिए तैयारी शुरू कर दी है। इस बार यूनिवर्सिटी में 2006 से 2013 के बीच तैनात रहे
कुलपति, रजिस्ट्रार, सब रजिस्ट्रार, बीएड सेक्शन और गोपनीय चार्ट प्रभारी
को आरोपी बनाया जा सकता है। इन सभी का रिकार्ड तलब कर लिया गया है।
इसके
मिलते ही शासन से एफआईआर की अनुमति ली जाएगी। जाली मार्कशीट खरीदने वाले
हजारों लोग भी मुल्जिम बनेंगे।
एसआईटी 2005 से 2009 तक की जालसाजी की जांच कर रही है। इसमें
यूनिवर्सिटी के अधिकारियों से मिलीभगत कर 83 निजी कालेजों ने बीएड की 25
हजार जाली मार्कशीट बेचकर उनका रिकार्ड गोपनीय चार्ट में दर्ज कराया था।
जाली मार्कशीट से लगभग 4.5 हजार सहायक अध्यापक नियुक्त हो गए।
यह जांच पूरी हो चुकी है। लेकिन एफआईआर अभी सिर्फ 2005-06 के सत्र पर ही
हो पाई है। इसमें तत्कालीन रजिस्ट्रार, सब रजिस्ट्रार समेत पांच आरोपी बनाए
गए थे
2009 से 2013 तक का बीएड का रिकार्ड भी गायब
केस
से जुड़े सूत्रों ने बताया कि यूनिवर्सिटी से 2009 से 2013 तक का बीएड का
रिकार्ड भी गायब मिला। इस दौरान भी जाली मार्कशीट बेची गई। इसकी जांच हो
चुकी है। अब इसकी भी एफआईआर की जाएगी। इस बार 2006 से 2013 तक का केस एक
साथ दर्ज किया जाएगा। कई अधिकारियों पर जालसाजों का साथ देने तो कई पर सब
कुछ जानते हुए उन्हें बचाने का आरोप है।
यूनिवर्सिटी
में इस दौरान पांच कुलपति और 12 रजिस्ट्रार तैनात रहे। यूनिवर्सिटी के
मौजूदा वीसी प्रोफेसर मोहम्मद मुजम्मिल पर भी आंच आ सकती है। एसआईटी उन्हें
नोटिस भेजने की तैयारी कर रही है। उन्हें एक महीने खत भेजकर सवाल किया गया
था कि� घोटाले में शामिल कर्मचारियों पर क्या कार्रवाई की गई? इस पर
उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया। तत्कालीन कुलपति एएस शुक्ला की मौत हो चुकी है ।
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