लखनऊ : गांवों में कोई प्रत्याशी उपहार या अवैध शराब तो नहीं बांट रहा। किसी प्रत्याशी ने जबरन किसी के घर पर पोस्टर तो चस्पा नहीं किया। देर रात तक लाउडस्पीकर से प्रचार तो नहीं हो रहा। किसी प्रकार से आचार संहिता का उल्लंघन तो नहीं हो रहा।
ग्राम पंचायत चुनाव में आचार संहिता का शत-प्रतिशत पालन हो इसके लिए प्रशासन ने इस बार एक अलग रणनीति बनाई है। आचार संहिता पर नजर रखने के लिए पुलिस और प्रशासन अधिकारियों के अलावा उन तमाम सरकारी कर्मचारियों की भी मदद ली जाएंगी। इनका गांवों से रोजाना सरोकार रखते हैं। सरकारी स्कूलों के शिक्षकों और शिक्षामित्रों से लेकर राजस्वकर्मियों लेखपाल, कानून गो,नलकूप, सिंचाई और व तमाम विभागों के कर्मचारी भी गांवों की गतिविधियों पर नजर रखेंगे।
जिलाधिकारी राजशेखर के मुताबिक अगर किसी कर्मचारी को लगता है कि गांवों में प्रत्याशी द्वारा आचार संहिता का पालन नहीं किया जा रहा है तो वह संबंधित एसडीएम, सीओ को सूचित कर सकते हैं। गांवों से जो भी सूचना मिलेगी उसे पूरी तरह गुप्त रखा जाएगा और तत्काल कार्रवाई होगी। ग्रामीण इलाकों में पुलिस, होमगार्ड और चौकीदारों के अलावा अन्य सरकारी सेवाओं में कार्यरत कर्मचारियों का एक बड़ा तंत्र है। वह ऐसा तंत्र है जिससे गांव के लोग अच्छी तरह घुले मिले भी होते हैं और अमूनन उन तक आसानी से सभी सूचनाएं पहुंचती है। गांवों में होने वाले छोटे मोटे विवाद जो चौकी व थानों तक नहीं पहुंच पाते स्कूलों के शिक्षकों व लेखपालों तक पहुंच जाती हैं। 1अवैध शराब पर विशेष नजर 1पंचायत चुनावों में अवैध शराब का कारोबार कानून-व्यवस्था के लिहाज से बड़ी चुनौती है। जिला पंचायत और बीडीसी के चुनावों मे भी शिकायतें मिली थीं कि कई उम्मीदवारों ने शराब का जमकर इस्तेमाल किया है। प्रशासन इस बार शराब बांटने वालों पर कड़ी नजर रखेगा। शराब कारोबारियों पर नकेल कसने के लिए पुलिस को सीमावर्ती गांवों में नाकाबंदी कर धरपकड़ के निर्देश दिए गए हैं।
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