उत्तर प्रदेश के 800 शिक्षा मित्रों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। इन सभी ने याचिका दाखिल कर कहा
है कि उनके पास वांछित योग्यता होने के बावजूद सहायक शिक्षकों के पद पर उनकी नियुक्ति को निरस्त कर दिया गया है। इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए इन छात्रों का कहना है कि वे टीईटी पास हैं, बावजूद उनकी नियुक्ति रद्द कर दी गई।
वकील संजय कुमार त्यागी के जरिए दाखिल याचिका में इन छात्रों का कहना है कि हाईकोर्ट के शिक्षा मित्रों को सहायक शिक्षक के पद पर नियुक्ति को गलत ठहराए जाने के आदेश का वे लोग भी शिकार हो गए हैं। उनका कहना है कि करीब 1.30 लाख शिक्षा मित्रों को सहायक शिक्षक के लिए समायोजित किया गया था लेकिन इनमें से करीब 20 हजार शिक्षा मित्र ऐसे हैं जो टीईटी पास हैं। इतना ही नहीं अधिकतर छात्र एमए, बीएड आदि उच्च डिग्रीधारक भी हैं। याचिका में कहा गया है कि हाईकोर्ट के आदेश से अयोग्य छात्रों के साथ-साथ योग्य छात्रों को नुकसान उठाना पड़ रहा है। राज्य के 20 जिलों के आठ सौ शिक्षा मित्रों द्वारा दाखिल इस याचिका में कहा गया है कि वे लोग करीब 15 सालों से अपनी सेवा दे रहे हैं और वह भी बेहद कम मानदेय (महज 3500 रुपये) पर।
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है कि उनके पास वांछित योग्यता होने के बावजूद सहायक शिक्षकों के पद पर उनकी नियुक्ति को निरस्त कर दिया गया है। इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए इन छात्रों का कहना है कि वे टीईटी पास हैं, बावजूद उनकी नियुक्ति रद्द कर दी गई।
वकील संजय कुमार त्यागी के जरिए दाखिल याचिका में इन छात्रों का कहना है कि हाईकोर्ट के शिक्षा मित्रों को सहायक शिक्षक के पद पर नियुक्ति को गलत ठहराए जाने के आदेश का वे लोग भी शिकार हो गए हैं। उनका कहना है कि करीब 1.30 लाख शिक्षा मित्रों को सहायक शिक्षक के लिए समायोजित किया गया था लेकिन इनमें से करीब 20 हजार शिक्षा मित्र ऐसे हैं जो टीईटी पास हैं। इतना ही नहीं अधिकतर छात्र एमए, बीएड आदि उच्च डिग्रीधारक भी हैं। याचिका में कहा गया है कि हाईकोर्ट के आदेश से अयोग्य छात्रों के साथ-साथ योग्य छात्रों को नुकसान उठाना पड़ रहा है। राज्य के 20 जिलों के आठ सौ शिक्षा मित्रों द्वारा दाखिल इस याचिका में कहा गया है कि वे लोग करीब 15 सालों से अपनी सेवा दे रहे हैं और वह भी बेहद कम मानदेय (महज 3500 रुपये) पर।
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