नई दिल्ली. अगर आपकी बेसिक पे अभी 7000 है तो यह बढ़कर 18 हजार रुपए हो सकती है। अगर बेसिक पे 13500 है तो
वह सीधे 40500 रुपए हो सकती है। आपकी ग्रैच्युटी की लिमिट भी 10 लाख से
बढ़कर 20 लाख रुपए की जा सकती है।
ये सारे फायदे मुमकिन हैं, बशर्ते वित्त मंत्री अरुण जेटली को सौंपी गई सेवंथ पे कमीशन की सिफारिशों को केंद्र मंजूर कर ले।
क्या है सेवंथ पे कमीशन?
> कमीशन के चेयरमैन अशोक कुमार माथुर हैं। उन्होंने गुरुवार शाम वित्त मंत्री जेटली को सिफारिशें सौंपीं।
> यह कमीशन यूपीए सरकार ने फरवरी 2014 में बनाया था। इसे 18 महीने में रिपोर्ट सौंपनी थी। लेकिन इसकी टर्म अगस्त 2015 में चार महीने के लिए बढ़ा दी गई थी।
> 31 दिसंबर तक इन पर आखिरी फैसला होगा। कमीशन के सुझावों को सरकार को 1 जनवरी 2016 से लागू करना है।
> सरकार अब इम्प्लीमेंटेशन पैनल बनाएगी, जो सिफारिशों का एनालिसिस करेगा।
> इन सिफारिशों का 47 लाख एम्प्लॉइज और 52 लाख पेंशनरों को फायदा मिलेगा।
> सरकार पर इस बढ़ोतरी से 1.2 लाख करोड़ रुपए का बोझ पड़ेगा।
क्या हैं अहम सिफारिशें?
> केंद्र के एम्प्लॉइज की सैलरी 23.5% बढ़ाई जाए।
> पेंशन में एवरेज 24% की बढ़ोतरी हो।
> मिनिमम बेसिक पे 7 हजार से बढ़कर 18 हजार रुपए किया जाए।
> सैलरी में सालाना 3% इंक्रीमेंट हो। बेसिक पे 16% और अलाउंस 67% तक बढ़ाने की बात भी कही गई है।
> केंद्र के सभी एम्प्लॉइज के लिए भी वन रैंक-वन पेंशन। इसके दायरे में 10 साल पहले रिटायर हुए एम्प्लॉइज भी होंगे।
> ग्रैच्युटी की लिमिट 10 से बढ़ाकर 20 लाख रुपए। जब भी डीए 50% बढ़ेगा, ग्रैच्युटी लिमिट 25% बढ़ेगी।
> सैलरी तय करने के लिए पे बैंड और ग्रेड पे का सिस्टम खत्म।
> 56 तरह के अलाउंस खत्म होंगे, सभी को एक जैसी पेंशन।
> पैरामिलिट्री फोर्स के लिए भी शहीद का दर्जा। मिलिट्री सर्विस पे दोगुना होगा। यह सिर्फ आर्मी पर लागू होगा। बाकी पर नहीं।
क्या कहते हैं EXPERTS?
इकोनॉमिस्ट डॉ. बीबी भट्टाचार्य और बाजार मामलों के एक्सपर्ट डॉ. रहीस सिंह बता रहे हैं कि इन सिफारिशों के अमल में आने से क्या फायदा होगा?
>नौकरीपेशा : राज्य कर्मचारी, बैंक, यूनिवर्सिटी के एम्प्लॉई भी होंगे फायदे में
बेसिक में 14.27%, सैलरी में 16%, अलाउंसेज में 63% और पेंशन में 24% इजाफा होगा। औसतन 23.55%। अभी 1 करोड़ कर्मचारियों को फायदा होगा। केंद्र के मुताबिक राज्यों, बैंक, यूनिवर्सिटीज में भी सिफारिशें लागू होने पर आंकड़ा बढ़ेगा।
>बाजार : कार, बाइक और कंज्यूमर ड्यूरेबल्स की मांग ज्यादा बढ़ेगी
गवर्नमेंट एम्प्लॉइज अभी सैलरी में बढ़े 1 रुपए में से 60 पैसे खर्च करते हैं। ये खर्च खाने-पीने के सामानों पर नहीं, लाइफस्टाइल की चीजों पर होता है। यानी कार, बाइक और कंज्यूमर ड्यूरेबल्स की मांग बढ़ेगी। इन सेक्टर्स की कंपनियों को फायदा होगा।
>आम आदमी : कोई नया टैक्स लग सकता है, महंगाई बढ़ने का भी खतरा
इस एक लाख करोड़ रु. के लिए सरकार के पास तीन ऑप्शंस हैं। टैक्स बढ़ाना, कर्ज लेना और अपना खर्च कम करना। रेलवे पर 28 हजार करोड़ का भार पड़ेगा। यानी किराया-भाड़ा बढ़ेगा। साथ ही, रेलवे में प्राइवेटाइजेशन के आसार बढ़ेंगे।
>इकोनॉमी : ओपन मार्केट में करीब 50 से 60 हजार करोड़ रुपए आएंगे
सरकार कह रही है 1.02 लाख करोड़ रु. का बोझ पड़ेगा। पर इसमें से 25 से 30% पैसा टैक्स और पीएफ मद में सरकार के पास चला जाएगा। 10% पैसा कंपनियों के रास्ते सरकार को मिलेगा। बाजार में 50-60 हजार करोड़ रु.आएंगे।
सीधी बात : जस्टिस माथुर ने कहा- हम चाहते हैं एम्प्लॉइज अच्छी जिंदगी जिएं- जस्टिस माथुर
सेवंथ पे कमीशन की रिपोर्ट आने के बाद आयोग के प्रमुख जस्टिस एके माथुर से संतोष ठाकुर की बातचीत...
>मिनिमम बेसिक पे क्यों बढ़ाया?
महंगाई के मद्देनजर लाइफस्टाइल को ध्यान में रखा है। ऐसी सैलरी का प्रपोजल दिया जिससे एम्प्लॉइज ईमानदारी से काम करें। ये भी सिफारिश है कि 20 साल परफाॅर्म नहीं करने वाले का इन्क्रीमेंट रोक दें।
>20 साल का वक्त देने के पीछे क्या मकसद?
दो वजहें हैं। पहली- जब भी कोई नौकरी ज्वाइन करता है तो कुछ साल प्रोबेशन पर रहता है। उसी के बाद असली जिम्मेदारी शुरू होती है। दूसरी- उसे परफॉर्मेंस दिखाने का काफी वक्त मिले, ताकि वह कोई बहाने न बना सके।
>ग्रेड, पे बैंड खत्म और एचआरए क्यों घटाया?
ताकि एक ही बैंड में रहने वाले लोगों के बीच अलग-अलग सैलरी-अलाउंस खत्म हों। हाउस रेंट इसलिए घटाया क्योंकि पहले यह 30% था, जो 7 हजार की सैलरी पर काउंट होता था। जब न्यूनतम सैलरी 18000 होगी तो उस लिहाज से हमने इसे 24% करने को कहा है।
>सभी को वन रैंक, वन पेंशन का सुझाव क्यों?
जो व्यक्ति आज रिटायर हो रहा है और जो दस साल पहले हुआ हो, उनकी पेंशन एक जैसी होनी चाहिए। आखिर दोनों के लिए महंगाई तो एक जैसी ही है ना।
>सिफारिशों से जो बोझ बढ़ेगा, उसकी भरपाई कैसे होगी?
हमने केंद्र की बैलेंस शीट को देखते हुए ही सिफारिशें की हैं। नफा-नुकसान का पूरा एनालिसिस किया है। सिफारिशों पर अमल से सरकार पर एक लाख 2 हजार करोड़ रुपए का बोझ आएगा। लेकिन हमने जो एनालिसिस किया है, उसके मुताबिक सरकार के पास कई ऑप्शन हैं, जिनसे बोझ से बचा जा सकेगा।
>आईएएस, आईपीएस, आईएफएस अफसरों को भी बड़ा फायदा पहुंचाया?
हमारे एनालिसिस के मुताबिक, मिडिल लेवल के एम्प्लॉइज को तो निजी कर्मचारी से ज्यादा सैलरी-अलाउंस मिलता है, पर सीनियर ऑफिसर्स की तनख्वाह प्राइवेट एम्प्लॉइज से कम ही होती है। ऐसे में सीनियर ऑफिसर्स प्राइवेट सेक्टर्स में चले जाते हैं। इसे रोकने के लिए ही सिफारिश की गई है। इसीलिए कैबिनेट सेक्रेटरी की सैलरी को ढाई लाख रुपए करने का प्रस्ताव दिया है। जहां तक आईपीएस और फॉरेस्ट सर्विस की बात है तो उन्हें केंद्र में डेप्युटेशन पर दो साल ज्यादा इंतजार करना पड़ता था। हमने कहा है कि यह खत्म किया जाए। जिसने भी राज्य में 17 साल की सर्विस की है उसे डेप्युटेशन के लिए सही माना जाए। यह उनका अब तक नहीं मिला हक देने जैसा है।
>क्या राज्य अपने एम्प्लॉइज पर ये सिफारिशें लागू करेंगे?
हमने राज्यों के बारे में नहीं सोचा। राज्य इसे मानने या न मानने को आजाद हैं।
>मेडिकल अलाउंस क्यों हटाया?
हमने सिफारिश की है कि वो मेडिकल अलाउंस से हटे। इसके बजाय सभी कर्मचारियों को हेल्थ इंश्योरेंस लेने को इन्स्पायर करे। सैलरी अच्छी-खासी बढ़ रही है, तो हेल्थ और फ्यूचर के लिए उन्हें इतना तो करना चाहिए। सरकार के बजाय इसका भार कर्मचारी खुद उठाएं। जब तक ऐसा नहीं होता है, तब तक सरकार सीजीएचएस सेवा को विस्तार दे।
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ये सारे फायदे मुमकिन हैं, बशर्ते वित्त मंत्री अरुण जेटली को सौंपी गई सेवंथ पे कमीशन की सिफारिशों को केंद्र मंजूर कर ले।
क्या है सेवंथ पे कमीशन?
> कमीशन के चेयरमैन अशोक कुमार माथुर हैं। उन्होंने गुरुवार शाम वित्त मंत्री जेटली को सिफारिशें सौंपीं।
> यह कमीशन यूपीए सरकार ने फरवरी 2014 में बनाया था। इसे 18 महीने में रिपोर्ट सौंपनी थी। लेकिन इसकी टर्म अगस्त 2015 में चार महीने के लिए बढ़ा दी गई थी।
> 31 दिसंबर तक इन पर आखिरी फैसला होगा। कमीशन के सुझावों को सरकार को 1 जनवरी 2016 से लागू करना है।
> सरकार अब इम्प्लीमेंटेशन पैनल बनाएगी, जो सिफारिशों का एनालिसिस करेगा।
> इन सिफारिशों का 47 लाख एम्प्लॉइज और 52 लाख पेंशनरों को फायदा मिलेगा।
> सरकार पर इस बढ़ोतरी से 1.2 लाख करोड़ रुपए का बोझ पड़ेगा।
क्या हैं अहम सिफारिशें?
> केंद्र के एम्प्लॉइज की सैलरी 23.5% बढ़ाई जाए।
> पेंशन में एवरेज 24% की बढ़ोतरी हो।
> मिनिमम बेसिक पे 7 हजार से बढ़कर 18 हजार रुपए किया जाए।
> सैलरी में सालाना 3% इंक्रीमेंट हो। बेसिक पे 16% और अलाउंस 67% तक बढ़ाने की बात भी कही गई है।
> केंद्र के सभी एम्प्लॉइज के लिए भी वन रैंक-वन पेंशन। इसके दायरे में 10 साल पहले रिटायर हुए एम्प्लॉइज भी होंगे।
> ग्रैच्युटी की लिमिट 10 से बढ़ाकर 20 लाख रुपए। जब भी डीए 50% बढ़ेगा, ग्रैच्युटी लिमिट 25% बढ़ेगी।
> सैलरी तय करने के लिए पे बैंड और ग्रेड पे का सिस्टम खत्म।
> 56 तरह के अलाउंस खत्म होंगे, सभी को एक जैसी पेंशन।
> पैरामिलिट्री फोर्स के लिए भी शहीद का दर्जा। मिलिट्री सर्विस पे दोगुना होगा। यह सिर्फ आर्मी पर लागू होगा। बाकी पर नहीं।
क्या कहते हैं EXPERTS?
इकोनॉमिस्ट डॉ. बीबी भट्टाचार्य और बाजार मामलों के एक्सपर्ट डॉ. रहीस सिंह बता रहे हैं कि इन सिफारिशों के अमल में आने से क्या फायदा होगा?
>नौकरीपेशा : राज्य कर्मचारी, बैंक, यूनिवर्सिटी के एम्प्लॉई भी होंगे फायदे में
बेसिक में 14.27%, सैलरी में 16%, अलाउंसेज में 63% और पेंशन में 24% इजाफा होगा। औसतन 23.55%। अभी 1 करोड़ कर्मचारियों को फायदा होगा। केंद्र के मुताबिक राज्यों, बैंक, यूनिवर्सिटीज में भी सिफारिशें लागू होने पर आंकड़ा बढ़ेगा।
>बाजार : कार, बाइक और कंज्यूमर ड्यूरेबल्स की मांग ज्यादा बढ़ेगी
गवर्नमेंट एम्प्लॉइज अभी सैलरी में बढ़े 1 रुपए में से 60 पैसे खर्च करते हैं। ये खर्च खाने-पीने के सामानों पर नहीं, लाइफस्टाइल की चीजों पर होता है। यानी कार, बाइक और कंज्यूमर ड्यूरेबल्स की मांग बढ़ेगी। इन सेक्टर्स की कंपनियों को फायदा होगा।
>आम आदमी : कोई नया टैक्स लग सकता है, महंगाई बढ़ने का भी खतरा
इस एक लाख करोड़ रु. के लिए सरकार के पास तीन ऑप्शंस हैं। टैक्स बढ़ाना, कर्ज लेना और अपना खर्च कम करना। रेलवे पर 28 हजार करोड़ का भार पड़ेगा। यानी किराया-भाड़ा बढ़ेगा। साथ ही, रेलवे में प्राइवेटाइजेशन के आसार बढ़ेंगे।
>इकोनॉमी : ओपन मार्केट में करीब 50 से 60 हजार करोड़ रुपए आएंगे
सरकार कह रही है 1.02 लाख करोड़ रु. का बोझ पड़ेगा। पर इसमें से 25 से 30% पैसा टैक्स और पीएफ मद में सरकार के पास चला जाएगा। 10% पैसा कंपनियों के रास्ते सरकार को मिलेगा। बाजार में 50-60 हजार करोड़ रु.आएंगे।
सीधी बात : जस्टिस माथुर ने कहा- हम चाहते हैं एम्प्लॉइज अच्छी जिंदगी जिएं- जस्टिस माथुर
सेवंथ पे कमीशन की रिपोर्ट आने के बाद आयोग के प्रमुख जस्टिस एके माथुर से संतोष ठाकुर की बातचीत...
>मिनिमम बेसिक पे क्यों बढ़ाया?
महंगाई के मद्देनजर लाइफस्टाइल को ध्यान में रखा है। ऐसी सैलरी का प्रपोजल दिया जिससे एम्प्लॉइज ईमानदारी से काम करें। ये भी सिफारिश है कि 20 साल परफाॅर्म नहीं करने वाले का इन्क्रीमेंट रोक दें।
>20 साल का वक्त देने के पीछे क्या मकसद?
दो वजहें हैं। पहली- जब भी कोई नौकरी ज्वाइन करता है तो कुछ साल प्रोबेशन पर रहता है। उसी के बाद असली जिम्मेदारी शुरू होती है। दूसरी- उसे परफॉर्मेंस दिखाने का काफी वक्त मिले, ताकि वह कोई बहाने न बना सके।
>ग्रेड, पे बैंड खत्म और एचआरए क्यों घटाया?
ताकि एक ही बैंड में रहने वाले लोगों के बीच अलग-अलग सैलरी-अलाउंस खत्म हों। हाउस रेंट इसलिए घटाया क्योंकि पहले यह 30% था, जो 7 हजार की सैलरी पर काउंट होता था। जब न्यूनतम सैलरी 18000 होगी तो उस लिहाज से हमने इसे 24% करने को कहा है।
>सभी को वन रैंक, वन पेंशन का सुझाव क्यों?
जो व्यक्ति आज रिटायर हो रहा है और जो दस साल पहले हुआ हो, उनकी पेंशन एक जैसी होनी चाहिए। आखिर दोनों के लिए महंगाई तो एक जैसी ही है ना।
>सिफारिशों से जो बोझ बढ़ेगा, उसकी भरपाई कैसे होगी?
हमने केंद्र की बैलेंस शीट को देखते हुए ही सिफारिशें की हैं। नफा-नुकसान का पूरा एनालिसिस किया है। सिफारिशों पर अमल से सरकार पर एक लाख 2 हजार करोड़ रुपए का बोझ आएगा। लेकिन हमने जो एनालिसिस किया है, उसके मुताबिक सरकार के पास कई ऑप्शन हैं, जिनसे बोझ से बचा जा सकेगा।
>आईएएस, आईपीएस, आईएफएस अफसरों को भी बड़ा फायदा पहुंचाया?
हमारे एनालिसिस के मुताबिक, मिडिल लेवल के एम्प्लॉइज को तो निजी कर्मचारी से ज्यादा सैलरी-अलाउंस मिलता है, पर सीनियर ऑफिसर्स की तनख्वाह प्राइवेट एम्प्लॉइज से कम ही होती है। ऐसे में सीनियर ऑफिसर्स प्राइवेट सेक्टर्स में चले जाते हैं। इसे रोकने के लिए ही सिफारिश की गई है। इसीलिए कैबिनेट सेक्रेटरी की सैलरी को ढाई लाख रुपए करने का प्रस्ताव दिया है। जहां तक आईपीएस और फॉरेस्ट सर्विस की बात है तो उन्हें केंद्र में डेप्युटेशन पर दो साल ज्यादा इंतजार करना पड़ता था। हमने कहा है कि यह खत्म किया जाए। जिसने भी राज्य में 17 साल की सर्विस की है उसे डेप्युटेशन के लिए सही माना जाए। यह उनका अब तक नहीं मिला हक देने जैसा है।
>क्या राज्य अपने एम्प्लॉइज पर ये सिफारिशें लागू करेंगे?
हमने राज्यों के बारे में नहीं सोचा। राज्य इसे मानने या न मानने को आजाद हैं।
>मेडिकल अलाउंस क्यों हटाया?
हमने सिफारिश की है कि वो मेडिकल अलाउंस से हटे। इसके बजाय सभी कर्मचारियों को हेल्थ इंश्योरेंस लेने को इन्स्पायर करे। सैलरी अच्छी-खासी बढ़ रही है, तो हेल्थ और फ्यूचर के लिए उन्हें इतना तो करना चाहिए। सरकार के बजाय इसका भार कर्मचारी खुद उठाएं। जब तक ऐसा नहीं होता है, तब तक सरकार सीजीएचएस सेवा को विस्तार दे।
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