उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग को नया अध्यक्ष मिलने के बाद असिस्टेंट प्रोफेसर
भर्ती परीक्षा के गड़े मुर्दे उखड़ने की संभावनाएं बढ़ गई है। इस परीक्षा
को लेकर तमाम तरह के सवाल खड़े हुए थे। पूर्व अध्यक्ष एलबी पांडेय ने
भी इसमें अनियमितता की ओर इशारा किया था।
इस परीक्षा की जांच हुई तो कई पूर्व सदस्यों पर भी इसके घेरे में आ सकते हैं।1आयोग में असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती के लिए पहली बार लिखित परीक्षा हुई थी और इसके पहले चरण से ही आपत्तियों की भरमार होने लगी थी। चार चरणों में हुई इस परीक्षा में ऊपरी तौर पर सब सामान्य नजर आया था लेकिन उसी बीच हाईकोर्ट के आदेश से कार्यवाहक अध्यक्ष को हटा दिया गया और नए अध्यक्ष के रूप में पूर्व प्रशासनिक अधिकारी एलबी पांडेय की नियुक्ति हुई। इसके बाद से ही परीक्षा की असलियत सामने आने लगी। एलबी पांडेय ने सदस्यों के विरोध के बावजूद परीक्षा के दस्तावेज अपने कब्जे में कर लिए और ओएमआर शीट को स्कैन कराना शुरू कर दिया। इसमें साजिशन की गई गड़बड़ियां एक-एक कर सामने आ गईं। इसके पहले की इसकी जांच कराई जाती, एलबी पांडेय की नियुक्ति भी अवैध ठहरा दी गई और इसी के साथ पूरे गड़बड़झाले पर भी परदा पड़ गया।
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अब नए अध्यक्ष के रूप में प्रभात मित्तल की नियुक्ति के बाद माना जा रहा है कि इस परीक्षा की जांच भी शुरू होगी। जो आरोप लगे हैं, उसमें एक यह भी है कि तत्कालीन सदस्यों ने अपने परिजनों और नजदीकियों को लाभ पहुंचाने के लिए भर्ती में तमाम गड़बड़ियां कराई थीं। इनमें तीन सदस्यों की नियुक्ति बाद में अवैध करार दी गई। आयोग के सचिव पर भी आरोप लगाए गए थे। हाईकोर्ट में इसका मामला चल भी रहा है। उधर प्रतियोगी छात्रों के संगठन इस परीक्षा को रद करने की मांग उठाने लगे हैं। अध्यक्ष के पदभार ग्रहण करने के बाद यह मांग और तेज होना तय है।
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भी इसमें अनियमितता की ओर इशारा किया था।
इस परीक्षा की जांच हुई तो कई पूर्व सदस्यों पर भी इसके घेरे में आ सकते हैं।1आयोग में असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती के लिए पहली बार लिखित परीक्षा हुई थी और इसके पहले चरण से ही आपत्तियों की भरमार होने लगी थी। चार चरणों में हुई इस परीक्षा में ऊपरी तौर पर सब सामान्य नजर आया था लेकिन उसी बीच हाईकोर्ट के आदेश से कार्यवाहक अध्यक्ष को हटा दिया गया और नए अध्यक्ष के रूप में पूर्व प्रशासनिक अधिकारी एलबी पांडेय की नियुक्ति हुई। इसके बाद से ही परीक्षा की असलियत सामने आने लगी। एलबी पांडेय ने सदस्यों के विरोध के बावजूद परीक्षा के दस्तावेज अपने कब्जे में कर लिए और ओएमआर शीट को स्कैन कराना शुरू कर दिया। इसमें साजिशन की गई गड़बड़ियां एक-एक कर सामने आ गईं। इसके पहले की इसकी जांच कराई जाती, एलबी पांडेय की नियुक्ति भी अवैध ठहरा दी गई और इसी के साथ पूरे गड़बड़झाले पर भी परदा पड़ गया।
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अब नए अध्यक्ष के रूप में प्रभात मित्तल की नियुक्ति के बाद माना जा रहा है कि इस परीक्षा की जांच भी शुरू होगी। जो आरोप लगे हैं, उसमें एक यह भी है कि तत्कालीन सदस्यों ने अपने परिजनों और नजदीकियों को लाभ पहुंचाने के लिए भर्ती में तमाम गड़बड़ियां कराई थीं। इनमें तीन सदस्यों की नियुक्ति बाद में अवैध करार दी गई। आयोग के सचिव पर भी आरोप लगाए गए थे। हाईकोर्ट में इसका मामला चल भी रहा है। उधर प्रतियोगी छात्रों के संगठन इस परीक्षा को रद करने की मांग उठाने लगे हैं। अध्यक्ष के पदभार ग्रहण करने के बाद यह मांग और तेज होना तय है।
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