विशेष संवादाता : लखनऊ। उत्तर प्रदेश में 2011 से 72825 शिक्षक भर्ती
प्रक्रिया चल रही है। जो अभी तक हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट में उलझी
हुयी है। इसी बीच में इस भर्ती के कुछ हकीकत सामने आ रहे है। 72825 शिक्षक
भर्ती जिस टेट के आधार पर की जा
रही है।
इस टेट में बहुत ही बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़ा हुआ है। जिसके जुर्म में संजय मोहन जेल काट चुके है। और सूत्रों के मुताबित टेट 2011 का आंसर शीट विभाग के पास उपलब्ध नहीं है। जो बहुत ही बड़ी खतरे की घंटी है। इसके बावजूद भी विभाग के बाबुओं द्वारा टेट 2011 के अंकपत्रों में नंबरों के बढ़वाने का खेल जारी रहा। और कई जनपदों में काउंसलिंग के दौरान टेट 2011 के अंकपत्र में नम्बरो का खेल भी देखा जा चूका है। इससे से बड़ी बात RTI के जवाब में उभर कर सामने आई है कि 72825 शिक्षक भर्ती के लिए जो छः महीने का प्रशिक्षण करवाया गया है। उस प्रशिक्षण को NCTE ने मान्यता नहीं दिया है। अब देखना यह है की 9 मई को इस केस की सुनवाई है उस दिन राज्य सरकार अपना पक्ष किस तरीके से रखती है। अगर राज्य सरकार इन बिंदुओं को छोड़ भी देती है तो शिक्षामित्रों के संघ तथा बीटीसी के नेताओं द्वारा जरूर सुप्रीम कोर्ट में इस सभी तथ्यों को जरूर पेश करेंगे क्यों कि उत्तर प्रदेश में सहायक अध्यापक रखने की योग्य स्नातक बीटीसी है। जब की उत्तर प्रदेश में बीटीसी योग्यताधारी बेरोजगार है। और बहुत दिनों से प्राइमरी स्कूलों में सहायक अध्यापक पद पर नियुक्ति की मांग कर रहे है।
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इस टेट में बहुत ही बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़ा हुआ है। जिसके जुर्म में संजय मोहन जेल काट चुके है। और सूत्रों के मुताबित टेट 2011 का आंसर शीट विभाग के पास उपलब्ध नहीं है। जो बहुत ही बड़ी खतरे की घंटी है। इसके बावजूद भी विभाग के बाबुओं द्वारा टेट 2011 के अंकपत्रों में नंबरों के बढ़वाने का खेल जारी रहा। और कई जनपदों में काउंसलिंग के दौरान टेट 2011 के अंकपत्र में नम्बरो का खेल भी देखा जा चूका है। इससे से बड़ी बात RTI के जवाब में उभर कर सामने आई है कि 72825 शिक्षक भर्ती के लिए जो छः महीने का प्रशिक्षण करवाया गया है। उस प्रशिक्षण को NCTE ने मान्यता नहीं दिया है। अब देखना यह है की 9 मई को इस केस की सुनवाई है उस दिन राज्य सरकार अपना पक्ष किस तरीके से रखती है। अगर राज्य सरकार इन बिंदुओं को छोड़ भी देती है तो शिक्षामित्रों के संघ तथा बीटीसी के नेताओं द्वारा जरूर सुप्रीम कोर्ट में इस सभी तथ्यों को जरूर पेश करेंगे क्यों कि उत्तर प्रदेश में सहायक अध्यापक रखने की योग्य स्नातक बीटीसी है। जब की उत्तर प्रदेश में बीटीसी योग्यताधारी बेरोजगार है। और बहुत दिनों से प्राइमरी स्कूलों में सहायक अध्यापक पद पर नियुक्ति की मांग कर रहे है।
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