प्रदेश भर के माध्यमिक स्कूलों के अंशकालिक शिक्षकों एवं शिक्षणोत्तर
कर्मचारियों को मानदेय भुगतान का मुहूर्त अभी तय नहीं हो सका है। सरकार ने
इसके बजट एवं शासन ने कमेटी का गठन कर दिया है, लेकिन लाभ जिनको दिया जाना
है उनकी पात्रता अभी निश्चित नहीं है।
इसमें तीन माह का वक्त लगने का अनुमान है। इससे शिक्षकों की बेचैनी बढ़ गई है। उनका कहना है कि मानदेय अप्रैल 2016 से ही देने के निर्देश थे, लेकिन अब कम से कम जुलाई से इसका भुगतान जरूर होना चाहिए। प्रदेश भर के करीब 19 हजार मान्यता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों के अंशकालिक शिक्षकों व शिक्षणोत्तर कर्मियों को मानदेय मिलना है। इन स्कूलों में करीब दो लाख अंशकालिक शिक्षक हैं। शासन ने इसके लिए 200 करोड़ का बजट जारी किया है। इस संबंध में शिक्षक संगठनों से मानदेय देने के संबंध में सुझाव मांगे जा चुके हैं। साथ ही कुछ दिन पहले शासन ने मुख्य सचिव की अध्यक्षता में कमेटी का गठन भी कर दिया है। कहा जा रहा है कमेटी तीन माह में शासन को पूरी रिपोर्ट सौंपेगी जिसमें कितने शिक्षकों को कितना धन हर माह और किस तरह मिलना है का जिक्र होगा। इसके बाद ही भुगतान प्रक्रिया शुरू होगी। शिक्षक संगठनों का कहना है कि यह समयावधि काफी अधिक है, समिति को यह सब तीन से पांच सप्ताह में तय करना चाहिए। जिससे जुलाई माह से भुगतान होना शुरू हो सके और ऊहापोह पर भी विराम लगे।
उधर, वित्तविहीन स्कूलों से शिक्षकों की सूची शासन को भेजी गई है, लेकिन अभी तक यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि किन विद्यालयों की सूची शासन को प्राप्त नहीं हुई है। एमएलसी उमेश द्विवेदी का कहना है कि अफसरों ने मानदेय भुगतान के संबंध में जो सुझाव मांगे थे वह दिए जा चुके हैं। शिक्षक संगठनों ने भी तय समय में सुझाव भेजे हैं। ऐसे में अफसरों को तेजी से यह प्रक्रिया पूरी करनी चाहिए। जिससे शिक्षकों को मानदेय मिले।
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इसमें तीन माह का वक्त लगने का अनुमान है। इससे शिक्षकों की बेचैनी बढ़ गई है। उनका कहना है कि मानदेय अप्रैल 2016 से ही देने के निर्देश थे, लेकिन अब कम से कम जुलाई से इसका भुगतान जरूर होना चाहिए। प्रदेश भर के करीब 19 हजार मान्यता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों के अंशकालिक शिक्षकों व शिक्षणोत्तर कर्मियों को मानदेय मिलना है। इन स्कूलों में करीब दो लाख अंशकालिक शिक्षक हैं। शासन ने इसके लिए 200 करोड़ का बजट जारी किया है। इस संबंध में शिक्षक संगठनों से मानदेय देने के संबंध में सुझाव मांगे जा चुके हैं। साथ ही कुछ दिन पहले शासन ने मुख्य सचिव की अध्यक्षता में कमेटी का गठन भी कर दिया है। कहा जा रहा है कमेटी तीन माह में शासन को पूरी रिपोर्ट सौंपेगी जिसमें कितने शिक्षकों को कितना धन हर माह और किस तरह मिलना है का जिक्र होगा। इसके बाद ही भुगतान प्रक्रिया शुरू होगी। शिक्षक संगठनों का कहना है कि यह समयावधि काफी अधिक है, समिति को यह सब तीन से पांच सप्ताह में तय करना चाहिए। जिससे जुलाई माह से भुगतान होना शुरू हो सके और ऊहापोह पर भी विराम लगे।
उधर, वित्तविहीन स्कूलों से शिक्षकों की सूची शासन को भेजी गई है, लेकिन अभी तक यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि किन विद्यालयों की सूची शासन को प्राप्त नहीं हुई है। एमएलसी उमेश द्विवेदी का कहना है कि अफसरों ने मानदेय भुगतान के संबंध में जो सुझाव मांगे थे वह दिए जा चुके हैं। शिक्षक संगठनों ने भी तय समय में सुझाव भेजे हैं। ऐसे में अफसरों को तेजी से यह प्रक्रिया पूरी करनी चाहिए। जिससे शिक्षकों को मानदेय मिले।
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