हाथरस : दावे कुछ भी हों, मगर सरकारी महकमों में रिश्वतखोरी का सिलसिला
न पहले कभी थमा था और न अब थम सका है। 12 साल के अंतराल में यहां विभन्न
विभागों के चार अफसरों व एक सिपाही पर विजिलेंस की गाज गिर चुकी है। बावजूद
इसके कहीं कोई खौफ दिखाई नहीं देता।
काम की एवज में खुलेआम दाम मांगे जाते हैं। ताज्जुब तो इस बात का है कि जो संस्था व संगठन भ्रष्टाचार से लड़ने के लिए बनते हैं, वे ही अपने काम निकालने और इन रिश्वतखोरों को खुश करने के लिए उनका सम्मान सार्वजनिक मंचों पर करते हैं। ऐसा ही चंद रोज पूर्व हुआ है बुधवार को रिश्वत लेते पकड़े गए बेसिक शिक्षा विभाग के एओ के साथ। पीड़ित धीरेंद्र कुमार को भी नहीं बख्शा।
हाथरस जनपद का सृजन 3 मई 1997 को हुआ था। तब से यहां अधिकारी बढ़े तो रिश्वतखोरी भी बढ़ गई। छोटे-मोटे मामलों को छोड़ दें तो रिश्वतखोरी के बड़े मामले ही अब तक इस जनपद में पांच उजागर हुए हैं। इन सभी में आगरा विजीलेंस ने कार्रवाई की है। सबसे पहले वर्ष 2004 में यहां तैनात ड्रग इंस्पेक्टर श्रीमती राकेश राजपूत को रिश्वत लेते विजीलेंस टीम ने पकड़ा था। शहर के ही हरेन्द्र केसरी ने मेडिकल स्टोर का लाइसेंस बनवाने के लिए उनके यहां आवेदन किया था। उनसे इसके एवज में दस हजार रुपये की मांग की गई थी। केसरी की शिकायत पर विजीलेंस टीम ने आकर ड्रग इंसपेक्टर को रंगेहाथ रिश्वत लेते दबोचा। इसके बाद वर्ष 2009 में यहां तैनात जिला विद्यालय निरीक्षक रामाज्ञा कुमार विजीलेंस टीम के शिकार हुए। उन पर हरप्रसाद-मान¨सह इंटर कालेज, नगला उम्मेद के प्रबंधक हेम ¨सह ठेनुआ ने विद्यालय में विज्ञान संकाय आदि की मान्यता के लिए पचास हजार रुपये मांगने का आरोप लगाया था। हेम¨सह ठेनुआ के प्रयासों से वे भी रंगेहाथ घूस लेते दबोचे गए। वर्ष 2010 में कोतवाली में तैनात एक सिपाही को तालाब चौराहे पर एक चाय की दुकान पर घूस लेते विजीलेंस टीम ने धरदबोचा था। ये किसी आपराधिक मामले में नाम निकलवाने के नाम पर आरोपी के परिजनों से घूस ले रहे थे। वर्ष 2015 में विजिलेंस का शिकार हुए थे विद्युत विभाग में तैनात जेई शिवांकर ¨सह। इन्हें ओढ़पुरा बिजलीघर कार्यालय के सामने विजिलेंस ने रिश्वत लेते दबोचा था। ये किसी किसान से ट्रांसफार्मर लगवाने के नाम पर दस हजार रुपये ले रहे थे। ताज्जुब तो इस बात का है कि ये दस हजार रुपये लेने के लिए भरी बारिश में यहां आए थे। चूंकि इनती तैनाती यहां थी, मगर रहते आगरा थे। अब बेसिक शिक्षा विभाग के एओ ब्रजेश राजपूत शिकंजे में आए हैं। ताज्जुब तो इस बात है कि गत 17 मई को प्राथमिक शिक्षक संघ ने इन एओ का सम्मान करते हुए उन्हें यह सर्टीफिकेट भी दिया था कि वे नेक व मेहनत से काम कर रहे हैं और पेंशन आदि के पैं¨डग मामले उन्होंने निपटा दिए हैं। वही एओ आज एक पेंशन के मामले में रिश्वत लेते हुए दबोच लिए गए।
प्राथमिक शिक्षक संघ के अध्यक्ष सुरेश कुमार शर्मा अब इस मामले में पूछे जाने पर कन्नी सी काटते नजर आए। बता दें कि मृतक आश्रित में दोहरे लाभ के आरोप में सुरेश चंद्र शर्मा को भी विगत दिनों निलंबित कर दिया गया था। बाद में शिक्षकों के मिलने पर बीएसए ने उन्हें बहाल कर दिया, मगर आरोप की जांच चल रही है।
ख़बरें अब तक - 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती - Today's Headlines
काम की एवज में खुलेआम दाम मांगे जाते हैं। ताज्जुब तो इस बात का है कि जो संस्था व संगठन भ्रष्टाचार से लड़ने के लिए बनते हैं, वे ही अपने काम निकालने और इन रिश्वतखोरों को खुश करने के लिए उनका सम्मान सार्वजनिक मंचों पर करते हैं। ऐसा ही चंद रोज पूर्व हुआ है बुधवार को रिश्वत लेते पकड़े गए बेसिक शिक्षा विभाग के एओ के साथ। पीड़ित धीरेंद्र कुमार को भी नहीं बख्शा।
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हाथरस जनपद का सृजन 3 मई 1997 को हुआ था। तब से यहां अधिकारी बढ़े तो रिश्वतखोरी भी बढ़ गई। छोटे-मोटे मामलों को छोड़ दें तो रिश्वतखोरी के बड़े मामले ही अब तक इस जनपद में पांच उजागर हुए हैं। इन सभी में आगरा विजीलेंस ने कार्रवाई की है। सबसे पहले वर्ष 2004 में यहां तैनात ड्रग इंस्पेक्टर श्रीमती राकेश राजपूत को रिश्वत लेते विजीलेंस टीम ने पकड़ा था। शहर के ही हरेन्द्र केसरी ने मेडिकल स्टोर का लाइसेंस बनवाने के लिए उनके यहां आवेदन किया था। उनसे इसके एवज में दस हजार रुपये की मांग की गई थी। केसरी की शिकायत पर विजीलेंस टीम ने आकर ड्रग इंसपेक्टर को रंगेहाथ रिश्वत लेते दबोचा। इसके बाद वर्ष 2009 में यहां तैनात जिला विद्यालय निरीक्षक रामाज्ञा कुमार विजीलेंस टीम के शिकार हुए। उन पर हरप्रसाद-मान¨सह इंटर कालेज, नगला उम्मेद के प्रबंधक हेम ¨सह ठेनुआ ने विद्यालय में विज्ञान संकाय आदि की मान्यता के लिए पचास हजार रुपये मांगने का आरोप लगाया था। हेम¨सह ठेनुआ के प्रयासों से वे भी रंगेहाथ घूस लेते दबोचे गए। वर्ष 2010 में कोतवाली में तैनात एक सिपाही को तालाब चौराहे पर एक चाय की दुकान पर घूस लेते विजीलेंस टीम ने धरदबोचा था। ये किसी आपराधिक मामले में नाम निकलवाने के नाम पर आरोपी के परिजनों से घूस ले रहे थे। वर्ष 2015 में विजिलेंस का शिकार हुए थे विद्युत विभाग में तैनात जेई शिवांकर ¨सह। इन्हें ओढ़पुरा बिजलीघर कार्यालय के सामने विजिलेंस ने रिश्वत लेते दबोचा था। ये किसी किसान से ट्रांसफार्मर लगवाने के नाम पर दस हजार रुपये ले रहे थे। ताज्जुब तो इस बात का है कि ये दस हजार रुपये लेने के लिए भरी बारिश में यहां आए थे। चूंकि इनती तैनाती यहां थी, मगर रहते आगरा थे। अब बेसिक शिक्षा विभाग के एओ ब्रजेश राजपूत शिकंजे में आए हैं। ताज्जुब तो इस बात है कि गत 17 मई को प्राथमिक शिक्षक संघ ने इन एओ का सम्मान करते हुए उन्हें यह सर्टीफिकेट भी दिया था कि वे नेक व मेहनत से काम कर रहे हैं और पेंशन आदि के पैं¨डग मामले उन्होंने निपटा दिए हैं। वही एओ आज एक पेंशन के मामले में रिश्वत लेते हुए दबोच लिए गए।
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