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जवाहरबाग में चलता था बिना मान्यता का स्कूल

रामवृक्ष के चेले अभी भी उसकी हसरत पूरी करने का दम भर रहे हैं। वो अभी भी उनका नायक है। जवाहरबाग में बिना मान्यता के चलने वाले स्वाधीन भारत बेसिक स्कूल के प्रधानाध्यापक रामप्रकाश की मानें तो वह नेताजी सुभाष चंद्र बोस के स्वाधीन भारत का मिशन लेकर चल रहे थे।
परंतु, किसी ने उनकी बात नहीं समझी। जवाहरबाग में जो किया गया वह अच्छा नहीं हुआ। इससे भारत का नुकसान हुआ है।
रामप्रकाश ने कहा कि रामवृक्ष हमारे नायक थे, भले ही अब वह न हो, लेकिन वह आखिरी सांस तक आजाद हिन्द सरकार को कायम रखेंगे। नोटबुक के सबसे पिछले पन्ने पर दो नाम व उनके आगे मोबाइल नंबर अंकित है। हिन्दुस्तान ने बुधवार को इन्हीं में से एक नंबर पर बात की तो वह रामप्रकार्श ंसह का निकला। रामप्रकाश ने बताया कि वह इस समय इलाहाबाद में हैं। उन्होंने खुद को स्वाधीन भारत बेसिक विद्यालय का प्रधानाध्यापक बताया। कहा, शासन-प्रशासन ने अन्याय किया है। वे और उनके 12 साथी नि:शुल्क शिक्षा देते थे। यहां पढ़ाने वाले सभी पूर्व में शिक्षक रहे हैं। बकौल रामप्रकाश वह इलाहाबाद से 90 किलोमीटर दूर एक वित्तविहीन विद्यालय का शिक्षक था और बाबा जयगुरुदेव का अनुयायी है।
जवाहरबाग में चलता था बिना मान्यता का स्कूल
स्वाधीन भारत बेसिक विद्यालय संचालित करने वाला जवाहरबाग का कथित मुखिया रामवृक्ष था। बेसिक शिक्षा विभाग की मान्यता के बगैर नर्सरी से कक्षा आठ तक इस विद्यालय में 453 बच्चे पढ़ते थे। रामवृक्ष के नेतृत्व में इस स्कूल में उसकी सेना स्वाधीन भारत को अपने मिशन के लिए मानसिक रूप से तैयार किया जा रहा था। इसका खुलासा जवाहरबाग से बरामद एक नोटबुक से हुआ है।
नोटबुक में अंकित सूचनाओं पर यकीन करें तो स्वाधीन भारत बेसिक विद्यालय के प्रधानाध्यापक की जिम्मेदारी रामप्रकाश सिंह पर थी। विद्यालय का टाइम टेबल भी निर्धारित था। पहले स्वाधीन भारत पर लिखी गई प्रार्थना कराई जाती थी फिर 40-40 मिनट की कक्षाएं चलती थीं।
नोटबुक में क्या मिला
पहले छात्र का नाम विनोद कुमार, जन्मतिथि 7-8-2005, जिला रोहतास, बिहार अंकित है
अंतिम छात्र संख्या 453 पर काजल कुमारी निवासी भनेड़ा बिजनौर का नाम लिखा हुआ है मथुरा और आगरा के भी एक-दो विद्यार्थियों के नाम अंकित, 3 से 15 वर्ष के बच्चे पढ़ते थे

समर में कमर कस लड़ेंगे..
नोटबुक में एक पेज निकला है जिसमें -भारत का बेड़ा पार करेंगे, यातना चाहे जितना मिलेगा, सहज में सब को हम झेल लेंगे....,समर में कमर कस लड़ेंगे, जोर चाहे जो जितना लगा ले...। संभावना है कि इन्हीं के आधार पर यहां बच्चों को प्रार्थना कराई जाती रही होगी।
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