फीकी रही वित्तविहीन कालेजों के शिक्षकों की दीपावली, स्कूल प्रशासन की लापरवाही से नहीं मिल सका मानदेय

स्कूल प्रशासन की लापरवाही से वित्तविहीन कालेजों के शिक्षकों की पहली दीपावली फीकी रही। कई बार पत्र लिखने के बाद भी शिक्षकों का ब्योरा डीआइओएस कार्यालय नहीं भेजा जा सका है।1गौरतलब है कि जिले में
स्थापित 497 वित्तविहीन कालेजों में लगभग आठ हजार शिक्षक कार्यरत है।
इन कालेजों के शिक्षक मानदेय देने की मांग को लेकर पिछले दो दशक से आंदोलन कर रहे थे। इनके आंदोलन में माध्यमिक शिक्षक संघ भी सहभागी रहा।
 लंबे आंदोलन के बाद आखिरकार मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने उनकी मांग मान ली और सूबे के बजट में मानदेय के लिए 200 करोड़ रुपये आवंटित कर दिया। मुख्यमंत्री की घोषणा के बाद शिक्षक यह सोच कर शांत हो गए कि जल्द ही उनके बैंक खाते में मानदेय की राशि पहुंच जाएगी। दो तीन महीने तक इंतजार करने के बाद जब मानदेय नहीं मिला तो शिक्षक डीआइओएस कार्यालय संपर्क करने लगे। तब उन्हें यह जानकारी हुई कि मानदेय के संबंध में न तो कोई गाइडलाइन जारी की गई है और न ही इसके लिए बजट उपलब्ध कराया गया है। इसके बाद शिक्षकों ने फिर धरना प्रदर्शन शुरू किया। शिक्षक विधायकों ने इस मुद्दे को विधानसभा में उठाया। तब सितंबर महीने में मानदेय के लिए गाइडलाइन जारी करते हुए जिले को 3 करोड़ रुपये बजट मुहैया कराया।1हालांकि गाइडलाइन जारी होने के बाद लगभग ढाई सौ कालेजों के चार हजार शिक्षक निराश हो गए हैं। क्योंकि उन्हीं कालेजों के शिक्षकों को मानदेय मिलेगा, जो वर्ष 2012 की बोर्ड परीक्षा में शामिल हुए हैं। इस कटेगरी में लगभग 250 कालेजों के चार हजार शिक्षकों को ही मानदेय मिलेगा। इन शिक्षकों को दीपावली के पहले मानदेय मिल जाता, लेकिन डीआइओएस द्वारा बार-बार पत्र जारी करने के बावजूद अभी तक अधिकांश कालेजों के शिक्षकों का ब्योरा स्कूल प्रशासन द्वारा डीआइओएस कार्यालय को नहीं भेजा गया है। वित्तविहीन कालेजों के शिक्षकों दीपावली मानदेय न मिलने से फीकी रही।लगभग 250 वित्तविहीन कालेजों के शिक्षकों को मानदेय दिया जाना है। कई बार पत्र लिखने के बाद अभी तक सिर्फ 35 कालेजों के शिक्षकों का ब्योरा मिल सका है। इस वजह से मानदेय जारी नहीं किया जा सका है। डा.ब्रजेश मिश्र, डीआइओएस।

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