बीएड टेट पास याची और टेट बनाम एकेडमिक न्यूज: UPTET जस्टिस श्री दीपक मिश्रा को पहली बार दिनांक 2 नवंबर 2015 को पता चला कि संशोधन 15 से बीएड वालों का नया विज्ञापन आया था|
जस्टिस श्री HL दत्तू और जस्टिस श्री दीपक मिश्रा दोनों की पीठ को यह ज्ञात नहीं था कि दिनांक 31 अगस्त 2012 को सरकार पुराने विज्ञापन को निरस्त कर चुकी है । पुराना विज्ञापन रूल पर होता चाहे न होता लेकिन चयन लिस्ट बनाने के बाद और नियुक्ति पत्र देने के पूर्व सरकार उसे कभी भी रद्द कर सकती है ।
आवेदन की अंतिम तिथि के पांच दिन पूर्व स्थगन लगा और स्थगन हटने के पूर्व राज्य ने विज्ञापन रद्द कर दिया । जस्टिस श्री अशोक भूषण ने स्थगन याचिका का जिक्र किया और उसे खारिज किये जाने का जिक्र किया लेकिन सरकार द्वारा विज्ञप्ति रद्द किए जाने का जिक्र नहीं किया । इसलिए मुकदमे की मेरिट पर सुनवाई होने और फैसला आने पर पुराना विज्ञापन अपना अस्तित्व कैसे बचाएगा लोग इस पर विचार करें । यदि बीच के रास्ते की बात होगी तो इसका प्रथम लाभ लेने का हक़ शिक्षामित्रों को है । सुप्रीम कोर्ट यह समझती रही कि सिलेक्शन लिस्ट जारी हो गयी और उसे रद्द करके सिलेक्शन बेस बदलकर उसी विज्ञप्ति में नये सिलेक्शन बेस से भर्ती होने लगी थी इसलिए जस्टिस श्री दीपक मिश्रा ने टीईटी में सत्तर/साठफीसदी का मानक रखा ।
प्रश्न दो में भी इसका जिक्र है कि क्या फुल टीईटी मेरिट बनायी जा सकती है ? यह असंभव है कि शिक्षामित्र बाहर हो जाएं और 72825 के पुराने विज्ञापन से खुद को चयनित बताने वाले लोग नौकरी करें । फाइनल आर्डर में सबका जिक्र होगा । यह पोस्ट सोशल मीडिया से लिया गया है।
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जस्टिस श्री HL दत्तू और जस्टिस श्री दीपक मिश्रा दोनों की पीठ को यह ज्ञात नहीं था कि दिनांक 31 अगस्त 2012 को सरकार पुराने विज्ञापन को निरस्त कर चुकी है । पुराना विज्ञापन रूल पर होता चाहे न होता लेकिन चयन लिस्ट बनाने के बाद और नियुक्ति पत्र देने के पूर्व सरकार उसे कभी भी रद्द कर सकती है ।
आवेदन की अंतिम तिथि के पांच दिन पूर्व स्थगन लगा और स्थगन हटने के पूर्व राज्य ने विज्ञापन रद्द कर दिया । जस्टिस श्री अशोक भूषण ने स्थगन याचिका का जिक्र किया और उसे खारिज किये जाने का जिक्र किया लेकिन सरकार द्वारा विज्ञप्ति रद्द किए जाने का जिक्र नहीं किया । इसलिए मुकदमे की मेरिट पर सुनवाई होने और फैसला आने पर पुराना विज्ञापन अपना अस्तित्व कैसे बचाएगा लोग इस पर विचार करें । यदि बीच के रास्ते की बात होगी तो इसका प्रथम लाभ लेने का हक़ शिक्षामित्रों को है । सुप्रीम कोर्ट यह समझती रही कि सिलेक्शन लिस्ट जारी हो गयी और उसे रद्द करके सिलेक्शन बेस बदलकर उसी विज्ञप्ति में नये सिलेक्शन बेस से भर्ती होने लगी थी इसलिए जस्टिस श्री दीपक मिश्रा ने टीईटी में सत्तर/साठफीसदी का मानक रखा ।
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