प्यारे साथियों सादर अभिनन्दन तकरीबन आज से 18 साल पहले की बात है जब पहली बार मेरा उच्च न्यायलय जाना हुआ । अदालत थी माननीय इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ ।
मैं श्री मुखर्जी के यहाँ काउंटर लिखवाने पहुंचा वे स्वयम मुझसे डिस्कस करते जा रहे थे और काउंटर लिखवाते जा रहे थे ।तकरीबन आधे से अधिक लिखवाने के बाद एक बिंदु पर रुक गए ।उन्होंने कहा घर जाइये या तो अपने दादा जी से पूछकर आइये या उनको बुला लीजिये तब आगे लिखाया जाएगा ।दुसरे शब्दों में कहूँ तो उस विंदु पर मेरे द्वारा दी जा रही जानकारी से श्री मुखर्जी न तो सहमत थे और न ही संतुष्ट ।खैर मैंने दुबारा तैयारी की, काउंटर दाखिल हुआ विपक्ष की अपील डिसमिस हुयी हाइकोर्ट का आदेश मेरे पक्ष में हुआ और श्री मुखर्जी भी अब इस दुनियां में नहीं रहे । अब आते हैं अपने मुकदमे पर ............. जस्टिस यू यू ललित ने ncte के वकील से कहा मौखिक नहीं शपथपत्र दाखिल करिये यानि लिखवाकर लाइए वो भी किससे ??? टॉप मोस्ट पर्सन यानी दादा जी से ।इसका साधारण आशय क्या है ????मेरी समझ से यही की मैं आपकी बात से कतई इत्तेफाक नहीं रखता आप अपने घर के मुखिया से लिखवाकर लाइए तभी मैं इस बात पर विचार करूंगा यानी मैं आप की बात से कतई सहमत नहीं हूँ ।फिलहाल मेरी अपनी समझ यही है बाकी सभी अपने मुताबिक समझने के के लिए स्वतंत्र हैं । एक बात और अभी मुझे ज्वाइन किये दो महीने ही हुए थे क्रियात्मक प्रशिक्षण चल रहा था ।एक बच्चे ने मुझसे कहा ----सर जी 7 दिन कै छुट्टी चाही ।हमने पूछा क्यों? बच्चे ने कहा अम्मा कहीं है ।हमने पूछा किस लिए ?बच्चे ने कहा हमरे मौसी के यहाँ विआह है ।हमने पूछा किसका बच्चे ने कहा कि हमरे मौसी के जेठानी के बिटिया का ।मैं भी अपने बच्चे की बात से सहमत नहीं था । हमने कहा बेटा कल अपने पापा को साथ लेकर स्कूल आना तब देखेंगे । स्पष्ट है कि न्यायधीश द्वय ncte के अधिवक्ता के तर्कों से सहमत नहीं थे ।इसलिए दादा जी को तलब किया गया ।जिस दिन जस्टिस यू यू ललित ने ncte के वकील से ncte के टॉप मोस्ट पर्सन का लिखित जवाब मांगा उसके बाद बहुत से मित्रों ने इनबॉक्स में प्रश्न किया ।पूरे प्रकरण पर मेरा जो विचार था मैंने आपके समक्ष हूबहू रख दिया ।बाकी आप खुद समझदार हैं । खैर अब दादा जी (ncte)का जवाब भी आ चुका है जिस पर विस्तार से चर्चा अगली पोस्ट मेंकरूंगा ।आज सिर्फ इतना ही........ सधन्यवाद सत्यमेवजयते आपका एस के पाठक कार्यकर्त्ता टेट मोर्चा उत्तरप्रदेश
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मैं श्री मुखर्जी के यहाँ काउंटर लिखवाने पहुंचा वे स्वयम मुझसे डिस्कस करते जा रहे थे और काउंटर लिखवाते जा रहे थे ।तकरीबन आधे से अधिक लिखवाने के बाद एक बिंदु पर रुक गए ।उन्होंने कहा घर जाइये या तो अपने दादा जी से पूछकर आइये या उनको बुला लीजिये तब आगे लिखाया जाएगा ।दुसरे शब्दों में कहूँ तो उस विंदु पर मेरे द्वारा दी जा रही जानकारी से श्री मुखर्जी न तो सहमत थे और न ही संतुष्ट ।खैर मैंने दुबारा तैयारी की, काउंटर दाखिल हुआ विपक्ष की अपील डिसमिस हुयी हाइकोर्ट का आदेश मेरे पक्ष में हुआ और श्री मुखर्जी भी अब इस दुनियां में नहीं रहे । अब आते हैं अपने मुकदमे पर ............. जस्टिस यू यू ललित ने ncte के वकील से कहा मौखिक नहीं शपथपत्र दाखिल करिये यानि लिखवाकर लाइए वो भी किससे ??? टॉप मोस्ट पर्सन यानी दादा जी से ।इसका साधारण आशय क्या है ????मेरी समझ से यही की मैं आपकी बात से कतई इत्तेफाक नहीं रखता आप अपने घर के मुखिया से लिखवाकर लाइए तभी मैं इस बात पर विचार करूंगा यानी मैं आप की बात से कतई सहमत नहीं हूँ ।फिलहाल मेरी अपनी समझ यही है बाकी सभी अपने मुताबिक समझने के के लिए स्वतंत्र हैं । एक बात और अभी मुझे ज्वाइन किये दो महीने ही हुए थे क्रियात्मक प्रशिक्षण चल रहा था ।एक बच्चे ने मुझसे कहा ----सर जी 7 दिन कै छुट्टी चाही ।हमने पूछा क्यों? बच्चे ने कहा अम्मा कहीं है ।हमने पूछा किस लिए ?बच्चे ने कहा हमरे मौसी के यहाँ विआह है ।हमने पूछा किसका बच्चे ने कहा कि हमरे मौसी के जेठानी के बिटिया का ।मैं भी अपने बच्चे की बात से सहमत नहीं था । हमने कहा बेटा कल अपने पापा को साथ लेकर स्कूल आना तब देखेंगे । स्पष्ट है कि न्यायधीश द्वय ncte के अधिवक्ता के तर्कों से सहमत नहीं थे ।इसलिए दादा जी को तलब किया गया ।जिस दिन जस्टिस यू यू ललित ने ncte के वकील से ncte के टॉप मोस्ट पर्सन का लिखित जवाब मांगा उसके बाद बहुत से मित्रों ने इनबॉक्स में प्रश्न किया ।पूरे प्रकरण पर मेरा जो विचार था मैंने आपके समक्ष हूबहू रख दिया ।बाकी आप खुद समझदार हैं । खैर अब दादा जी (ncte)का जवाब भी आ चुका है जिस पर विस्तार से चर्चा अगली पोस्ट मेंकरूंगा ।आज सिर्फ इतना ही........ सधन्यवाद सत्यमेवजयते आपका एस के पाठक कार्यकर्त्ता टेट मोर्चा उत्तरप्रदेश
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