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सरकारी स्कूलों में शिक्षक बनना नहीं होगा आसान, NCERT की गवर्निंग काउंसिल ने नियमों में किए बदलाव

देहरादून। अब शिक्षक बनना आसान नहीं होगा। भर्ती पात्रता की शर्तें पूरी नहीं करने वाले शिक्षकों की मुश्किलें बढ़ जाएंगी। एनसीईआरटी की गवर्निंग काउंसिल की महासभा ने यह तय कर दिया है
कि आने वाले समय में प्राइमरी से लेकर माध्यमिक स्तर तक अयोग्य व अप्रशिक्षित शिक्षकों की भर्ती किसी भी हालत में नहीं होगी। यही नहीं, जिन शिक्षकों ने बीएड का प्रशिक्षण नहीं लिया है, उन्हें जून, 2019 तक हर हाल में बीएड उत्तीर्ण करना होगा। इसके लिए आरटीई एक्ट में संशोधन होगा। उत्तराखंड पर भी पड़ेगा असर
गौरतलब है कि नई दिल्ली में एनसीईआरटी गवर्निंग काउंसिल की महासभा की केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर की अध्यक्षता में हुई बैठक में कई अहम फैसले लिए गए। बैठक में शामिल विद्यालयी शिक्षा महानिदेशक एवं अपर सचिव आलोक शेखर तिवारी ने बताया कि कई अहम फैसलों का असर उत्तराखंड समेत अन्य राज्यों पर पड़ना तय है। महासभा द्वारा लिए गए फैसले के बाद अब अपात्र या अप्रशिक्षित शिक्षक भविष्य में सरकारी शिक्षक नहीं बन सकेंगे। इसी तरह राज्य में जिन शिक्षकों ने बीएड की डिग्री नहीं ली है, उन्हें इसके लिए अंतिम मौका दिया गया है। शिक्षा महानिदेशक आलोक शेखर तिवारी ने बताया कि अप्रशिक्षित शिक्षकों को हर हाल में जून, 2019 तक बीएड की डिग्री प्राप्त करनी होगी। ऐसे शिक्षकों को इसी वर्ष बीएड पाठ्यक्रम में दाखिला लेना होगा। एनसीईआरटी महासभा में यह भी तय किया गया कि फर्जी निजी बीएड कॉलेजों के खिलाफ बड़ा अभियान चलाया जाएगा।
5वीं और 8वीं बोर्ड की परीक्षाएं होंगी
आपको बता दें कि शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने के लिए केन्द्र ने पांचवीं और आठवीं में बोर्ड परीक्षाएं आयोजित करने का फैसला लिया है। इसी के तहत छात्रों को फेल करने की नीति में भी बदलाव किया गया है। इसके लिए आरटीई एक्ट में संशोधन किया जाएगा। शिक्षा महानिदेशक ने प्रदेश के शिक्षा मंत्री अरविंद पांडेय की ओर से राज्य के परिप्रेक्ष्य में उठाए गए मुद्दों के संबंध में पत्र केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर को सौंपा गया है।
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