*सुप्रीम कोर्ट हलचल( *परिणाम समीक्षा*) *सभी पौने दो लाख सम्मानित शिक्षामित्र साथियों को प्रणाम*🙏
मित्रों, आगामी सप्ताह में, यानी 5 जुलाई से 10 जुलाई तक.. कभी भी.. न केवल, उत्तर प्रदेश बल्कि पूरे भारत देश के सबसे जटिलतम व विश्व के सबसे बड़े मामले में बहुप्रतीक्षित फैसले का निर्णय माननीय सर्वोच्च
उक्त सभी वादों में उत्तर प्रदेश के लगभग 3,50,000/- से ऊपर शिक्षकों का भविष्य निहित है,जिनमें अब तक हुई सुनवाई में भारत भर के सर्वश्रेष्ठ अधिवक्ताओं का पैनल भिन्न भिन्न पक्षकारों की तरफ से अपना -अपना सर्वश्रेष्ठ पक्ष रख चुके हैं।
अब जबकि निर्णय जुलाई माह के प्रथम सप्ताह में आना लगभग सुनिश्चित प्रतीत हो रहा है तो विभिन्न.. पूर्वानुमान,भविष्यवाणी सोशल मीडिया पर चल रही हैं,निर्णय को लेकर...हमारे पास भी अनेकों प्रश्न आते हैं,पर चूंकि हम कोई याची नेता तो हूँ नहीं ,जो भारत के सर्वोच्च न्याय के मंदिर को कोई खाप पंचायत समझने लगूं.. जो जब चाहे जैसा निर्णय खुद ही सुनाने बैठ जाऊँ।हाँ भारतीय संविधान ने हमें भी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता(जे एन यू वाली नहीं) का मौलिक अधिकार दिया है तो.. हम भी 1,72000/- शिक्षा मित्रों के बारे में सम्भावनाओं को तलाशने के लिये स्वतंत्र हूँ,,इसी संदर्भ में आज हम कुछ प्रश्नो के प्रति उत्तर देने की चेष्टा कर रहा हूँ
*वैयक्तिक पैरवी*
किसी भी केस का निर्णय उस निर्णय से प्रभावित होने वाले वादी या प्रतिवादी की सक्रियता,उसकी सटीक व सही समय पर की गई पैरवी पर निर्भर करता है,,हम एक निरपेक्ष भाव से मूल्यांकन करेंगे तो पाएंगे कि 12 सितंबर की विभीषिका के बाद प्रदेशभर के जागरूक, सक्रिय,योग्य व जानकार शिक्षा मित्र अपने हितों की रक्षा के लिये स्वयं आगे आये,और उनका साथ शिक्षा मित्रों के विशाल समुदाय ने दिया,जबकि ये मानने में गुरेज नहीं कि हाइकोर्ट में अधिकतर हमारे साथी अपने हुक्मरानों, अपने आकाओं के बलबूते ही जीत की गारंटी मानकर चलते थे,,तथ्यात्मक दृष्टि से देखें तो शिक्षा मित्रों का पक्ष हाइकोर्ट की तुलना में अधिक तर्क एवं विधिसंगत तरीके से सर्वोच्च न्यायालय में रखा गया है।
*सम्बंधित संस्थाओं की भूमिका*
हाईकोर्ट में हार के प्रमुख कारणों में से, कुछ हमसे सम्बंधित संस्थाओं यथा एनसीटीई ,एमएचआरडी आदि का शिक्षा मित्रों के प्रति विद्वेषपूर्ण पक्ष,काउंटर रहा था..जो हमारे कथित मठाधीशों की नाक के नीचे(अंडर टेबल गिव एन्ड टेक) तैयार होता रहा,हालांकि हम मानता हूं कि माननीय सर्वोच्च न्यायालय में,उपर्युक्त संस्थाओं ने शिक्षामित्रों के लिये सकारात्मक काउंटर और बहस कराई है,जिसकी कमी कमोवेश हाइकोर्ट में रही थी।
*स्टेट का पक्ष*
तत्कालीन उत्तर प्रदेश सरकार की महत्वाकांक्षी योजना शिक्षामित्रों के समायोजन पर आकर पूर्ण हो गई.. ऐसा ब्यूरोक्रेसी या डेमोक्रेसी ने मान लिया,कहना मुश्किल है,,पर यहाँ भी शुद्ध मन से मूल्यांकन करें तो हाइकोर्ट में स्टेट की पैरवी प्रथम दृष्टया संदिग्ध प्रतीत होती है।
हम एक कटु बात कहना चाहूंगा, बच्चे को जन्म देने से भी बड़ा काम होता है उसकी देखरेख करना, उसके सन्तुलित भोजन की व्यवस्था करना,,न कि उसे कुपोषण का शिकार होने के लिये छोड़ देना।
मुझे लगता है तत्कालीन सरकार को हाइकोर्ट में एक मात्र अपर महाधिवक्ता से काम न चलाकर कम से कम दो बहुत बड़े सिनिअर वकील लाने थे,जो अशोक खरे को प्रत्युत्तर देने में सक्षम होते,हम कह सकते हैं सर्वोच्च न्यायालय में 2 मई को AAG अजय कुमार मिश्रा की की कुटिल बहस को छोड़ दें तो स्टेट की तरफ से वेंकट रमणी सर की बहस एवं सम्मिशन दोनों ही सार्थक रहे हैं।
मित्रों, पोस्ट लम्बी हो रही है इसलिये बात खत्म करने से पहले कहना चाहूंगा कि आप सभी शुद्ध चित से अपने दैनिक कार्यो को अपने इष्ट का ध्यान करते हुए करते रहें,मुझे अपने विधिपालक ईश्वर एवं विधि संचालक भारतीय न्याय व्यवस्था पर पूरा भरोसा है,हम माननीय सर्वोच्च न्यायालय से अवश्य ही विजयी घोषित होंगे
इन्ही आपेक्षाओं के साथ..
जय हिंद
जय शिक्षामित्र
*बाल गोपाल शुक्ल*
वरि उपाध्यक्ष शिक्षा मित्र संघ
सल्टौआ बस्ती
*सधन्यवाद*🙏
ख़बरें अब तक - 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती - Today's Headlines
मित्रों, आगामी सप्ताह में, यानी 5 जुलाई से 10 जुलाई तक.. कभी भी.. न केवल, उत्तर प्रदेश बल्कि पूरे भारत देश के सबसे जटिलतम व विश्व के सबसे बड़े मामले में बहुप्रतीक्षित फैसले का निर्णय माननीय सर्वोच्च
- Supremecourt : यू0 पी0 शिक्षामित्र शिक्षक कल्याण समिति बनाम स्टेट ऑफ यू0पी0" में अगली लिस्टिंग डेट 05 जुलाई 2017
- UPTET SHIKSHAMITRA NEWS: शिक्षामित्रों व टीईटी अभ्यर्थियों का तनाव बढ़ा
- 1,72,000 शिक्षामित्रों के लिए महत्वपूर्ण खबर, होने जा रहा 5 जुलाई को बड़ा फैसला
- 5 जुलाई : शिक्षामित्रों को राहत या झटका, सुप्रीम कोर्ट ने तय की फैसले की तारीख
- 5 जुलाई को आर्डर ऐसे आयेगा ... 72825 के पद सुरक्षित है , सभी एकेडमिक से हुई नियुक्तियां रद्द , सभी शिक्षा मित्रो की नियुक्तियां रद्द
उक्त सभी वादों में उत्तर प्रदेश के लगभग 3,50,000/- से ऊपर शिक्षकों का भविष्य निहित है,जिनमें अब तक हुई सुनवाई में भारत भर के सर्वश्रेष्ठ अधिवक्ताओं का पैनल भिन्न भिन्न पक्षकारों की तरफ से अपना -अपना सर्वश्रेष्ठ पक्ष रख चुके हैं।
अब जबकि निर्णय जुलाई माह के प्रथम सप्ताह में आना लगभग सुनिश्चित प्रतीत हो रहा है तो विभिन्न.. पूर्वानुमान,भविष्यवाणी सोशल मीडिया पर चल रही हैं,निर्णय को लेकर...हमारे पास भी अनेकों प्रश्न आते हैं,पर चूंकि हम कोई याची नेता तो हूँ नहीं ,जो भारत के सर्वोच्च न्याय के मंदिर को कोई खाप पंचायत समझने लगूं.. जो जब चाहे जैसा निर्णय खुद ही सुनाने बैठ जाऊँ।हाँ भारतीय संविधान ने हमें भी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता(जे एन यू वाली नहीं) का मौलिक अधिकार दिया है तो.. हम भी 1,72000/- शिक्षा मित्रों के बारे में सम्भावनाओं को तलाशने के लिये स्वतंत्र हूँ,,इसी संदर्भ में आज हम कुछ प्रश्नो के प्रति उत्तर देने की चेष्टा कर रहा हूँ
*वैयक्तिक पैरवी*
किसी भी केस का निर्णय उस निर्णय से प्रभावित होने वाले वादी या प्रतिवादी की सक्रियता,उसकी सटीक व सही समय पर की गई पैरवी पर निर्भर करता है,,हम एक निरपेक्ष भाव से मूल्यांकन करेंगे तो पाएंगे कि 12 सितंबर की विभीषिका के बाद प्रदेशभर के जागरूक, सक्रिय,योग्य व जानकार शिक्षा मित्र अपने हितों की रक्षा के लिये स्वयं आगे आये,और उनका साथ शिक्षा मित्रों के विशाल समुदाय ने दिया,जबकि ये मानने में गुरेज नहीं कि हाइकोर्ट में अधिकतर हमारे साथी अपने हुक्मरानों, अपने आकाओं के बलबूते ही जीत की गारंटी मानकर चलते थे,,तथ्यात्मक दृष्टि से देखें तो शिक्षा मित्रों का पक्ष हाइकोर्ट की तुलना में अधिक तर्क एवं विधिसंगत तरीके से सर्वोच्च न्यायालय में रखा गया है।
*सम्बंधित संस्थाओं की भूमिका*
हाईकोर्ट में हार के प्रमुख कारणों में से, कुछ हमसे सम्बंधित संस्थाओं यथा एनसीटीई ,एमएचआरडी आदि का शिक्षा मित्रों के प्रति विद्वेषपूर्ण पक्ष,काउंटर रहा था..जो हमारे कथित मठाधीशों की नाक के नीचे(अंडर टेबल गिव एन्ड टेक) तैयार होता रहा,हालांकि हम मानता हूं कि माननीय सर्वोच्च न्यायालय में,उपर्युक्त संस्थाओं ने शिक्षामित्रों के लिये सकारात्मक काउंटर और बहस कराई है,जिसकी कमी कमोवेश हाइकोर्ट में रही थी।
*स्टेट का पक्ष*
तत्कालीन उत्तर प्रदेश सरकार की महत्वाकांक्षी योजना शिक्षामित्रों के समायोजन पर आकर पूर्ण हो गई.. ऐसा ब्यूरोक्रेसी या डेमोक्रेसी ने मान लिया,कहना मुश्किल है,,पर यहाँ भी शुद्ध मन से मूल्यांकन करें तो हाइकोर्ट में स्टेट की पैरवी प्रथम दृष्टया संदिग्ध प्रतीत होती है।
हम एक कटु बात कहना चाहूंगा, बच्चे को जन्म देने से भी बड़ा काम होता है उसकी देखरेख करना, उसके सन्तुलित भोजन की व्यवस्था करना,,न कि उसे कुपोषण का शिकार होने के लिये छोड़ देना।
मुझे लगता है तत्कालीन सरकार को हाइकोर्ट में एक मात्र अपर महाधिवक्ता से काम न चलाकर कम से कम दो बहुत बड़े सिनिअर वकील लाने थे,जो अशोक खरे को प्रत्युत्तर देने में सक्षम होते,हम कह सकते हैं सर्वोच्च न्यायालय में 2 मई को AAG अजय कुमार मिश्रा की की कुटिल बहस को छोड़ दें तो स्टेट की तरफ से वेंकट रमणी सर की बहस एवं सम्मिशन दोनों ही सार्थक रहे हैं।
मित्रों, पोस्ट लम्बी हो रही है इसलिये बात खत्म करने से पहले कहना चाहूंगा कि आप सभी शुद्ध चित से अपने दैनिक कार्यो को अपने इष्ट का ध्यान करते हुए करते रहें,मुझे अपने विधिपालक ईश्वर एवं विधि संचालक भारतीय न्याय व्यवस्था पर पूरा भरोसा है,हम माननीय सर्वोच्च न्यायालय से अवश्य ही विजयी घोषित होंगे
इन्ही आपेक्षाओं के साथ..
जय हिंद
जय शिक्षामित्र
*बाल गोपाल शुक्ल*
वरि उपाध्यक्ष शिक्षा मित्र संघ
सल्टौआ बस्ती
*सधन्यवाद*🙏
- 5 जुलाई को फाईनल आदेश सार्वजनिक बहुआयामी व कल्याणकारी होगा , सभी का भविष्य सुरक्षित
- फैसला 5 जुलाई को , सुप्रीम कोर्ट में शिक्षा मित्रों को लेकर फ़ाइल की गई एसएलपी की व्याख्या
- शिक्षामित्रों के भविष्य का बहुप्रतीक्षित फैसला 5 जुलाई को आदर्श कुमार गोयल और उदय उमेश ललित जी के चैम्बर में
- सुप्रीम कोर्ट का 5 जुलाई को फाइनल संभावित आर्डर
- शिक्षामित्र पर 5 जुलाई को सुप्रीमकोर्ट फैसले का इनपुट
- फंसी भर्तियों को शुरू कराने को घेरेंगे लोक सेवा आयोग
- पदोन्नति के इन्तजार में सेवानिवृत्त न हो जाएँ शिक्षक
ख़बरें अब तक - 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती - Today's Headlines