प्रदेश सरकार समूह ‘ग ‘ और ‘घ ‘ की नौकरियों से साक्षात्कार खत्म करने जा रही है। मुख्यमंत्री ने नियुक्ति और कार्मिक विभाग के इस प्रस्ताव पर सहमति जता दी है। जल्द ही कैबिनेट के समक्ष मंजूरी के लिए इसे भेजा जाएगा। कैबिनेट की मुहर लगने के बाद प्रदेश में भी केंद्र की तरह साक्षात्कार के बिना नियुक्ति की व्यवस्था लागू हो जाएगी। इससे पारदर्शिता और निष्पक्षता बढ़ेगी।
भाजपा ने विधानसभा चुनाव के संकल्प पत्र में पारदर्शी और निष्पक्ष भर्ती के लिए यह घोषणा की थी।
तब कहा गया कि समूह ग और घ की सरकारी नौकरियों में संवैधानिक आरक्षण व्यवस्था का सम्मान करते हुए बिना जाति और धर्म के पक्षपात के भर्ती प्रक्रिया सुनिश्चित करने के लिए साक्षात्कार को समाप्त किया जाएगा। शपथ ग्रहण के बाद मुख्यमंत्री ने संकल्प पत्र के बिंदुओं को लागू करने की पहल की। सौ दिनों के भीतर इस व्यवस्था को लागू करने के निर्देश दिए। सरकार के सौ दिन पूरे होने से पहले ही इसे लागू करने पर उनका जोर है।
इसलिए सारी औपचारिकता पूरी कर नियमावली तैयार कर ली गई है। संभव है कि यह अगली बैठक में ही मंजूरी के लिए आ जाए। उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्ष 2016 में स्वतंत्रता दिवस पर समूह ग और घ की नौकरियों से साक्षात्कार खत्म करने का एलान किया था। उन्होंने राज्यों से भी आहवान किया था। उत्तर प्रदेश सरकार ने तब इस दिशा में कदम बढ़ाया और विभागों से सूचनाएं मांगी गई लेकिन, सहमति नहीं बन पाई।
पिछली सरकार पर समूह ग और घ की नौकरियों में भ्रष्टाचार के आरोप लगे। उत्तर प्रदेश अधीनस्थ चयन सेवा आयोग पर जहां आबकारी सिपाही की भर्ती में आरोप लगे वहीं उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग के भ्रष्टाचार को लेकर प्रदेश व्यापी बहस चल पड़ी। उन्हीं दिनों प्रधानमंत्री ने साक्षात्कार से मुक्ति का एलान कर अभ्यर्थियों के मन में उम्मीद जगाई। दरअसल, मेधावी अभ्यर्थियों के भविष्य के साथ कई बार साक्षात्कार में ही खिलवाड़ हुआ और उनका हक मारा गया।
साक्षात्कार खत्म होने से इन नौकरियों में सिफारिशें, पक्षपात और भ्रष्टाचार बंद हो जाएगा। इससे दक्षता बढ़ेगी और योग्य लोगों को ही मौका मिलेगा। भाजपा ने अपने संकल्प पत्र में कहा था कि सरकार बनने के 90 दिनों के भीतर ही प्रदेश के सभी रिक्त सरकारी पदों के लिए पारदर्शी तरीके से भर्ती की प्रक्रिया प्रारंभ की जाएगी। चूंकि भर्ती के लिए नई नियमावली का बनना जरूरी है। इसलिए भी सरकार ने भर्तियों से साक्षात्कार खत्म करने की पहल की है।
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भाजपा ने विधानसभा चुनाव के संकल्प पत्र में पारदर्शी और निष्पक्ष भर्ती के लिए यह घोषणा की थी।
तब कहा गया कि समूह ग और घ की सरकारी नौकरियों में संवैधानिक आरक्षण व्यवस्था का सम्मान करते हुए बिना जाति और धर्म के पक्षपात के भर्ती प्रक्रिया सुनिश्चित करने के लिए साक्षात्कार को समाप्त किया जाएगा। शपथ ग्रहण के बाद मुख्यमंत्री ने संकल्प पत्र के बिंदुओं को लागू करने की पहल की। सौ दिनों के भीतर इस व्यवस्था को लागू करने के निर्देश दिए। सरकार के सौ दिन पूरे होने से पहले ही इसे लागू करने पर उनका जोर है।
इसलिए सारी औपचारिकता पूरी कर नियमावली तैयार कर ली गई है। संभव है कि यह अगली बैठक में ही मंजूरी के लिए आ जाए। उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्ष 2016 में स्वतंत्रता दिवस पर समूह ग और घ की नौकरियों से साक्षात्कार खत्म करने का एलान किया था। उन्होंने राज्यों से भी आहवान किया था। उत्तर प्रदेश सरकार ने तब इस दिशा में कदम बढ़ाया और विभागों से सूचनाएं मांगी गई लेकिन, सहमति नहीं बन पाई।
पिछली सरकार पर समूह ग और घ की नौकरियों में भ्रष्टाचार के आरोप लगे। उत्तर प्रदेश अधीनस्थ चयन सेवा आयोग पर जहां आबकारी सिपाही की भर्ती में आरोप लगे वहीं उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग के भ्रष्टाचार को लेकर प्रदेश व्यापी बहस चल पड़ी। उन्हीं दिनों प्रधानमंत्री ने साक्षात्कार से मुक्ति का एलान कर अभ्यर्थियों के मन में उम्मीद जगाई। दरअसल, मेधावी अभ्यर्थियों के भविष्य के साथ कई बार साक्षात्कार में ही खिलवाड़ हुआ और उनका हक मारा गया।
साक्षात्कार खत्म होने से इन नौकरियों में सिफारिशें, पक्षपात और भ्रष्टाचार बंद हो जाएगा। इससे दक्षता बढ़ेगी और योग्य लोगों को ही मौका मिलेगा। भाजपा ने अपने संकल्प पत्र में कहा था कि सरकार बनने के 90 दिनों के भीतर ही प्रदेश के सभी रिक्त सरकारी पदों के लिए पारदर्शी तरीके से भर्ती की प्रक्रिया प्रारंभ की जाएगी। चूंकि भर्ती के लिए नई नियमावली का बनना जरूरी है। इसलिए भी सरकार ने भर्तियों से साक्षात्कार खत्म करने की पहल की है।
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