Breaking Posts

Top Post Ad

स्थानांतरण को कोर्ट में चुनौती, कोर्ट ने 7 जुलाई तक स्थिति से अवगत कराने के लिए कहा

इलाहाबाद : सिविल पुलिस के सैकड़ों कांस्टेबल, हेड कांस्टेबल और उप निरीक्षकों (दारोगाओं) को जीआरपी में स्थानांतरित करने के खिलाफ दाखिल याचिका पर हाईकोर्ट ने प्रदेश सरकार और पुलिस मुख्यालय से जवाब
मांगा है। मामले की सुनवाई सात जुलाई को होगी।
हरिशंकर प्रसाद, हरिहर प्रसाद, राजकुमार सिंह सहित प्रदेश के सैकड़ों स्थानांतरित पुलिस कर्मियों ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर स्थानांतरण को चुनौती दी है। याचिका पर सुनवाई न्यायमूर्ति अभिनव उपाध्याय कर रहे हैं।
याची के अधिवक्ता विजय गौतम ने बताया कि 21 जून 2017 को पुलिस उप महानिरीक्षक कार्मिक और पुलिस महानिदेशक ने अलग-अलग गस्तियां जारी कर सिविल पुलिस के सैकड़ों कर्मचारियों का स्थानांतरण जीआरपी में कर दिया। स्थानांतरण आदेश में डीआइजी रेंज से प्राप्त नामों के आधार पर तीन वर्ष के लिए इन सभी का जीआरपी में स्थानांतरण किया गया। तीन वर्ष की अवधि समाप्त होते ही सभी फिर से सिविल पुलिस में आ जाएंगे। याचीगण का कहना है कि स्थानांतरण आदेश जारी करने से पहले उनकी सहमति नहीं ली गई। नामांकन भी सक्षम अधिकारियों द्वारा नहीं किया गया तथा इस स्थानांतरण में ‘पिक एंड चूज’ की पॉलिसी अपनाई गई है। अधिवक्ता विजय गौतम ने कोर्ट को बताया कि पुलिस महानिदेशक ने 14 नवंबर 2014 को आदेश जारी कर यह व्यवस्था की है कि 47 वर्ष से अधिक आयु के पुलिसकर्मी जीआरपी में स्थानांतरित नहीं किए जाएंगे। इच्छुक पुलिस कर्मियों का स्थानांतरण ही जीआरपी में किया जाए। अधिवक्ता ने कहा कि इस आदेश का पालन स्थानांतरण करते समय नहीं किया गया। कोर्ट ने प्रदेश सरकार और पुलिस मुख्यालय से इस संबंध में सात जुलाई तक स्थिति से अवगत कराने के लिए कहा है।

sponsored links:
ख़बरें अब तक - 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती - Today's Headlines

No comments:

Post a Comment

Facebook