सहारनपुर। बेसिक शिक्षा विभाग की ओर से संचालित परिषदीय
विद्यालयों में शिक्षक-छात्र अनुपात को सामान्य करने के लिए शिक्षकों का
समायोजन किया जा रहा है। समायोजन की इस प्रक्रिया में प्राथमिक विद्यालयों
में 611 और उच्च प्राथमिक विद्यालयों से 116 शिक्षकों को शामिल किया गया
है।
शिक्षकों का आरोप है कि विभाग की ओर
से समायोजन में शामिल शिक्षकों की जो लिस्ट जारी की गई है, उसमें भारी
अनियमितताएं हैं। सूची जारी करने के बाद विभाग की ओर से हमसे आपत्तियां तो
मांगी गईं, लेकिन सुधार एक भी आपत्ति में नहीं किया गया। ऐसे में
बृहस्पतिवार को अनियमितताओं के बीच काउंसिलिंग करायी जाएगी। विभिन्न शिक्षक
संगठनों के नेताओं ने डीएम, सीडीओ और बीएसए से मुलाकात कर अनियमितताओं में
सुधार की मांग की। जिले में कई स्कूल ऐसे हैं जहां शिक्षक ज्यादा और
बच्चे कम हैं। वहीं कुछ में बच्चों की संख्या ज्यादा और शिक्षकों की संख्या
कम है। विद्यालयों में शिक्षकों के इस बिगड़े अनुपात को सुधारने के लिए
समायोजन किया जा रहा है। समायोजन की इस प्रक्रिया में प्राथमिक विद्यालयों
के 611 शिक्षकों को शामिल किया गया है। जिनमें से समायोजन के लिए चुने गए
236 विद्यालयों में 236 शिक्षकों का समायोजन होना है। वहीं उच्च प्राथमिक
विद्यालयों के 116 शिक्षक शामिल हैं। विभाग की ओर से प्राथमिक विद्यालयों
में होने वाले समायोजन में बड़ा खेल खेला गया है। यह खेल वरिष्ठता सूची में
खेला गया है।
विवादित लिपिक के हाथों में समायोजन की कमान
- कुछ शिक्षकों कहना है कि बेसिक शिक्षा विभाग में तैनात एक लिपिक का नाम पूर्व में कई विवादों में सामने आ चुका है। पूर्व बीएसए विनय कुमार की तैनाती के समय शासन को गलत रिपोर्ट देकर गुमराह करने आदि में भी इसी लिपिक की भूमिका सामने आई थी। स्थानांतरण प्रक्रिया पर रोक के बावजूद सचिव बेसिक शिक्षा के कार्यालय में सेटिंग गेटिंग कर सैकड़ों शिक्षकों के स्थानांतरण में भी उक्त लिपिक की अहम भूमिका रही है। सरकार बदलने के बाद भी विभाग की ओर से समायोजन जैसे महत्वपूर्ण कार्य की कमान फिर से इसी लिपिक को दे दी गई है। अब समायोजन की सूची में गड़बड़ी करने के आरोप भी इसी लिपिक पर लगाये जा रहे हैं। समायोजन सूची में हुई गड़बड़ी में विभाग के एक और कर्मचारी की भूमिका संदेह के घेरे में है।
रडार पर हैं विवादित लिपिक
- शासन की ओर से 20 जुलाई तक समायोजन करने के आदेश जारी किए गए हैं। ऐसे में कार्यभार ग्रहण करने के बाद आनन-फानन में प्रक्रिया शुरू कराई गई। शिक्षकों से आपत्तियां मांगी गई थी, उनका निस्तारण भी कराया गया है। जो लिपिक विवादित हैं, उनको कार्यभार जरूर सौंपा गया है, लेकिन साथ में अन्य लिपिकों को भी लगाया गया है। विभाग के विवादित लिपिक उनके रडार हैं।
रामेंद्र सिंह, बीएसए
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विवादित लिपिक के हाथों में समायोजन की कमान
- कुछ शिक्षकों कहना है कि बेसिक शिक्षा विभाग में तैनात एक लिपिक का नाम पूर्व में कई विवादों में सामने आ चुका है। पूर्व बीएसए विनय कुमार की तैनाती के समय शासन को गलत रिपोर्ट देकर गुमराह करने आदि में भी इसी लिपिक की भूमिका सामने आई थी। स्थानांतरण प्रक्रिया पर रोक के बावजूद सचिव बेसिक शिक्षा के कार्यालय में सेटिंग गेटिंग कर सैकड़ों शिक्षकों के स्थानांतरण में भी उक्त लिपिक की अहम भूमिका रही है। सरकार बदलने के बाद भी विभाग की ओर से समायोजन जैसे महत्वपूर्ण कार्य की कमान फिर से इसी लिपिक को दे दी गई है। अब समायोजन की सूची में गड़बड़ी करने के आरोप भी इसी लिपिक पर लगाये जा रहे हैं। समायोजन सूची में हुई गड़बड़ी में विभाग के एक और कर्मचारी की भूमिका संदेह के घेरे में है।
रडार पर हैं विवादित लिपिक
- शासन की ओर से 20 जुलाई तक समायोजन करने के आदेश जारी किए गए हैं। ऐसे में कार्यभार ग्रहण करने के बाद आनन-फानन में प्रक्रिया शुरू कराई गई। शिक्षकों से आपत्तियां मांगी गई थी, उनका निस्तारण भी कराया गया है। जो लिपिक विवादित हैं, उनको कार्यभार जरूर सौंपा गया है, लेकिन साथ में अन्य लिपिकों को भी लगाया गया है। विभाग के विवादित लिपिक उनके रडार हैं।
रामेंद्र सिंह, बीएसए
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