इलाहाबाद : चार साल के आंदोलन में 44 बार लाठीचार्ज, 26 बार गिरफ्तारियां, तीन बार पुलिस की गोलियां सहने और पांच-पांच हजार के इनामी अपराधी तक घोषित होने का दंश।
इतनी कठिन तपस्या के बाद बुधवार को सपा शासन में हुई नियुक्तियों की सीबीआइ जांच की घोषणा उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा किए जाने पर प्रतियोगी छात्र संघर्ष समिति के सभी पदाधिकारियों और सदस्यों के चेहरे पर जैसे सुखद मुस्कान बिखर गई। 1प्रदेश सरकार के इस फैसले के लिए समिति के पदाधिकारियों ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के प्रति धन्यवाद ज्ञापित किया। कहा कि आयोग के तत्कालीन अध्यक्ष, सदस्यों सहित जिनकी फर्जी तरह से नियुक्तियां हुई हैं उन्हें भी न बख्शा जाए। इसके अलावा तत्कालीन अध्यक्ष व सदस्यों संपत्ति की जांच भी कराई जाए। सपा शासन में हुई नियुक्तियों को फर्जी बताकर जांच की मांग प्रतियोगी छात्र संघर्ष समिति द्वारा सन 2013 में शिक्षा और साहित्य की नगरी इलाहाबाद में उठाई गई थी। 10 जुलाई 2013 को पहली बार उप्र.
लोक सेवा आयोग के चौराहे पर आंदोलनकारियों पर पुलिस की लाठियां बेरहमी से बरसीं थीं। उस समय उप्र. लोक सेवा आयोग के तत्कालीन अध्यक्ष अनिल यादव द्वारा आरक्षण नियमावली की अवहेलना कर त्रिस्तरीय आरक्षण प्रणाली लागू किए जाने के खिलाफ आंदोलन शुरू हुआ था। तब से जो आंदोलन शुरू हुआ तो अब तक प्रतियोगी छात्रों को अपनी वाजिब मांग के बदले 44 बार पुलिस की लाठियां खानी पड़ीं। 26 बार गिरफ्तारी हो चुकी। तीन बार आंदोलनकारियों पर गोलियां चल चुकीं और यहां तक कि उन्हें पांच-पांच हजार रुपये का इनामी अपराधी तक घोषित किया गया था। बुधवार को प्रदेश सरकार द्वारा सपा शासन में हुई भर्तियों की सीबीआइ जांच के आदेश होने पर सभी आंदोलनकारियों ने मुख्यमंत्री की मुक्तकंठ से प्रशंसा की। कहा कि जांच का केवल कोरम पूरा न हो। चाहे नियुक्ति देने वाले, चाहे नियुक्ति पाने वाले। सभी को दंडित किया जाए और नियुक्ति पा चुके लोगों से वेतन की रिकवरी भी की जाए।
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इतनी कठिन तपस्या के बाद बुधवार को सपा शासन में हुई नियुक्तियों की सीबीआइ जांच की घोषणा उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा किए जाने पर प्रतियोगी छात्र संघर्ष समिति के सभी पदाधिकारियों और सदस्यों के चेहरे पर जैसे सुखद मुस्कान बिखर गई। 1प्रदेश सरकार के इस फैसले के लिए समिति के पदाधिकारियों ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के प्रति धन्यवाद ज्ञापित किया। कहा कि आयोग के तत्कालीन अध्यक्ष, सदस्यों सहित जिनकी फर्जी तरह से नियुक्तियां हुई हैं उन्हें भी न बख्शा जाए। इसके अलावा तत्कालीन अध्यक्ष व सदस्यों संपत्ति की जांच भी कराई जाए। सपा शासन में हुई नियुक्तियों को फर्जी बताकर जांच की मांग प्रतियोगी छात्र संघर्ष समिति द्वारा सन 2013 में शिक्षा और साहित्य की नगरी इलाहाबाद में उठाई गई थी। 10 जुलाई 2013 को पहली बार उप्र.
लोक सेवा आयोग के चौराहे पर आंदोलनकारियों पर पुलिस की लाठियां बेरहमी से बरसीं थीं। उस समय उप्र. लोक सेवा आयोग के तत्कालीन अध्यक्ष अनिल यादव द्वारा आरक्षण नियमावली की अवहेलना कर त्रिस्तरीय आरक्षण प्रणाली लागू किए जाने के खिलाफ आंदोलन शुरू हुआ था। तब से जो आंदोलन शुरू हुआ तो अब तक प्रतियोगी छात्रों को अपनी वाजिब मांग के बदले 44 बार पुलिस की लाठियां खानी पड़ीं। 26 बार गिरफ्तारी हो चुकी। तीन बार आंदोलनकारियों पर गोलियां चल चुकीं और यहां तक कि उन्हें पांच-पांच हजार रुपये का इनामी अपराधी तक घोषित किया गया था। बुधवार को प्रदेश सरकार द्वारा सपा शासन में हुई भर्तियों की सीबीआइ जांच के आदेश होने पर सभी आंदोलनकारियों ने मुख्यमंत्री की मुक्तकंठ से प्रशंसा की। कहा कि जांच का केवल कोरम पूरा न हो। चाहे नियुक्ति देने वाले, चाहे नियुक्ति पाने वाले। सभी को दंडित किया जाए और नियुक्ति पा चुके लोगों से वेतन की रिकवरी भी की जाए।
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