अवश्य पढ़िए , वर्तमान शिक्षण व्यवस्था पर करारा प्रहार ......शेयर करना न भूलें !| आपकी प्रतिक्रिया का स्वागत है !!

( अवश्य पढ़िए , वर्तमान शिक्षण व्यवस्था पर करारा प्रहार ......शेयर करना न भूलें !|
 आपकी प्रतिक्रिया का स्वागत है !! )

" शिक्षा की गुणवत्ता न मिलने पर शिक्षकों का रुकेगा इंक्रीमेंट ! "
" शिक्षकों के समय पर न पहुंचने पर रुकेगा वेतन ! "
" बच्चे स्कूल न आये तो दोषी होंगे शिक्षक ! "
" पोलियो और टीकाकरण में अनुपस्थित शिक्षकों का रोका गया वेतन ! "
" सभी बच्चो के आधार कार्ड न बनने के कारण ७४ अध्यापक किये गए निलंबित और २८ का रोका गया वेतन ! "अरे , चौकिये मत .....
ये आपके लिए नया थोड़ी है , आप इन खबरों को हर रोज अपने जनपद के समाचार पत्रों में पढ़ते होंगे | कभी - कभार तो नाम आपका भी छप जाता होगा | फिर नाम हटवाने के लिए , आपको बिछानी होती होगी अपनी राजनैतिक या सुविधा शुल्क जैसी गोटियां !! हर विसात का अपना अलग मूल्य निर्धारित है .....वेतन कटने और जुड़वाने का अलग , निलंबित हो चुके है तो बहाल होने का अलग !! सबका मूल्य मोटा निर्धारित है , मगर घबड़ाइये मत ......यदि आप दाम दे सकते हो तो एक आज़ाद पंक्षी की भांति विचरण कर सकते हो !!
सरकार कितनी आयी और कितनी गयी ..परन्तु स्थितियां बदलने का नाम नहीं लेती !! अखिलेश सरकार में मुझे याद है जब १५००० शिक्षक भर्ती हो रही थी और उसको जल्द पूर्ण कराने हेतु मैं संघर्षशील था तब मेरी मुलाक़ात तत्कालीन शिक्षा मंत्री अहमद हसन जी से हुयी थी , मैंने उनसे जानना चाहा कि -
" मंत्री जी, १५००० शिक्षक भर्ती कब तक पूर्ण होना संभावित है ? "
इस प्रश्न के जवाब में मंत्री जी ने भविष्य के भी समस्त प्रश्नो के उत्तर दे दिए थे , उन्होंने कहा ," यह भर्ती जल्द पूर्ण होगी , हमारी सरकार का लक्ष्य है कि हम प्रत्येक विद्यालय में ५ शिक्षक मुहैया कराये और हम इस दिशा में बढ़ रहे है !! "
सच कहूं तो अहमद हसन जी ने सही कहा भी था , १५००० पूर्ण न हो पायी थी कि १६४४८ भर्ती आ गयी ! १६४४८ पूर्ण होते ही 12460 आ गयी ......और शायद सपा सरकार रहती तो युवाओ को और रोजगार मिलते और विद्यालयों को शिक्षक ........ तब ना यह सरप्लस मुद्दा होता न ही समायोजन का !! हर कक्षा को एक शिक्षक अवश्य मिलता !!
मौजूदा हालात अलग है , अब जिन विद्यालयों में अच्छी शिक्षा व्यवस्था चल रही थी तो उनकी शिक्षा व्यवस्था जर्जर कैसे बनायीं जाए इस ओर अग्रसर हुयी भाजपा सरकार ने एक नवीन नीति अपनायी है , नीति है #सरप्लस !!
#सरप्लस है क्या ??
सरप्लस वह शिगूफा है जिसमे एक ऐसा जिन्न है जो ढुलमुल शिक्षण व्यवस्था को ऑक्सफ़ोर्ड और हावर्ड जैसे शिक्षण संसथान के समकक्ष ला खड़ा कर देगा !! इस व्यवस्था के अनुरूप जिन विद्यालयों में बच्चो कि संख्या ८९ है वहां शिक्षक २ ही रहेंगे , यदि वहाँ बच्चो कि संख्या ९० है तो वहां शिक्षक ३ रहेंगे !! इस नीति के अनुसार ऐसा दिव्य उपाय खोजा गया है कि ८९ बच्चो को २ शिक्षक इस तरह से शिक्षा दे सकने में सक्षम है कि वह बच्चा सर्वगुण संपन्न बनेगा !! २ शिक्षक कक्षा १ से ५ को अलग अलग शिक्षा एक समय में कैसे देगा यह उपाय और दिव्य सूत्र मौजूदा भाजपा सरकार के पास ही है !! यदि आप २ शिक्षक गुणवत्ता लाने में सफल न रहे तो भरोसा रखिये अपने उच्चाधिकारियों पर वो आपको जल्द अपने जेब गर्म करना का आपको एक सशक्त माध्यम बनायेगे और आप बनेगे भी !! रही बची कसर समाचार पत्र पूरी कर देगा जब समाचार पत्र में प्रकाशित हुआ होगा कि
" शिक्षा की गुणवत्ता न मिलने पर शिक्षकों का रुकेगा इंक्रीमेंट ! "
" भरोसा रखिये हालात आप चाह कर भी नहीं सुधर पाओगे ,
और आप पूरे वर्ष कक्षा १ से ५ तक के बच्चो को पहाड़े - गिनती सिखाओगे |
यह आपकी गलती नहीं , मजबूरी है ...
शिक्षा सर्वप्रथम सबसे पिछड़े छात्र को देना जरुरी है |
सबसे पिछड़ा छात्र है कक्षा १ का ,
उसको प्रथम पंक्ति में लाना है ,
सर्वप्रथम अव्वल उसी को बनाना है !!
याद रहे गुणवत्ता फड़फड़ायेगी....
आपकी तनख्वाह रोक दी जाएगी ....
आप चक्कर पर चक्कर लगाओगे ...
वर्तमान भ्रष्ट व्यवस्था के हिस्सेदार बन जाओगे ..
कोई नहीं पूछेगा कि ...
दोष किसका है ...
जो बोले कि दोष "बाबा" का है ,
एक रोज नयी नीति आयी थी..
#सरप्लस की आंधी लायी थी
गुणवत्ता उस धुंध में उड़ गयी ...
विद्यालय कि जीती - जागती व्यवस्था .....
पुनः अपंग हो गयी ......
पुनः अपंग हो गयी !!! "
- साभार-अंकुर त्रिपाठी
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