शिक्षामित्रों का कूच: 21 को लखनऊ, 25 को दिल्ली में करेंगे प्रदर्शन

लखनऊ, लाइव हिन्दुस्तान टीम शिक्षामित्रों की सरकार से वार्ता विफल होने पर मंडलभर के शिक्षामित्रों ने एक बार फिर से आंदोलन की राह पकड़ ली है।

जिससे शिक्षामित्रों के सहारे चल रहे कई प्राथमिक स्कूलों पर फिर से ताले लटक गए हैं। बिजनौर में शिक्षामित्रों ने डीएम आफिस पर किया जोरदार प्रदर्शन। बरेली के जिला अध्यक्ष डॉ. केपी सिंह ने बताया कि 17, 18 और 19 अगस्त को बीएसए दफ्तर पर और 21 अगस्त को लखनऊ के लक्ष्मण मेला मैदान में सत्याग्रह किया जायेगा। इसके बाद शिक्षामित्र 25 अगस्त दिल्ली के जंतर-मंतर में प्रदर्शन करेंगे।
बरेली में प्रशासन से सकारात्मक संकेत नहीं मिलने के कारण शिक्षामित्रों ने गुरुवार से दुबारा अपना आंदोलन शुरू किया। इस कारण 250 से ज्यादा स्कूलों में ताले लटक गए। स्कूल बंद होने के कारण एक बार फिर से बच्चों को एमडीएम नहीं मिल पायेगा। शिक्षामित्रों ने इस बार अपने आंदोलन को सत्याग्रह का नाम दिया है। गुरूवार को सुबह 10 बजे से बीएसए दफ्तर में तिरंगा लगाकर सत्याग्रह शुरू कर दिया गया था। इस बार भी महिला शिक्षामित्रों की संख्या काफी ज्यादा है। तेज गर्मी के बाद भी शिक्षामित्र पूरे दमखम से आंदोलन में जुटे हुए हैं।
वहीं मुरादाबाद समेत रामपुर, अमरोहा, संभल जिलों में गुरूवार को शिक्षण कार्य का बहिष्कार का सभी शिक्षामित्र आंदोलन में शामिल होने चले गए है। जिसकी वजह से शिक्षामित्रों के सहारे चल रहे प्राथमिक विद्यालयों में ताले लटके देखने को मिले। पिछले दिनों सुप्रीमकोर्ट ने फैसला सुनाते हुए शिक्षामित्रों को सहायक अध्यापक के पद से समायोजन रद कर दिया। जिसको लेकर गुस्साए शिक्षामित्रों ने शिक्षण का बहष्किार कर विद्यालय जाने से इंकार कर दिया। शिक्षामित्रों ने एक जुट होकर प्रदर्शन कर तरह-तरह से अपना विरोध भी जताया था।
करीब एक सप्ताह चले आंदोलन के बाद मुख्यमंत्री ने शिक्षामित्रों से वार्ता की तथा आश्वासन देकर शिक्षा व्यवस्था को फिर से सुचारू करवाने का हुक्म दिया था। मगर एक बार फिर बुधवार को सरकार से वार्ता विफल रहने के बाद शिक्षामित्रों ने अपनी मांगों को लेकर गुरूवार को कार्य बहिष्कार कर विद्यालय जाने से साफ़ इंकार कर दिया तथा फिर से सरकार के फैसले का विरोध करने लगे। जिसकी वजह से शिक्षामित्रों के सहारे चल रहे कई प्राथमिक विद्यालयों पर फिर से ताला लटक गया। इस संबंध में अभिभावकों व ग्रामीणों का कहना है की सरकार एवं शिक्षामित्रों की लड़ाई में मासूम बच्चों का भविष्य खराब हो रहा है।
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