50 वर्ष पर अनिवार्य सेवानिवृत्ति पर एक कहानी 👇👇👇
एक राज्य में एक राजा थे । एक दिन उन्होंने अपने मंत्री ( मुख्य सचिव ) को बुलाया और कहा कि 50 वर्ष से अधिक आयु वाले बुड्डे-बूढ़ी सिवाय खाने-पीने के अलावा कोई काम नहीं करते और यह बोझ बन गये हैं ।
सब रियासतदारों ( डी एम ) को आदेश भेजो कि वह हर जिले में एक खूब बड़ा गड्डा खुदवाए और उसमें 50 साल से ऊपर के सभी बुड्डे-बूढ़ी को गिरवा दें, कोई भी बूढ़ा-बुढ़ी राज्य में दिखायी न दें । इस पर मंत्री ने कहा कि
महाराज यह सही नहीँ हैं इन बूढ़े-बूढ़ी के अनुभव का लाभ राज्य को मिलता हैं जो फ़िर नहीँ मिलेगा ।
......पर राजा ने मंत्री की बात नहीँ मानी और सभी नागरिकों को अपने घर के 50 साल से अधिक आयु के बूढ़े-बूढ़ी को 30 दिन के अंदर गड्डे में फेंकने के आदेश दिये गये ।
इसी आदेश पर जब एक व्यक्ति अपने पिता को कंधे पर बैठाकर शहर में खुदे गड्डे में फेंकने ले जा रहा था तो उसका पिता रास्ते में पड़ने वाले पेड़ से पत्तियाँ तोड़कर रास्ते में डाल देता था , इस पर बेटे ने पूछा तो उसने कहा कि जब तू मुझे फेंककर वापिस घर आयेगा , रास्ता भूलने पर इन पत्तियों को देखकर घर पहुँच जायेगा । इस पर बेटे के मन में विचार बदल गया और उसने फ़ैसला किया जो मेरा इतना ध्यान रखता हैं उसे मैं कभी गड्डे में नहीँ फेंकुंगा ।
.... बाद में उसने अपने पिता को घर में छुपाकर रख लिया ।
.......30 दिन बाद राजा ने मंत्री से पूछा कि अब कोई बूढ़ा-बूढ़ी नही बचा हैं , मंत्री ने कहा कि - नहीँ । इस पर राजा ने चुटकी ली कि अब अनुभव की परीक्षा हो जाये । कोई एक काम पूरे राज्य से करवाओ और उसे करने वाले को उचित इनाम दो ।
......मंत्री ने ऐलान किया कि तीन दिन में जो शंख में धागा पिरोकर लायेगा उसे 100 स्वर्ण मुद्रा मिलेंगी ।
इस बात को जब उस व्यक्ति ने अपने पिता से शेयर किया तो उसने कहा कि चींटी के पैर में धागा चिपकाकर शंख के एक सिरे पर छोड़ दो जब चींटी चलेगी तो चींटी के साथ धागा दूसरे सिरे से निकल आयेगा । बेटे ने ऐसे ही किया और शंख में धागा आर-पार हो गया । उसने राजा के पास जाकर इनाम पा लिया ।
इस पर राजा ने फ़िर मंत्री से चुटकी ली कि अनुभव का क्या काम ? इस पर मंत्री ने एक और सवाल पूछने की इजाज़त माँगी तो राजा ने कहा कि चलो एक बार और सही !
फ़िर मंत्री में ऐलान किया कि जो कोई तीन दिन में राख से रस्सी बनाकर लायेगा उसे 500 स्वर्ण मुद्रा मिलेंगी , इस पर पूरे राज्य में कोई सफ़ल नही हो पाया जब उस व्यक्ति ने अपने पिता से पूछा तो उसने कहा कि एक ट्रे में रस्सी का टुकड़ा रखकर उसमें आग लगा दो जब आग बुझेगी तो राख की रस्सी ही मिलेगी ।
......जब व्यक्ति राजभवन पहुँचा और उसने इनाम पाया तो मंत्री को शक हुआ कि दोनों बार एक ही व्यक्ति क्यों ? ज़रूर इसके घर में कोई बूढ़ा-बूढ़ी हैं । इस पर मंत्री ने व्यक्ति से सच्चाई निकलवा ली और तब राजा को एहसास हुआ कि उसका आदेश ग़लत था , अनुभव का कहीँ कोई विकल्प नहीँ ।
उपरोक्त कहानी के परिपेक्ष्य में , मैं आनन्द प्रकाश गुप्ता , जिला मंत्री उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ , रामपुर माननीय मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ जी से सोशल मीडिया के माध्यम से अनुरोध करता हूँ कि वह 50 वर्ष से अधिक आयु के कर्मचारी / अधिकारी को अनिवार्य सेवानिवृत्ति देने का आदेश वापिस लेना चाहें ।
दिनांक - 07/08/2017
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एक राज्य में एक राजा थे । एक दिन उन्होंने अपने मंत्री ( मुख्य सचिव ) को बुलाया और कहा कि 50 वर्ष से अधिक आयु वाले बुड्डे-बूढ़ी सिवाय खाने-पीने के अलावा कोई काम नहीं करते और यह बोझ बन गये हैं ।
सब रियासतदारों ( डी एम ) को आदेश भेजो कि वह हर जिले में एक खूब बड़ा गड्डा खुदवाए और उसमें 50 साल से ऊपर के सभी बुड्डे-बूढ़ी को गिरवा दें, कोई भी बूढ़ा-बुढ़ी राज्य में दिखायी न दें । इस पर मंत्री ने कहा कि
महाराज यह सही नहीँ हैं इन बूढ़े-बूढ़ी के अनुभव का लाभ राज्य को मिलता हैं जो फ़िर नहीँ मिलेगा ।
......पर राजा ने मंत्री की बात नहीँ मानी और सभी नागरिकों को अपने घर के 50 साल से अधिक आयु के बूढ़े-बूढ़ी को 30 दिन के अंदर गड्डे में फेंकने के आदेश दिये गये ।
इसी आदेश पर जब एक व्यक्ति अपने पिता को कंधे पर बैठाकर शहर में खुदे गड्डे में फेंकने ले जा रहा था तो उसका पिता रास्ते में पड़ने वाले पेड़ से पत्तियाँ तोड़कर रास्ते में डाल देता था , इस पर बेटे ने पूछा तो उसने कहा कि जब तू मुझे फेंककर वापिस घर आयेगा , रास्ता भूलने पर इन पत्तियों को देखकर घर पहुँच जायेगा । इस पर बेटे के मन में विचार बदल गया और उसने फ़ैसला किया जो मेरा इतना ध्यान रखता हैं उसे मैं कभी गड्डे में नहीँ फेंकुंगा ।
.... बाद में उसने अपने पिता को घर में छुपाकर रख लिया ।
.......30 दिन बाद राजा ने मंत्री से पूछा कि अब कोई बूढ़ा-बूढ़ी नही बचा हैं , मंत्री ने कहा कि - नहीँ । इस पर राजा ने चुटकी ली कि अब अनुभव की परीक्षा हो जाये । कोई एक काम पूरे राज्य से करवाओ और उसे करने वाले को उचित इनाम दो ।
......मंत्री ने ऐलान किया कि तीन दिन में जो शंख में धागा पिरोकर लायेगा उसे 100 स्वर्ण मुद्रा मिलेंगी ।
इस बात को जब उस व्यक्ति ने अपने पिता से शेयर किया तो उसने कहा कि चींटी के पैर में धागा चिपकाकर शंख के एक सिरे पर छोड़ दो जब चींटी चलेगी तो चींटी के साथ धागा दूसरे सिरे से निकल आयेगा । बेटे ने ऐसे ही किया और शंख में धागा आर-पार हो गया । उसने राजा के पास जाकर इनाम पा लिया ।
इस पर राजा ने फ़िर मंत्री से चुटकी ली कि अनुभव का क्या काम ? इस पर मंत्री ने एक और सवाल पूछने की इजाज़त माँगी तो राजा ने कहा कि चलो एक बार और सही !
फ़िर मंत्री में ऐलान किया कि जो कोई तीन दिन में राख से रस्सी बनाकर लायेगा उसे 500 स्वर्ण मुद्रा मिलेंगी , इस पर पूरे राज्य में कोई सफ़ल नही हो पाया जब उस व्यक्ति ने अपने पिता से पूछा तो उसने कहा कि एक ट्रे में रस्सी का टुकड़ा रखकर उसमें आग लगा दो जब आग बुझेगी तो राख की रस्सी ही मिलेगी ।
......जब व्यक्ति राजभवन पहुँचा और उसने इनाम पाया तो मंत्री को शक हुआ कि दोनों बार एक ही व्यक्ति क्यों ? ज़रूर इसके घर में कोई बूढ़ा-बूढ़ी हैं । इस पर मंत्री ने व्यक्ति से सच्चाई निकलवा ली और तब राजा को एहसास हुआ कि उसका आदेश ग़लत था , अनुभव का कहीँ कोई विकल्प नहीँ ।
उपरोक्त कहानी के परिपेक्ष्य में , मैं आनन्द प्रकाश गुप्ता , जिला मंत्री उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ , रामपुर माननीय मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ जी से सोशल मीडिया के माध्यम से अनुरोध करता हूँ कि वह 50 वर्ष से अधिक आयु के कर्मचारी / अधिकारी को अनिवार्य सेवानिवृत्ति देने का आदेश वापिस लेना चाहें ।
दिनांक - 07/08/2017
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