माह-जुलाई के वेतन को लेकर हलचल:-मित्रों, जैसा कि आज दिनांक 8 अगस्त हैं... कतिपय जिला...यथा- कासगंज को छोड़कर.. अभी तक बहुतायत जिलों के शिक्षकों का माह-जुलाई का वेतन...(समायोजित शिक्षकों के वेतन देने हेतु शासन का स्पष्ट दिशा- निर्देश न होने से) नही आ सका है..
सम्भावना है कि 12 अगस्त तक वेतन के सम्बन्ध में शासन का स्पष्ट दिशा निर्देश आ जाएगा.. जो जनपद.. वेतन दे दिये हैं.. उनमें समायोजित शिक्षकों का वेतन बिल सम्मिलित नहीं है....
उक्त के क्रम में.. सुप्रीम कोर्ट का फैसला दिनांक 25 जुलाई को आने के पश्चात अब तक लगभग तीन दर्जन से अधिक शिक्षामित्रों की जान.. फैसले से आहत होने व सदमा में आकरके जा चुकी हैं.. और निरन्तर तीव्रता के साथ बढ़ रही हैं... लेकिन असीम अफसोस है कि.. उक्त निर्दोष शिक्षामित्रों के मरने से.. सम्बन्धित परिवार व पौने दो लाख बेरोजगार शिक्षामित्रों को छोड़कर, न तो केन्द्र व योगी सरकार के जूं रेंग रहे हैं और न ही जिला प्रशासन को दिखाई दे रहा है...कि किसी भी प्रकार का आर्थिक मदद दे दे, कोई आम आदमी किसी आम घटना में मर जाता है तो, जिला प्रशासन के साथ साथ सरकार भी हरकत में आ जाती है.. लेकिन शिक्षामित्रों के मरने के सिलसिलेवार घटना को न तो, मीडिया बहुत हाईलाईट कर रहा है.. और न ही योगी सरकार ही संज्ञान में ले रही है.. जोकि असीम दुःखद का विषय है.. इसके पीछे मूल कारण यह भी समझ में आ रहा है कि शिक्षामित्र कोर्ट द्वारा दोषी करार दिये गए हैं..
बहरहाल अब तो.. मरने से बचने वाले शिक्षामित्रों को अपने संगठन की ठोस रणनीति व योगी सरकार का ही सहारा है... यदि ससमय प्रान्तीय संगठन.. मरने से बचने वाले शिक्षामित्रों के प्रति ठीक रणनीति.. उनके भविष्य को लेकर नही बनायी व योगी सरकार ने अच्छी तरह से क्रियान्वयन नहीं किया तो, मरने वालों की संख्या हजारों में पहुँच सकती है.. क्योंकि बहुतायत संख्या में शिक्षामित्रों ने बैंकों से कर्ज ले रखा है.. जो एक दुःख का बहुत बड़ा कारण भी बन चुका है..
उक्त के साथ
*शिक्षामित्र एकता जिंदाबाद*
*प्रदीप पाल*
*जिला मीडिया प्रभारी एवं प्रवक्ता*
*संयुक्त शिक्षामित्र संघर्ष समिति*
*जनपद -इलाहाबाद*
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सम्भावना है कि 12 अगस्त तक वेतन के सम्बन्ध में शासन का स्पष्ट दिशा निर्देश आ जाएगा.. जो जनपद.. वेतन दे दिये हैं.. उनमें समायोजित शिक्षकों का वेतन बिल सम्मिलित नहीं है....
उक्त के क्रम में.. सुप्रीम कोर्ट का फैसला दिनांक 25 जुलाई को आने के पश्चात अब तक लगभग तीन दर्जन से अधिक शिक्षामित्रों की जान.. फैसले से आहत होने व सदमा में आकरके जा चुकी हैं.. और निरन्तर तीव्रता के साथ बढ़ रही हैं... लेकिन असीम अफसोस है कि.. उक्त निर्दोष शिक्षामित्रों के मरने से.. सम्बन्धित परिवार व पौने दो लाख बेरोजगार शिक्षामित्रों को छोड़कर, न तो केन्द्र व योगी सरकार के जूं रेंग रहे हैं और न ही जिला प्रशासन को दिखाई दे रहा है...कि किसी भी प्रकार का आर्थिक मदद दे दे, कोई आम आदमी किसी आम घटना में मर जाता है तो, जिला प्रशासन के साथ साथ सरकार भी हरकत में आ जाती है.. लेकिन शिक्षामित्रों के मरने के सिलसिलेवार घटना को न तो, मीडिया बहुत हाईलाईट कर रहा है.. और न ही योगी सरकार ही संज्ञान में ले रही है.. जोकि असीम दुःखद का विषय है.. इसके पीछे मूल कारण यह भी समझ में आ रहा है कि शिक्षामित्र कोर्ट द्वारा दोषी करार दिये गए हैं..
बहरहाल अब तो.. मरने से बचने वाले शिक्षामित्रों को अपने संगठन की ठोस रणनीति व योगी सरकार का ही सहारा है... यदि ससमय प्रान्तीय संगठन.. मरने से बचने वाले शिक्षामित्रों के प्रति ठीक रणनीति.. उनके भविष्य को लेकर नही बनायी व योगी सरकार ने अच्छी तरह से क्रियान्वयन नहीं किया तो, मरने वालों की संख्या हजारों में पहुँच सकती है.. क्योंकि बहुतायत संख्या में शिक्षामित्रों ने बैंकों से कर्ज ले रखा है.. जो एक दुःख का बहुत बड़ा कारण भी बन चुका है..
उक्त के साथ
*शिक्षामित्र एकता जिंदाबाद*
*प्रदीप पाल*
*जिला मीडिया प्रभारी एवं प्रवक्ता*
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