इलाहाबाद : सरकार की स्थानांतरण नीति के विपरीत एक महिला शिक्षाधिकारी का बेसिक शिक्षा विभाग ने सेवानिवृत्ति की अवधि के करीब पहुंचने के बावजूद स्थानांतरण कर दिया।
जून 2018 में महिला अधिकारी को सेवानिवृत्त होना है लेकिन बेसिक शिक्षा विभाग ने उनका स्थानांतरण इलाहाबाद से वाराणसी के लिए कर दिया। इस पर कोर्ट ने सरकार से छह हफ्ते में जवाब मांगा है। न्यायमूर्ति रणविजय सिंह और न्यायमूर्ति इफाकत अली खान की खंडपीठ इस याचिका की सुनवाई कर रही है। कोर्ट ने खंड शिक्षाधिकारी मुक्ता श्रीवास्तव के नियम विरुद्ध स्थानांतरण पर सरकार को नोटिस जारी करते हुए अगले आदेश तक तबादले पर रोक लगा दी है। याची के अधिवक्ता रमेश चंद्र सिन्हा ने कहा कि अधिकारी उत्तर प्रदेश शासन द्वारा निर्गत शासनादेश का पालन नहीं कर रहे हैं। याची के अधिवक्ता ने कहा स्थानांतरण नीति में प्रावधान है कि समूह क और ख के अधिकारियों की तैनाती उनके गृह जिले में नहीं की जाएगी लेकिन शिक्षा विभाग में चहेतों की तैनाती मंडल में खुलेआम की गई है।
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जून 2018 में महिला अधिकारी को सेवानिवृत्त होना है लेकिन बेसिक शिक्षा विभाग ने उनका स्थानांतरण इलाहाबाद से वाराणसी के लिए कर दिया। इस पर कोर्ट ने सरकार से छह हफ्ते में जवाब मांगा है। न्यायमूर्ति रणविजय सिंह और न्यायमूर्ति इफाकत अली खान की खंडपीठ इस याचिका की सुनवाई कर रही है। कोर्ट ने खंड शिक्षाधिकारी मुक्ता श्रीवास्तव के नियम विरुद्ध स्थानांतरण पर सरकार को नोटिस जारी करते हुए अगले आदेश तक तबादले पर रोक लगा दी है। याची के अधिवक्ता रमेश चंद्र सिन्हा ने कहा कि अधिकारी उत्तर प्रदेश शासन द्वारा निर्गत शासनादेश का पालन नहीं कर रहे हैं। याची के अधिवक्ता ने कहा स्थानांतरण नीति में प्रावधान है कि समूह क और ख के अधिकारियों की तैनाती उनके गृह जिले में नहीं की जाएगी लेकिन शिक्षा विभाग में चहेतों की तैनाती मंडल में खुलेआम की गई है।
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