लखनऊ ब्यूरो- सूबे के 1.59 लाख परिषदीय स्कूलों के
बच्चों और शिक्षकों की दैनिक उपस्थिति पर अब मुख्यमंत्री की नजर रहेगी।
बेसिक शिक्षा विभाग ने बच्चों और शिक्षकों की उपस्थिति को प्रदेश के विकास
के
लिए नीति आयोग के सहयोग से बनाये गए एक्शन प्लान के क्रियांवयन की निगरानी के लिए प्रस्तावित डिजिटल डैशबोर्ड पर प्रदर्शित करने का फैसला किया है, जिसकी निगरानी मुख्यमंत्री कार्यालय करेगा।
डिजिटल डैशबोर्ड पर प्रदर्शित करने के लिए विभाग ने इंटरएक्टिव वायस रिस्पांस सिस्टम (आइवीआरएस) के जरिये रोजाना स्कूलों में बच्चों और शिक्षकों की उपस्थिति का ब्योरा जुटाने की कवायद शुरू कर दी है।
परिषदीय स्कूलों में बच्चों के नामांकन के सापेक्ष उनकी उपस्थिति काफी कम रहती है। वहीं शिक्षकों के भी स्कूलों से गायब रहने की शिकायतें मिलना आम हैं। स्कूलों में ज्यादा से ज्यादा बच्चे आयें और उन्हें पढ़ाने के लिए शिक्षक भी मौजूद हों, राज्य सरकार का इस पर जोर है।
इसलिए बेसिक शिक्षा विभाग ने प्राथमिकता के आधार पर परिषदीय स्कूलों के बच्चों और शिक्षकों की दैनिक उपस्थिति को डिजिटल डैशबोर्ड पर प्रदर्शित करने का फैसला किया है। इसके लिए यूपीडेस्को द्वारा इस्तेमाल किये जा रहे उसी आइवीआरएस सिस्टम को विकसित किया गया है, जिसके जरिये रोजाना स्कूलों में मिड-डे मील खाने वाले बच्चों की संख्या मालूम की जाती है।
अपर मुख्य सचिव बेसिक शिक्षा राज प्रताप सिंह ने बताया कि टाइम डिविजन मल्टीप्लेक्सिंग नामक इस तकनीक के जरिये रोजना सुबह साढ़े आठ बजे से स्कूलों के प्रधानाध्यापकों के मोबाइल फोन पर कंप्यूटर जेनरेटेड कॉल जाती है। इस कॉल के माध्यम से बच्चों और शिक्षकों की उपस्थिति के बारे में पूछे गए सवालों का उन्हें अपने मोबाइल फोन के बटन दबाकर ही जवाब देना होता है। फिलहाल आइवीआरएस के जरिये शिक्षकों के अलावा छात्रों और छात्राओं की उपस्थिति का अलग-अलग विवरण जुटाया जा रहा है। इस विवरण को उसी दिन वेब पोर्टल पर अपलोड किया जाता है।
इसके लिए प्रधानाध्यापकों और शिक्षकों को प्रशिक्षित भी किया जा रहा है। उपस्थिति का विवरण जुटाने की कवायद बीते कुछ दिनों से चालू है। बीते सोमवार को प्रदेश के 1.59 लाख परिषदीय स्कूलों में से 1.09 लाख विद्यालयों से शिक्षकों और बच्चों की उपस्थिति का विवरण जुटाया जा रहा है। इससे शिक्षको की एवं बच्चों की उपस्थिति पर सकारात्मक प्रभाव पड़ने की उम्मीद है।
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लिए नीति आयोग के सहयोग से बनाये गए एक्शन प्लान के क्रियांवयन की निगरानी के लिए प्रस्तावित डिजिटल डैशबोर्ड पर प्रदर्शित करने का फैसला किया है, जिसकी निगरानी मुख्यमंत्री कार्यालय करेगा।
डिजिटल डैशबोर्ड पर प्रदर्शित करने के लिए विभाग ने इंटरएक्टिव वायस रिस्पांस सिस्टम (आइवीआरएस) के जरिये रोजाना स्कूलों में बच्चों और शिक्षकों की उपस्थिति का ब्योरा जुटाने की कवायद शुरू कर दी है।
परिषदीय स्कूलों में बच्चों के नामांकन के सापेक्ष उनकी उपस्थिति काफी कम रहती है। वहीं शिक्षकों के भी स्कूलों से गायब रहने की शिकायतें मिलना आम हैं। स्कूलों में ज्यादा से ज्यादा बच्चे आयें और उन्हें पढ़ाने के लिए शिक्षक भी मौजूद हों, राज्य सरकार का इस पर जोर है।
इसलिए बेसिक शिक्षा विभाग ने प्राथमिकता के आधार पर परिषदीय स्कूलों के बच्चों और शिक्षकों की दैनिक उपस्थिति को डिजिटल डैशबोर्ड पर प्रदर्शित करने का फैसला किया है। इसके लिए यूपीडेस्को द्वारा इस्तेमाल किये जा रहे उसी आइवीआरएस सिस्टम को विकसित किया गया है, जिसके जरिये रोजाना स्कूलों में मिड-डे मील खाने वाले बच्चों की संख्या मालूम की जाती है।
अपर मुख्य सचिव बेसिक शिक्षा राज प्रताप सिंह ने बताया कि टाइम डिविजन मल्टीप्लेक्सिंग नामक इस तकनीक के जरिये रोजना सुबह साढ़े आठ बजे से स्कूलों के प्रधानाध्यापकों के मोबाइल फोन पर कंप्यूटर जेनरेटेड कॉल जाती है। इस कॉल के माध्यम से बच्चों और शिक्षकों की उपस्थिति के बारे में पूछे गए सवालों का उन्हें अपने मोबाइल फोन के बटन दबाकर ही जवाब देना होता है। फिलहाल आइवीआरएस के जरिये शिक्षकों के अलावा छात्रों और छात्राओं की उपस्थिति का अलग-अलग विवरण जुटाया जा रहा है। इस विवरण को उसी दिन वेब पोर्टल पर अपलोड किया जाता है।
इसके लिए प्रधानाध्यापकों और शिक्षकों को प्रशिक्षित भी किया जा रहा है। उपस्थिति का विवरण जुटाने की कवायद बीते कुछ दिनों से चालू है। बीते सोमवार को प्रदेश के 1.59 लाख परिषदीय स्कूलों में से 1.09 लाख विद्यालयों से शिक्षकों और बच्चों की उपस्थिति का विवरण जुटाया जा रहा है। इससे शिक्षको की एवं बच्चों की उपस्थिति पर सकारात्मक प्रभाव पड़ने की उम्मीद है।
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