गोरखपुरः प्राथमिक शिक्षामित्र संघ ने जिलाध्यक्ष अजय
सिंह की अध्यक्षता में शिक्षामित्र पदाधिकारियों के साथ एक आपात बैठक की।
बैठक को संबोधित करते हुए जिलाध्यक्ष अजय सिंह ने कहा शिक्षामित्र किसी भी
हाल में शिक्षक न बनने पाएं।
इसके लिए शासन में बैठे सभी अधिकारी एक से एक नायाब तरीक़े बता रहे हैं और सरकार भी बिना सोचे समझे उस पर अमल करती आ रही है। पहले 25 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट का फ़ैसला आया है और उसमें टेट पास शिक्षामित्रों को 25 अंक अधिकतम भारांक देने की बात होती है। अब जब सभी शिक्षामित्र टेट की तैयारी में जुट गये, तो एक नया फ़रमान जारी हुआ कि एक और अतिरिक्त परीक्षा ली जाएगी जिसमें 60 प्रतिशत अंक पाना अनिवार्य होगा।
साथ ही कहा कि लगता है इनके अनुसार फ़ैसले में यही एक बिंदु छूट गया था। जो यहां कैबिनेट में पास कर दिये। सरकार शिक्षामित्रों के प्रति दमनात्मक रवैया अपना रही है। बनारस में अपनी बात कहने गये शिक्षामित्रों को गंभीर धाराओं में जेल में बंद कर दिया गया। अभी तक ज़मानत नहीं हो पाई है। क्या शिक्षामित्र आतंकवादी या अपराधी है जो अपराधियों जैसा व्यवहार किया जा रहा है ? सरकार के निरंकुशता और अड़ियल रवैये से एक लाख सत्तर हज़ार परिवार सड़क पर है। कई दर्जन शिक्षामित्र मौत के मुंह में समा गये है।
इसके अलावा, कहा कि लोकतांत्रिक देश में लोकतांत्रिक तरीक़े से हम अपनी बात नहीं कर पा रहे हैं। अब इस सरकार से उम्मीद करना ठीक नहीं। शिक्षामित्रों के लिए अभी दो रास्ते हैं जिससे हम अपना खोया मान सम्मान वापस पा सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट की पहली सीढ़ी संघ द्वारा डाली गई पुनर्विचार याचिका की मज़बूत पैरवी यहां याचिका खारिज होने पर संविधान पीठ तक की संघर्षमयी यात्रा और कोई रास्ता नहीं है।
इसके लिए जनपद के सभी शिक्षामित्र तन, मन, धन से संघ का साथ दें, सफलता ज़रूर मिलेगी। बैठक में राम नगीना निषाद, अविनाश कुमार, अशोक चंद्रा राघवेंद्र पांडेय, सुशील कुमार सिंह, राजीव गुप्ता, लालधर निषाद, राम अशीष यादव, राजनाथ यादव, रामभजन निषाद, अयोध्या प्रसाद, राकेश साहनी, संतोष सिंह, विनोद यादव, दिनेश सिंह, राम प्रवेश, दिनेश गुप्ता, रामकेशर, रामकेशर, मिट्ठू प्रसाद, सतीश आदि दर्जनों शिक्षामित्र उपस्थित रहे।
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इसके लिए शासन में बैठे सभी अधिकारी एक से एक नायाब तरीक़े बता रहे हैं और सरकार भी बिना सोचे समझे उस पर अमल करती आ रही है। पहले 25 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट का फ़ैसला आया है और उसमें टेट पास शिक्षामित्रों को 25 अंक अधिकतम भारांक देने की बात होती है। अब जब सभी शिक्षामित्र टेट की तैयारी में जुट गये, तो एक नया फ़रमान जारी हुआ कि एक और अतिरिक्त परीक्षा ली जाएगी जिसमें 60 प्रतिशत अंक पाना अनिवार्य होगा।
साथ ही कहा कि लगता है इनके अनुसार फ़ैसले में यही एक बिंदु छूट गया था। जो यहां कैबिनेट में पास कर दिये। सरकार शिक्षामित्रों के प्रति दमनात्मक रवैया अपना रही है। बनारस में अपनी बात कहने गये शिक्षामित्रों को गंभीर धाराओं में जेल में बंद कर दिया गया। अभी तक ज़मानत नहीं हो पाई है। क्या शिक्षामित्र आतंकवादी या अपराधी है जो अपराधियों जैसा व्यवहार किया जा रहा है ? सरकार के निरंकुशता और अड़ियल रवैये से एक लाख सत्तर हज़ार परिवार सड़क पर है। कई दर्जन शिक्षामित्र मौत के मुंह में समा गये है।
इसके अलावा, कहा कि लोकतांत्रिक देश में लोकतांत्रिक तरीक़े से हम अपनी बात नहीं कर पा रहे हैं। अब इस सरकार से उम्मीद करना ठीक नहीं। शिक्षामित्रों के लिए अभी दो रास्ते हैं जिससे हम अपना खोया मान सम्मान वापस पा सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट की पहली सीढ़ी संघ द्वारा डाली गई पुनर्विचार याचिका की मज़बूत पैरवी यहां याचिका खारिज होने पर संविधान पीठ तक की संघर्षमयी यात्रा और कोई रास्ता नहीं है।
इसके लिए जनपद के सभी शिक्षामित्र तन, मन, धन से संघ का साथ दें, सफलता ज़रूर मिलेगी। बैठक में राम नगीना निषाद, अविनाश कुमार, अशोक चंद्रा राघवेंद्र पांडेय, सुशील कुमार सिंह, राजीव गुप्ता, लालधर निषाद, राम अशीष यादव, राजनाथ यादव, रामभजन निषाद, अयोध्या प्रसाद, राकेश साहनी, संतोष सिंह, विनोद यादव, दिनेश सिंह, राम प्रवेश, दिनेश गुप्ता, रामकेशर, रामकेशर, मिट्ठू प्रसाद, सतीश आदि दर्जनों शिक्षामित्र उपस्थित रहे।
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