लखनऊ. हाईकोर्ट की रोक के बाद बेसिक शिक्षा विभाग ने
फिलहाल अंतरजनपदीय (एक जिले से दूसरे जिले में) तबादले रोक दिए हैं। रोक
हटने के बाद ही तबादला प्रक्रिया आगे बढ़ेगी।
बेसिक शिक्षा विभाग ने पिछले महीने ही तबादले की प्रक्रिया शुरू की थी। यह काम सितंबर तक पूरा होना था लेकिन इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 23 अक्तूबर तक इस पर रोक लगा दी। हालांकि बेसिक शिक्षा विभाग ने अंतरजनपदीय तबादले के लिए नीति में संशोधन करते हुए दिव्यांगों, सेना और अर्द्धसैनिक बलों में कार्यरत जवानों की शिक्षक पत्नी को पांच वर्ष के सेवाकाल की अनिवार्यता से मुक्त किया था। मगर उच्च स्तर पर हुए निर्णय के बाद अब अंतरजनपदीय तबादले फिलहाल नहीं किए जाएंगे। निदेशक सर्वेन्द्र विक्रम सिंह का कहना है कि जिले के अंदर तबादले पर हाईकोर्ट की रोक है। इसके हटने के बाद भी तबादले किए जाएंगे।
जून में जारी की थी तबादला नीति, पारदर्शिता का किया था दावा
पूर्ववर्ती सपा सरकार में तबादलों पर सवाल उठाने वाली भारतीय जनता पार्टी जब सत्ता में आई तो तबादलों पर पारदर्शिता का दावा करते हुए बेसिक शिक्षा विभाग और माध्यमिक शिक्षा विभाग ने जून में तबादला नीति जारी की थी। दोनों विभागों ने समायोजन एवं तबादले में न्यायिक प्रक्रिया से बचने के लिए पारदर्शिता और नियमों के पालन का दावा किया था।
इसलिए बेसिक शिक्षा विभाग में तबादलों पर लगी है रोक
बेसिक शिक्षा विभाग ने प्रदेश में ग्रामीण विद्यालयों में 65 हजार शिक्षक सरप्लस बताते हुए तबादला नीति 2017 के तहत समायोजन प्रक्रिया शुरू की थी। इसमें ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में रिक्त पदों पर सरप्लस शिक्षकों को तैनात किया जाना था। बीएसए स्तर पर की जा रही समायोजन प्रक्रिया को सहायक अध्यापकों ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय में चुनौती जिसके बाद जुलाई में इस पर रोक लगा दी गई। अब विभाग ने जिलों के अंदर ही तबादले की प्रक्रिया शुरू की है।
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बेसिक शिक्षा विभाग ने पिछले महीने ही तबादले की प्रक्रिया शुरू की थी। यह काम सितंबर तक पूरा होना था लेकिन इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 23 अक्तूबर तक इस पर रोक लगा दी। हालांकि बेसिक शिक्षा विभाग ने अंतरजनपदीय तबादले के लिए नीति में संशोधन करते हुए दिव्यांगों, सेना और अर्द्धसैनिक बलों में कार्यरत जवानों की शिक्षक पत्नी को पांच वर्ष के सेवाकाल की अनिवार्यता से मुक्त किया था। मगर उच्च स्तर पर हुए निर्णय के बाद अब अंतरजनपदीय तबादले फिलहाल नहीं किए जाएंगे। निदेशक सर्वेन्द्र विक्रम सिंह का कहना है कि जिले के अंदर तबादले पर हाईकोर्ट की रोक है। इसके हटने के बाद भी तबादले किए जाएंगे।
जून में जारी की थी तबादला नीति, पारदर्शिता का किया था दावा
पूर्ववर्ती सपा सरकार में तबादलों पर सवाल उठाने वाली भारतीय जनता पार्टी जब सत्ता में आई तो तबादलों पर पारदर्शिता का दावा करते हुए बेसिक शिक्षा विभाग और माध्यमिक शिक्षा विभाग ने जून में तबादला नीति जारी की थी। दोनों विभागों ने समायोजन एवं तबादले में न्यायिक प्रक्रिया से बचने के लिए पारदर्शिता और नियमों के पालन का दावा किया था।
इसलिए बेसिक शिक्षा विभाग में तबादलों पर लगी है रोक
बेसिक शिक्षा विभाग ने प्रदेश में ग्रामीण विद्यालयों में 65 हजार शिक्षक सरप्लस बताते हुए तबादला नीति 2017 के तहत समायोजन प्रक्रिया शुरू की थी। इसमें ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में रिक्त पदों पर सरप्लस शिक्षकों को तैनात किया जाना था। बीएसए स्तर पर की जा रही समायोजन प्रक्रिया को सहायक अध्यापकों ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय में चुनौती जिसके बाद जुलाई में इस पर रोक लगा दी गई। अब विभाग ने जिलों के अंदर ही तबादले की प्रक्रिया शुरू की है।
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