निचली अदालत से सुप्रीम कोर्ट तक मुकदमा लड़ने वाले उत्तर प्रदेश के 2198 सिपाहियों के लिए बड़ी
खुशखबरी है। उन्हें प्रदेश सरकार 35-35 हजार रुपये देगी।
मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने प्रदेश सरकार को आदेश दिया कि वह इन सिपाहियों को बकाया के तौर पर अंतिम भुगतान करते हुए 20 दिसंबर तक यह रकम अदा करे। 1यह मामला उत्तर प्रदेश में 2005-06 की सिपाही भर्ती का है। वैसे तो कुल 17254 सिपाही पुन: बहाल हुए थे लेकिन सुप्रीम कोर्ट के आदेश से मुकदमा खर्च के रूप में बकाया रकम का भुगतान सिर्फ उन 2198 सिपाहियों को दिया जाएगा जिन्होंने सुप्रीम कोर्ट में मुकदमा दाखिल किया था। कुल भर्ती 22000 सिपाहियों की हुई थी जिसमें से 18000 सिपाहियों को सरकार ने 2007 में बर्खास्त कर दिया था। बाद में 2009 में हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के आदेश से 17254 सिपाही पुन: बहाल हुए थे। इन सिपाहियों ने बर्खास्तगी के दौरान के बकाया वेतन व भत्ते की मांग की थी। साथ ही उस पीरियड को सर्विस में जोड़े जाने की मांग की थी। 1सिपाहियों को लंबी मुकदमेबाजी का प्रतिफल देने वाला यह फैसला न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ व न्यायमूर्ति आर भानुमति की पीठ ने सुनाया है। कोर्ट कहा कि यह रकम अंतिम निपटारे के तौर पर मुकदमा खर्च के लिए दी जाएगी। इस मामले को आगे के लिए नजीर नहीं माना जाएगा। साथ ही कहा कि इस संबंध में आगे से सुप्रीम कोर्ट या हाई कोर्ट में किसी अर्जी पर सुनवाई नहीं होगी। 1इससे पहले प्रदेश सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ वकील वी. शेखर व कमलेन्द्र मिश्र ने सिपाहियों का करीब दो वर्ष का बकाया दिलाए जाने की मांग का विरोध करते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट अपने कई फैसलों में कह चुका है कि नो वर्क नो पे। सरकार का कहना था कि अगर कोर्ट बहाल हुए सभी 17254 सिपाहियों को करीब दो वर्ष का बकाया वेतन दिलाएगा तो सरकार पर बहुत बड़ा आर्थिक बोझ आयेगा।
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मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने प्रदेश सरकार को आदेश दिया कि वह इन सिपाहियों को बकाया के तौर पर अंतिम भुगतान करते हुए 20 दिसंबर तक यह रकम अदा करे। 1यह मामला उत्तर प्रदेश में 2005-06 की सिपाही भर्ती का है। वैसे तो कुल 17254 सिपाही पुन: बहाल हुए थे लेकिन सुप्रीम कोर्ट के आदेश से मुकदमा खर्च के रूप में बकाया रकम का भुगतान सिर्फ उन 2198 सिपाहियों को दिया जाएगा जिन्होंने सुप्रीम कोर्ट में मुकदमा दाखिल किया था। कुल भर्ती 22000 सिपाहियों की हुई थी जिसमें से 18000 सिपाहियों को सरकार ने 2007 में बर्खास्त कर दिया था। बाद में 2009 में हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के आदेश से 17254 सिपाही पुन: बहाल हुए थे। इन सिपाहियों ने बर्खास्तगी के दौरान के बकाया वेतन व भत्ते की मांग की थी। साथ ही उस पीरियड को सर्विस में जोड़े जाने की मांग की थी। 1सिपाहियों को लंबी मुकदमेबाजी का प्रतिफल देने वाला यह फैसला न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ व न्यायमूर्ति आर भानुमति की पीठ ने सुनाया है। कोर्ट कहा कि यह रकम अंतिम निपटारे के तौर पर मुकदमा खर्च के लिए दी जाएगी। इस मामले को आगे के लिए नजीर नहीं माना जाएगा। साथ ही कहा कि इस संबंध में आगे से सुप्रीम कोर्ट या हाई कोर्ट में किसी अर्जी पर सुनवाई नहीं होगी। 1इससे पहले प्रदेश सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ वकील वी. शेखर व कमलेन्द्र मिश्र ने सिपाहियों का करीब दो वर्ष का बकाया दिलाए जाने की मांग का विरोध करते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट अपने कई फैसलों में कह चुका है कि नो वर्क नो पे। सरकार का कहना था कि अगर कोर्ट बहाल हुए सभी 17254 सिपाहियों को करीब दो वर्ष का बकाया वेतन दिलाएगा तो सरकार पर बहुत बड़ा आर्थिक बोझ आयेगा।
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