165 शिक्षामित्रों के मूल विद्यालय ही लापता

जासं, प्रतापगढ़ : जिले के 165 शिक्षामित्रों ने अपनी नौकरी की शुरूआत कहां से की थी। यह विभाग को पता ही नहीं है। जिले में मौजूद रिकार्ड में इनके मूल विद्यालय का अता-पता ही स्पष्ट नहीं है।
ऐसे में इन्हें मूल विद्यालय में भेजा कैसे जाए? लिपिकीय स्तर पर हुई इस भारी गड़बड़ी की जानकारी मिलने पर भी अफसर इसकी जांच नहीं करवा रहे हैं। बल्कि इसे लिपिकीय त्रुटि बताकर टाल रहे हैं।
सुप्रीम कोर्ट से समायोजन रद हो जाने के बाद शिक्षक बने 2155 शिक्षामित्रों को उनके मूल विद्यालय में भेजने के आदेश हुए थे। इसमें से करीब 1100 शिक्षामित्र तो अपने मूल विद्यालय में ही शिक्षक बन गए थे। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद विभाग को करीब एक हजार से अधिक शिक्षकों को मूल विद्यालय में बतौर शिक्षामित्र वापस करना था। मगर आदेश को करीब तीन महीना बीत रहा है। अभी तक जिले के ढाई सौ से अधिक शिक्षामित्र मूल विद्यालयों में वापस नहीं भेजे जा सके हैं। क्योंकि ये शिक्षामित्र वहां जाना नहीं चाहते। सूत्र बताते हैं कि इसके लिए इन लोगों ने जिले के रिकार्ड में अपने मूल विद्यालय का नाम गायब करा दिया है।
जब अफसरों पर दबाव बढ़ने लगा और छानबीन हुई तो पता चला कि जिले के 165 ऐसे शिक्षामित्र हैं, जिनके मूल विद्यालय का अता-पता जिले में नहीं है। ऐसे में अफसर परेशान हैं। बीएसए ने सभी अब ब्लाक स्तर से रिकार्ड तलाशने की कवायद शुरू की है।
'165 शिक्षामित्रों के मूल विद्यालय का पता जिले की सूची में स्पष्ट नहीं है। इसलिए खंड स्तर से रिपोर्ट मांगी गई है। यह लिपिकीय त्रुटि का मामला है। इसलिए जांच जैसी कोई बात नहीं है।'

बीएन ¨सह, जिला बेसिक शिक्षाधिकारी
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