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165 शिक्षामित्रों के मूल विद्यालय खोजने में बेसिक शिक्षा विभाग का छूट रहा पसीना: बीएसए ने खंड शिक्षा अधिकारियों से तीन दिन में मांगी थी रिपोर्ट

प्रतापगढ़: जिले के 165 शिक्षामित्रों के मूल विद्यालय व विकास खंड खोजने में खंड शिक्षा अधिकारियों के पसीने छूट रहे हैं। मानदेय भेजने के समय यह प्रकरण सामने आया कि शिक्षामित्रों के समायोजन से पूर्व के उनके विद्यालय व विकास खंड में भिन्नता है।

शिक्षामित्र समायोजन के बाद जिन विद्यालयों में पदास्थापित किए गए थे, सर्वोच्च न्यायालय द्वारा समायोजन निरस्त होने के बाद भी अधिकांश अभी उन्ही विद्यालयों में हैं। प्रदेश सरकार ने सर्वोच्च अदालत के आदेश का अनुपालन करते हुए बीते 20 सितंबर को एक शासनादेश जारी कर ऐसे सभी समायोजित शिक्षकों को मूल पद शिक्षामित्र पर वापस करते हुए वर्ष में 11 माह के लिए दस हजार रुपये मानदेय निर्धारित कर दिया।

जनपद में जहां आधे से अधिक समायोजित शिक्षकों ने विभागीय आदेश के तहत शिक्षामित्र पद पर अपने मूल विद्यालय में कार्यभार ग्रहण कर लिया और मानदेय की आस लगाए हैं। मानदेय भुगतान के पूर्व विभाग में 165 शिक्षामित्रों के मूल विद्यालय खोजने में विभाग को पसीने छूट रहे हैं। इस्तीफा देकर बीटीसी करने वाले शिक्षामित्रों को जब विद्यालय में कार्यभार ग्रहण कराते समय मनमानी इस कदर हावी रही कि ग्राम शिक्षा समिति को भी अवगत नहीं कराया गया।

बीएसए ने 24 नवंबर को खंड शिक्षा अधिकारियों को पत्र लिखकर तीन दिनों के भीतर उक्त शिक्षामित्रों के मूल विद्यालय की जानकारी मांगी थी। अभी तक किसी भी खंड शिक्षा अधिकारी की रिपोर्ट बीएसए कार्यालय नहीं आई। इस संबंध में बीएसए बीएन सिंह ने बताया कि निकाय चुनाव की मतगणना के कारण रिपोर्ट नहीं आ सकी है।

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