आगरा। वर्ष 2017 ने कई अनुभव दिए, किसी के लिए सुख
समृद्धि के रूप में ये साल गुजरा, तो किसी के जीवन में अंधेरा कर गया। हम
बात कर रह हैं शिक्षामित्रों की। इनके लिए ये वर्ष बेहद बुरा अनुभव लेकर
आया। 24 जुलाई 2017 को इन शिक्षामित्रों की नौकरी चली गई। सरकार ने भी
इन्हें कोई राहत नहीं दी।
ये वर्ष रहा बेहद बुरा
उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षामित्र संघ के जिलाध्यक्ष वीरेन्द्र छौंकर ने बताया कि वर्ष 2017 बेहद बुरा रहा। 24 जुलाई 2017 को सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद शिक्षामित्रों की उम्मीदों पर पानी फिर गया। इसके बाद यूपी सरकार की ओर प्रदेश के शिक्षामित्र आशा भरी नजरों से देखने लगे, लेकिन वहां भी राहत के नाम पर कुछ नहीं मिला।
मिला दूसरा झटका
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने शिक्षामित्रों को दूसरा बड़ा झटका दिया, दो परीक्षाओं का। सरकार ने नया नियम बनाया, जिसके बाद टीईटी पास करने के बाद शिक्षामित्रों के लिए एक दूसरी परीक्षा का नियम भी लागू कर दिया गया। ये शिक्षामित्रों के लिए दूसरा बड़ा झटका रहा।
सरकार नहीं दे सकी राहत
जिलाध्यक्ष वीरेन्द्र छौंकर ने बताया कि उत्तर प्रदेश सरकार शिक्षामित्रों को कोई राहत नहीं दे सकी। जिन शिक्षामित्रों को लगभग 40 हजार रुपये वेतन मिल रहा था, उनको सरकार ने एक बार फिर से 10 हजार के मासिक मानदेय पर लाकर खड़ा कर दिया। ये हालत यूपी सरकार ने शिक्षामित्रों की तब की, जब शिक्षामित्रों ने अपने जीवन के अमूल्य वर्ष यूपी की प्रारंम्भिक शिक्षा के सुधारने के लिए दिए।
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ये वर्ष रहा बेहद बुरा
उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षामित्र संघ के जिलाध्यक्ष वीरेन्द्र छौंकर ने बताया कि वर्ष 2017 बेहद बुरा रहा। 24 जुलाई 2017 को सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद शिक्षामित्रों की उम्मीदों पर पानी फिर गया। इसके बाद यूपी सरकार की ओर प्रदेश के शिक्षामित्र आशा भरी नजरों से देखने लगे, लेकिन वहां भी राहत के नाम पर कुछ नहीं मिला।
मिला दूसरा झटका
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने शिक्षामित्रों को दूसरा बड़ा झटका दिया, दो परीक्षाओं का। सरकार ने नया नियम बनाया, जिसके बाद टीईटी पास करने के बाद शिक्षामित्रों के लिए एक दूसरी परीक्षा का नियम भी लागू कर दिया गया। ये शिक्षामित्रों के लिए दूसरा बड़ा झटका रहा।
सरकार नहीं दे सकी राहत
जिलाध्यक्ष वीरेन्द्र छौंकर ने बताया कि उत्तर प्रदेश सरकार शिक्षामित्रों को कोई राहत नहीं दे सकी। जिन शिक्षामित्रों को लगभग 40 हजार रुपये वेतन मिल रहा था, उनको सरकार ने एक बार फिर से 10 हजार के मासिक मानदेय पर लाकर खड़ा कर दिया। ये हालत यूपी सरकार ने शिक्षामित्रों की तब की, जब शिक्षामित्रों ने अपने जीवन के अमूल्य वर्ष यूपी की प्रारंम्भिक शिक्षा के सुधारने के लिए दिए।
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