इलाहाबाद : परिषदीय स्कूलों की सहायक अध्यापक भर्ती की लिखित परीक्षा
टलने के पूरे आसार हैं। योगी सरकार के सालगिरह के ऐन मौके पर पहली टीईटी और
सबसे बड़ी की परीक्षा गंभीर सवालों के घेरे में है।
पूरा महकमा मंथन में
जुटा है कि हाईकोर्ट के निर्णय को मानें या फिर उसके खिलाफ बड़ी बेंच में
अपील की जाए। मार्च को होने वाली परीक्षा में चंद दिन शेष है ऐसे में
अभ्यर्थी भी असमंजस में हैं। 1प्रदेश के प्राथमिक विद्यालयों में नियुक्त
एक लाख 37 हजार शिक्षामित्रों का सहायक अध्यापक पद पर समायोजन सुप्रीम
कोर्ट ने बीते जुलाई 2017 को रद कर दिया था। कोर्ट ने शिक्षामित्रों को
सहायक अध्यापक बनने के लिए दो मौके, भारांक व आयु सीमा में छूट देने का
निर्देश राज्य सरकार को दिया था। योगी सरकार ने इस निर्देश का अनुपालन करने
के लिए टीईटी 2017 कराई। इसमें महज 11.11 फीसदी अभ्यर्थी उत्तीर्ण हुए। उस
परीक्षा के सवालों में से प्रश्नों पर अभ्यर्थियों ने आपत्ति की।
विशेषज्ञों की रिपोर्ट के आधार पर परीक्षा नियामक प्राधिकारी सचिव ने
अभ्यर्थियों की आपत्ति खारिज कर दी। इसे हाईकोर्ट में चुनौती दी गई तो
कोर्ट ने प्रश्नों को हटाकर नई मेरिट जारी करने का निर्देश दिया है। 1योगी
सरकार सहायक अध्यापक भर्ती की नियमावली में बदलाव करके शैक्षिक मेरिट की
बजाय सामान्य प्रक्रिया यानि लिखित परीक्षा के जरिए शिक्षकों का चयन कर रही
है। 68500 सहायक अध्यापक भर्ती के लिए प्रदेश के सभी मंडल मुख्यालयों पर
मार्च को परीक्षा कराने की पूरी तैयारियां हो चुकी हैं। इस बीच कोर्ट के
आदेश से लिखित परीक्षा मार्च को होने के आसार नहीं हैं, क्योंकि टीईटी
उत्तीर्ण अभ्यर्थी ही इस परीक्षा में शामिल हो रहे हैं और करीब दस फीसद
सवाल हटने से पूरा परीक्षा परिणाम बदलना होगा। उसके बाद सफल अभ्यर्थियों से
आवेदन लेने के बाद ही लिखित परीक्षा हो सकती है। महज पांच दिन में यह होना
संभव नहीं है। 1सरकार यदि हाईकोर्ट के निर्णय के विरुद्ध बड़ी बेंच में
अपील करती है तो भी फैसला चंद दिन में आएगा, यह भी कोर्ट पर निर्भर है वहीं
अभ्यर्थियों में गलत संदेश जाने का भी खतरा है। ऐसे में पूरा महकमा रणनीति
बनाने में जुटा है। अब तक कोई निर्णय नहीं हो सका है, परीक्षा की तैयारी
कर रहे अभ्यर्थी भी उहापोह का शिकार हैं। विभागीय अफसर इस संबंध में कुछ भी
बोलने से कतरा रहे हैं।
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